‘गुजरात एंटी टेररिज्म स्क्वाड’ (Gujarat ATS) ने 28 साल के एक हेल्थ वर्कर को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार (Pakistani Spy Arrested) किया है. आरोपी की पहचान सिद्देवसिंह गोहिल के रूप में हुई है. आरोप है कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को एक पाकिस्तानी एजेंट को भेजा.
एक और जासूस पकड़ा गया, अपने SIM को पाकिस्तानी महिला की डिवाइस में एक्टिवेट कर चुका था
Gujarat ATS Arrested Spy: आरोपी ने अपने आधार कार्ड से एक सिम कार्ड लिया और OTP के जरिए पाकिस्तानी एजेंट के डिवाइस पर एक्टिवेट करा दिया.

28 साल के गोहिल की गिरफ्तारी सीमावर्ती जिले कच्छ से हुई है. आरोपी नारायण सरोवर का रहने वाला है. गुजरात ATS के मुताबिक, 29 अप्रैल को PSI आर आर गरचर को एक गुप्त सूचना मिली थी. पता चला कि गोहिल ने BSF और नौसेना की संवेदनशील जानकारियां वॉट्सऐप के जरिए पाकिस्तान में एक महिला एजेंट को भेजा है.
ये सूचना ATS के वरिष्ठ अधिकारियों और सेंट्रल एजेंसियों को दी गई. इसके बाद आरोपी से पूछताछ की गई. इंडिया टुडे इनपुट्स के मुताबिक, पूछताछ में पता चला कि आरोपी साल 2023 के जून-जुलाई महीने से एक महिला के संपर्क में था. महिला ने गोहिल से अपना नाम अदिती भारद्वाज बताया है. ATS ने कहा है कि वो एक पाकिस्तानी एजेंट है.
महिला एजेंट गोहिल से BSF और भारतीय नौसेना के कंस्ट्रक्शन साइट, अधिकारियों की तस्वीरें और वीडियो मंगवाती थी. ATS के अनुसार, जनवरी 2025 में आरोपी ने अपने आधार कार्ड पर एक नया सिम कार्ड लिया. फरवरी 2025 में इस नंबर से गोहिल ने महिला एजेंट के डिवाइस OTP के जरिए वॉट्सऐप एक्टिवेट करवा दिया. इसी नंबर पर संवेदनशील जानकारियां भेजी गईं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी को खुफिया जानकारी देने के लिए एक बिचौलिए के जरिए कथित तौर 40 हजार रुपये मिले थे.
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आरोपी के मोबाइल को फॉरेंसिक जांच के लिए FSL लैब भेजा गया था. फोन के डेटा का टेक्निकल एनालिसिस किया गया. इसके बाद आरोपी के वॉट्सऐप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग के डेटा में संवेदनशील फोटोज और वीडियो होने के पक्के सबूत मिले.
इन्हीं सबूतों के आधार पर ATS ने सिद्देवसिंह गोहिल और उस महिला एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 (आपराधिक साजिश) और 148 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना या उकसाना) के तहत FIR दर्ज हुई है. इस मामले में आगे की जांच की जा रही है.
ATS अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पहले तो मामले की गंभीरता का पता लगाने में काफी दिक्कतें आईं. क्योंकि गोहिल के फोन से काफी डेटा डिलीट हो गया था. FSL ने उसे रिस्टोर किया उसके बाद मामला स्पष्ट हो पाया.
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