दिल्ली में एक बुक लॉन्च इवेंट में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अहिंसा और हिंसा पर अपने विचार रखे. उन्होंने पहलगाम की घटना का जिक्र तो नहीं किया लेकिन अपने संबोधन में पाकिस्तान को लेकर मैसेज देते जरूर नज़र आए. उन्होंने कहा कि भारत कभी भी अपने पड़ोसियों का कोई अपमान नहीं करता, उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. लेकिन अगर कोई बुराई पर उतर आए, तो 'राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना'.
पहलगाम हमले पर RSS चीफ मोहन भागवत का बयान- 'राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना'
RSS चीफ Mohan Bhagwat ने कहा कि भारत में अहिंसा को बहुत महत्व दिया गया है. अहिंसा का मकसद किसी को अहिंसक बनाने का होता है, लेकिन अगर सामने वाला सुधारने के लिए तैयार नहीं है और बुराई फैलाता है, तो उसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाना जरूरी हो जाता है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, RSS चीफ ने कहा कि अगर कोई बुराई फैल रही है, तो उस बुराई को खत्म करने की जिम्मेदारी उस समाज या राज्य के नेतृत्व की होती है. उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा,
हम कभी भी अपने पड़ोसियों का कोई अपमान, कोई हानि नहीं करते. लेकिन ऐसा हम रहते हैं तो भी अगर कोई उतर आए बुराई पर तो हमारा अब दूसरा इलाज क्या है? राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना. राजा अपना कर्तव्य करे.
RSS प्रमुख ने उदाहरण देते हुए कहा कि गीता में भी अर्जुन को यह संदेश दिया गया था कि जब अत्याचार और बुराई का प्रकोप बढ़ जाए, तो उसे खत्म करना जरूर हो जाता है.
आरएसएस चीफ ने कहा,
गीता में अहिंसा का ही उपदेश है. अहिंसा का उपदेश इसलिए किया कि अर्जुन लड़े और मारे, क्योंकि उस समय ऐसे लोग थे सामने कि उनके विकास का दूसरा इलाज नहीं था. ये एक संतुलन रखने वाली भूमिका अपने यहां है. ये संतुलन देने वाला धर्म है. धर्म की दृष्टि है.
भागवत ने यह भी कहा कि भारत में अहिंसा को बहुत महत्व दिया गया है. अहिंसा का मकसद किसी को बदलने, सुधारने और उसे अहिंसक बनाने का होता है, लेकिन अगर सामने वाला सुधारने के लिए तैयार नहीं है और बुराई फैलाता है, तो उसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाना जरूरी हो जाता है.
उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण एक महान विद्वान था, लेकिन उसका शरीर और मन अच्छाई को स्वीकार करने से रोकते थे. उन्होंने कहा कि रावण का शरीर और मन उसमें अच्छाई नहीं भर सकते थे.
रावण के बारे में भागवत आगे कहते हैं,
एक ही उपाय है उस शरीर मन बुद्धि को समाप्त करके वो दूसरे शरीर और मन बुद्धि को लेकर आ जाए. तो भगवान ने उसका संहार किया. उस संहार को हिंसा नहीं कहते, वो अहिंसा ही है. तो अहिंसा हमारा धर्म है.
इवेंट शुरू होने से पहले मोहन भागवत ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों की याद में दो मिनट का मौन रखा.
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