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नायब सिंह सैनी सरकार अविश्वास प्रस्ताव में पास, वोटिंग से पहले ही वॉकआउट कर गई कांग्रेस

कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को सरकार के खिलाफ 'चार्जशीट' बताया था, और सभी मोर्चों पर विफलता का आरोप लगाया था. हालांकि वोटिंग से पहले ही विपक्षी दल वॉकआउट कर गया.

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भाजपा के पास 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत है, इसलिए प्रस्ताव का विफल होना पहले से ही तय माना जा रहा था. (फोटो- ANI)

हरियाणा विधानसभा में आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव विफल हो गया. कांग्रेस विधायकों के सदन से वॉकआउट करने के बाद प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. विरोधी दलों की अनुपस्थिति में इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया.

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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अविश्वास प्रस्ताव पर करीब डेढ़ घंटे तक जवाब दिया. उनके भाषण के दौरान कांग्रेस विधायक असहज नजर आए और सदन का समय बढ़ने पर उन्होंने वॉकआउट कर दिया. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वो विषय से 'भटका’ रहे हैं और चर्चा को दूसरे मुद्दों पर ले जा रहे हैं. CM नायब सैनी ने चर्चा के दौरान कहा,

"मैंने इनका अविश्वास प्रस्ताव पढ़ा है, मैं हैरान हूं कि कहीं ये प्रस्ताव हड़बड़ी में तो नहीं ले आए. इन कांग्रेसियों ने अपने सीनियर नेता रघुवीर कादियान को बलि का बकरा तो नहीं बना दिया."

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सीएम सैनी ने कहा,

“राहुल गांधी ने वोट चोरी का आरोप लगाते हुए एक लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने विशेष रूप से हरियाणा को टारगेट किया. मैंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि किसी ने स्क्रिप्ट लिखकर राहुल गांधी को दे दी है. जिस विधानसभा क्षेत्र में राहुल गांधी ने वोट चोरी का आरोप लगाया, वहां कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा और संसदीय दोनों चुनाव जीते. राहुल गांधी ने दावा किया कि एक ही फोटो से दो बूथों पर 223 वोट बनाए गए. उस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का MLA जीता है. जिन दो बूथों का जिक्र किया गया, वहां से लोकसभा MP भी कांग्रेस का ही है. मुझे समझ नहीं आता कि राहुल गांधी को ये फेक स्क्रिप्ट कौन लिखकर दे रहा है. मुझे लगता है कि राहुल गांधी को ये फेक स्क्रिप्ट देने वालों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.”

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सीेएम सैनी ने वोट चोरी के आरोपों पर राहुल गांधी के घेरा.

वहीं कांग्रेस विधायक रघुवीर कादियान ने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के लिए ‘पर्ची-खर्ची’ की बात करती है, जबकि भाजपा के राज में यूनिवर्सिटीज में वाइस चांसलर पर्ची-खर्ची से लगाए गए हैं.

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अविश्वास प्रस्ताव में क्या आरोप थे?

विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को हरियाणा विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 65 के तहत स्वीकार किया था. ये प्रस्ताव कांग्रेस के अधिकांश विधायकों के हस्ताक्षर से लाया गया था और शुक्रवार, 19 दिसंबर को इस पर चर्चा निर्धारित थी. प्रस्ताव में कांग्रेस ने जो आरोप लगाए थे, वो इस प्रकार हैं:

- सरकार जनविरोधी नीतियों और कमजोर प्रबंधन के कारण पूरी तरह विफल हो चुकी है.
- राज्य के हर वर्ग की जनता से विश्वास खो चुकी है.
- राज्य अपराध, नशा, बेरोजगारी, अशिक्षा, असमानता और पर्यावरणीय गिरावट की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
- कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर: हत्या, बलात्कार, अपहरण और लूट आम हो गई है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की आत्महत्या इसकी गवाही देती है.
- भाजपा ने रिश्वतखोरी और हेराफेरी से वोट चोरी कर असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथिया ली है. ये सरकार जनता के जनादेश पर आधारित नहीं है.
- सरकारी नौकरियों में भर्ती रुकी हुई है, पेपर लीक आम हो गए हैं. HPSC और HSSC की चयन प्रक्रिया पर संदेह है.
- किसानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है, वो आत्महत्या करने को मजबूर हैं.
- करदाताओं के पैसे को शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं के बजाय दिखावटी आयोजनों, विज्ञापनों और प्रचार स्टंट पर खर्च किया जा रहा है.

कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को सरकार के खिलाफ 'चार्जशीट' बताया था, और सभी मोर्चों पर विफलता का आरोप लगाया था. जिसमें वोट चोरी, कानून-व्यवस्था बिगड़ना, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पुरण कुमार की आत्महत्या, राज्य कर्ज बढ़ना, भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताएं और खेल सुविधाओं सहित बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति की बात कही गई थी. 

भाजपा के पास 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत है, इसलिए प्रस्ताव का विफल होना पहले से ही तय माना जा रहा था. मुख्यमंत्री सैनी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि जनता ने कांग्रेस को स्पष्ट रूप से नकार दिया है और वो हताशा में ऐसे आरोप लगा रहे हैं.

वीडियो: राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस में 'हरियाणा चुनाव में धांधली' का बड़ा दावा किया, बाद में क्या सामने आया?

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