'नौकरी के नाम पर रूस गए, और वहां जंग में सैनिक बना दिया गया.' ऐसी न जाने कितने भारतीयों की कहानियां हमारे सामने आ चुकी हैं. अब फिर से हैदराबाद के मोहम्मद अहमद इसके शिकार हुए हैं. अहमद द्वारा भेजे गए एक वीडियो में उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें नौकरी के नाम पर रूस भेजा गया. लेकिन वहां उनके हाथ में बंदूक थमा दी गई. अहमद के वीडियो जारी करने के बाद उनकी पत्नी अफ्शा बेगम ने सरकार से अपील की है कि उनके पति को बचाया जाए.
'गन कनपटी पर रखकर कहते हैं, लड़ो नहीं तो मार देंगे' रूस-यूक्रेन जंग में फंसे हैदराबाद के अहमद की दर्दनाक कहानी
हैदराबाद के अहमद द्वारा भेजे गए एक वीडियों में उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें नौकरी के नाम पर रूस भेजा गया. लेकिन वहां उनके हाथ में बंदूक थमा दी गई.


मोहम्मद अहमद , हैदराबाद के एम एस मक्ता, राज भवन के इलाके के निवासी हैं. वीडियो में वो फौजी कपड़ों में नजर आ रहे हैं. अहमद कहते हैं
जहां मैं हूं, ये पूरा बॉर्डर का इलाका है. जंग चल रही है. जितने लोग लड़ने गए, उनके स्लीपिंग बैग यहीं पड़े हैं. हम 25 लोग थे जिसमें से 17 मारे गए. हमारे साथ एक भारतीय भी था. वो भी जंग में मारा गया. वो कहते हैं कि लड़ने जाओ, नहीं तो गन निकालकर कनपटी पर लगा देते हैं. कहते हैं कि नहीं गए तो मार कर दफना देंगे. कह देते हैं कि तुझे बम या ड्रोन लग गया.
वीडियो में अहमद आगे भावुक होकर उस एजेंट का जिक्र करते हैं जिसकी वजह से वो जंग के मैदान में पहुंचे. अहमद ने कहा
आगे क्या होगा, पता नहीं. लेकिन उस एजेंट को नहीं छोड़ना. उसने मुझे 25 दिन तक बैठाए रखा. उसने मुझे फंसा दिया. काम दे दिया होता तो मैं यहां नहीं होता. 2-3 जगह भेजा, लेकिन कहीं काम नहीं मिला.
अहमद अपने वीडियो में ट्रस्ट कंसल्टेंसी नाम की कंपनी के आदिल नाम के शख्स पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने उनके साथ धोखा किया. वीडियो आने के बाद हैदराबाद के रह रही अहमद की पत्नी अफ्शा बेगम ने विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है.
अहमद की पत्नी अफ्शा बेगम ने बताया कि उनके पति नौकरी के लिए रूस गए थे. वहां उन्हें फंसा दिया गया. सब कुछ मुंबई से प्रोसेस हुआ था. लेकिन उनसे झूठ बोला गया. उन्होंने विदेश मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने अहमद के पासपोर्ट नंबर से लेकर तमाम डिटेल्स साझा की हैं. उन्होंने भी अपनी चिट्ठी में ट्रस्ट कंसल्टेंसी का जिक्र किया है. चिट्ठी में उन्होंने बताया
अहमद 25 अप्रैल, 2025 को भारत से रूस गए थे. एक महीने तक कोई काम नहीं था. फिर उनके साथ 29 और लोगों को दूर-दराज के इलाके में ले जाकर हथियारों की ट्रेनिंग दी गई. कुल 30 लोग थे जिसमें से 6 भारतीय थे. ट्रेनिंग के बाद कुल 26 लोगों को यूक्रेन के बॉर्डर के पास ले जाया गया.
अफ्शा आगे लिखती हैं कि बॉर्डर एरिया में जाने के दौरान उनके पति गाड़ी से कूद गए और लड़ने से मना कर दिया. इसी वजह से उनका पैर टूट गया. बकौल अफ्शा, उनके घर में उनके पति अकेले कमाने वाले हैं. घर में बूढ़ी मां हैं जो पैरालिसिस से पीड़ित हैं. एक दस साल की बेटी और चार साल का बेटा भी है. अफ्शा ने लेटर में अपने पति का रूस का फोन नंबर और वाट्सएप नंबर भी लिखा है. उनकी अपील है कि सरकार इस दिशा में कदम उठाए और उनके पति को बचाए.

ये पहला मामला नहीं है जब भारतीयों को रूस-यूक्रेन की जंग में होने की बात सामने आई है. ऐसे कई मामले हैं जहां रूस में फंसे भारतीयों ने मदद की गुहार लगाई है. इनमें कोई पढ़ाई करने गया था, तो कोई काम की तलाश में. लेकिन अधिकतर लोगों को धोखे से भेजा गया. जंग लड़ रहे कई भारतीयों की मौत भी हो गई है. वहीं कुछ ने जंग में सरेंडर भी किया है. फिलहाल इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय की ओर को कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन रूसी दूतावास ने पिछले साल एक बयान में कहा था कि वह अब अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती नहीं करता. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारतीयों को ऐसी नौकरियों के जाल में फंसने से बचाने के लिए कई चेतावनियां और सलाह जारी की हुई हैं.
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