मौनी अमावस्या के शाही स्नान के दौरान प्रयागराज (Prayagraj Kumbh Stampede) के संगम तट पर भगदड़ मच गई. जिसमें 10 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है. भीड़ के बहुत ज्यादा दबाव के चलते बैरिकेडिंग टूट गई. जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई. फिलहाल प्रशासन राहत और बचाव के काम में जुट गया है. प्रयागराज में हुई इस हादसे से पहले भी कुंभ क्षेत्र में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं. एक हादसे के वक्त तो देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे.
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन तीन बार मच चुकी है भगदड़, जानें कब-कब कुंभ में हुए बड़े हादसे
Prayagraj Kumbh Stampede History : प्रयागराज में मौनी अमावस्या के शाही स्नान में मची भगदड़ में 10 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका हैै. कुंभ में इससे पहले भी कई दुखद हादसे हो चुके हैं. जिसमें श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
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साल 1954 का कुंभ स्वतंत्रता के बाद आयोजित पहला कुंभ था. लेकिन इस ऐतिहासिक घटना को एक त्रासदी के लिए भी याद किया जाता है. तारीख 3 फरवरी. मौनी अमावस्या का शाही स्नान. इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने के चलते त्रिवेणी बांध पर भगदड़ मच गई. एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण भगदड़ का माहौल बना. दि गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक इस हादसे में 800 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. और 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए. बताया जाता है कि हादसे के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी वहां मौजूद थे. हादसे के बाद पंडित नेहरू ने न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई. और हाई प्रोफाइल लोगों से स्नान पर्व के दौरान कुंभ न जाने की अपील की.
1986 में हरिद्वार कुंभ हादसासाल 1986 में हरिद्वार महाकुंभ में भगदड़ मच गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस भगदड़ में 47 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. 14 अप्रैल 1986 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्री समेत दो दर्जन से ज्यादा सांसद स्नान करने के लिए पहुंचे थे. वीआईपी मूवमेंट के चलते हुई अव्यस्था के कारण यहां भगदड़ मच गई. इस हादसे की जांच के लिए वासुदेव मुखर्जी कमिटी का गठन हुआ था. कमिटी ने रिपोर्ट में कहा कि मुख्य स्नान पर्व पर अतिविशिष्ट लोगों को नहीं आना चाहिए.
साल 2003 में महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के किनारे कुंभ का आयोजन हुआ था. यहां कुंभ के आखिरी शाही स्नान के दिन गोदावरी में पवित्र स्नान के लिए लाखों तार्थयात्री पहुंचे थे. इस दौरान एक साधु ने चांदी के सिक्के उछाल दिए. सिक्के लूटने के चक्कर में लोग एक दूसरे पर चढ़ने लगे. जिसके चलते अफरा-तफरी और भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 39 लोगों की मौत हुई. और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
2010 का कुंभ हादसासाल 2010 में हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हुआ था. कुंभ मेले में चौथे और आखिरी शाही स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प हो गई. इस झड़प के चलते मची भगदड़ में 7 लोगों की मौत हो गई थी. और 15 लोग घायल हुए थे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रमुख मेलाधिकारी आनंदवर्धन ने बताया कि ये हादसा बिड़ला पुल के पास तब हुआ जब एक महामंडलेश्वर की गाड़ी वहां से जा रही थी. और बेकाबू हुई इस गाड़ी ने कुछ लोगों को टक्कर मार दी. वहीं प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि साधुओं और श्रद्धालुओं में कहासुनी हुई जिसके बदा लोगों में भगदड़ मच गई.
2013 का प्रयागराज कुंभ हादसा2025 से पहले प्रयागराज में साल 2013 में पूर्ण कुंभ का आयोजन हुआ था. इस कुंभ में भी मौनी अमावस्या का स्नान एक दुखद हादसे का गवाह बना था. 10 फरवरी 2013. मौनी अमावस्या का दिन. श्रद्धालु स्नान-दान करने के बाद बड़ी संख्या में वापस लौटने के लिए रेलवे स्टेशन और बस अड्डों की ओर लौट रहे थे. प्रयागराज जंक्शन पर बड़ी संख्या में यात्रियों का जुटान हो चुका था. सभी प्लेटफॉर्म खचाखच भरे हुए थे. ओवरब्रिजों पर भी भारी भीड़ थी. शाम के सात बजे प्लेटफॉर्म नंबर 6 की ओर जाने वाली फुट ओवरब्रिज की सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मची. धक्का-मुक्की में कई लोग ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे.जबकि कई लोगों को भीड़ ने कुचल दिया.इंडिया टुडे के इनपुट के मुताबिक इस हादसे में 42 लोगों की मौत हो गई. और 45 लोग घायल हुए थे.
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इस हादसे की वजह एक अनाउंसमेंट थी. संगम से वापस लौटे यात्री रेलवे स्टेशन पर थे. और निर्धारित प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान अचानक अनाउंसमेंट हुई कि ट्रेन दूसरे प्लेटफॉर्म पर खड़ी है. और खुलने वाली है. इसके बाद लोग दूसरे प्लेटफॉर्म की ओर दौड़े. लोग फुट ओवरब्रिज से होकर जा रहे थे. इस दौरान फुट ओवरब्रिज पर लोड इतना ज्यादा बढ़ गया कि पुल नीचे गिर गया.
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