उत्तर प्रदेश में IAS रिंकू सिंह राही इन दिनों चर्चा में हैं. वकीलों के सामने उठक-बैठक लगाते हुए उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसमें वे किसी 'दोषी व्यक्ति' की तरह कान पकड़कर उठक-बैठक लगाते दिख रहे थे. अब खबर आई है कि IAS रिंकू सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया है. लेकिन आज से 16 बरस पहले ये अधिकारी 7 गोलियां खाकर सुर्खियों में आया था.
वकीलों के आगे उठक-बैठक करने वाले IAS रिंकू सिंह को जब मारी गई थीं 7 गोलियां
रिंकू सिंह को एक-दो नहीं बल्कि सात गोलियां लगीं. दो गोलियां उनके चेहरे पर लगी थीं जिससे वो पूरी तरह बिगड़ गया था. एक कान भी खराब हो गया. और एक आंख की रौशनी चली गई.

अलीगढ़ स्थित डोरी नगर के रहने वाले रिंकू सिंह राही 2022 बैच के IAS अधिकारी हैं. इसके पहले वह यूपी में PCS अधिकारी थे. वे दलित समुदाय से आते हैं. उनके पिता आटा चक्की चलाते थे. शुरुआती दिनों में घर की हालत अच्छी नहीं थी. इसलिए रिंकू ने प्राथमिक पढ़ाई सरकारी स्कूल से की. बाद में सरकारी कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की. अच्छे नंबर लाने पर उन्हें स्कॉलरशिप मिली और टाटा इंस्टीट्यूट में एडमिशन मिल गया. वहां से उन्होंने बीटेक की डिग्री पूरी की.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक रिंकू सिंह ने बताया था कि जब वह हापुड़ में तैनात थे तब उन्हें राज्य सरकार द्वारा संचालित IAS/PCS कोचिंग सेंटर का निदेशक बनाया गया. यहां पर वह बच्चों को पढ़ाया भी करते थे. यहीं से उन्हें UPSC परीक्षा देने की प्रेरणा मिली. साल 2021 में उन्होंने ये परीक्षा दी, और पास भी की. एग्जाम में उनकी ऑल इंडिया 683वीं रैंक आई और वो IAS बन गए.
जब रिंकू सिंह को 7 गोलियां मारी गईं
रिंकू सिंह ने साल 2004 में UPPCS की परीक्षा पास की थी. इसके बाद 2008 में सर्विस जॉइन की थी. उन्हें मुजफ्फरनगर के जिला समाज कल्याण विभाग में नियुक्ति मिली. इस दौरान उन्हें पता चला कि स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों का गबन हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक रिंकू सिंह ने करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले के सबूत जुटाए. पता चला कई बैंकों में जिला कल्याण अधिकारी के नाम से फर्जी खाते खोले गए थे. उनमें स्कॉलरशिप के चेक जमा कर भुनाए जा रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक स्कॉलरशिप में चल रहे फ्रॉड की शिकायत उन्होंने तत्कालीन CDO से की थी. लेकिन कथित तौर पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया. इसी मामले के चलते वह माफियाओं के निशाने पर आ गए. मार्च 2009 की बात है. अपने सरकारी आवास पर रिंकू एक सहकर्मी के साथ बैडमिंटन खेल रहे थे. तभी उन पर दो हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. उन्हें एक-दो नहीं बल्कि सात गोलियां लगीं. दो गोलियां उनके चेहरे पर लगी थीं जिससे वो पूरी तरह बिगड़ गया था. एक कान भी खराब हो गया. और एक आंख की रौशनी चली गई. हमले के बाद उन्हें तुरंत मेरठ के सुभारती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. जहां उनका एक महीने तक इलाज चला. कई ऑपरेशन के बाद वह ठीक होकर लौटे.
रिंकू सिंह उस समय PCS अधिकारी थे. उन पर हुए हमले के मामले में जांच हुई जिसके बाद पुलिस ने एक नेता सहित आठ आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. फरवरी 2021 में मुजफ्फरनगर की विशेष SC-ST कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई पूरी की. चार आरोपियों को हमले का दोषी मानते हुए 10-10 साल की कैद सुनाई गई. बाकी चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया.
रिंकू सिंह को पागलखाने में डाल दिया गया
दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कई और बात बताईं. रिंकू सिंह ने दावा किया कि ईमानदारी की वजह से कई बार उन्हें चार्जशीट, सस्पेंशन का सामना करना पड़ा. बीच के 4-5 सालों में उनका प्रमोशन नहीं हुआ था. उन्होंने ये भी दावा किया कि साजिश के तहत उन्हें पागलखाने भी भेज दिया गया था. जानबूझकर उन्हें पागल घोषित करने की प्लानिंग की गई थी.
उन्होंने बताया कि यह मामला साल 2012 का है. उन्होंने विभाग से संबंधित RTI के तहत सूचनाएं मांगी थीं. लेकिन एक साल के बाद भी कोई जानकारी नहीं दी गई. इसके खिलाफ 26 मार्च 2012 को वह लखनऊ में अनशन पर बैठ गए थे. तब अधिकारियों ने डॉक्टर से तालमेल बिठाकर उन्हें लखनऊ के मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया था. रिंकू का दावा था कि उन्हें पूरी तरह से पागल घोषित करने की योजना थी.
भास्कर से बातचीत में IAS अधिकारी ने और किस्से बताए. 2015-16 में वह श्रावस्ती में पोस्टेड थे. उन्हें 25 हजार रुपये साल के हिसाब से गाड़ी भत्ता दिया जा रहा था. जिसे वो उठा नहीं रहे थे. तब भी गाड़ी भत्ते के 25 हजार रुपये दूसरे कामों पर खर्च करने के आरोप में उन्हें चार्जशीट थमा दी गई. साल 2018 में वो ललितपुर जिले में समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात थे. उस वक्त उन पर शिक्षकों का शोषण करने का आरोप लगाया गया. यह आरोप मेस चलाने वाले ठेकेदारों की ओर से लगाया गया था.
वीडियो: सोशल लिस्ट: IAS रिंकू सिंह ने वकीलों के आगे कान पकड़ उठक-बैठक क्यों लगाई?