सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई (CJI BR Gavai) पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर (Advocate Rakesh Kishore) अब घिरते नजर आ रहे हैं. पहले 'जीरो एफआईआर' होने के बाद अब उन पर आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) का केस चलेगा. भारत के अटॉर्नी जनरल (Attorney General) ने वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने पर सहमति दे दी है.
CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर पर चलेगा अवमानना का मुकदमा
Solicitor General Tushar Mehta ने Justice Suryakant की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि Attorney General की ओर से Rakesh Kishore के खिलाफ Criminal Contempt का केस चलाने की अनुमति मिल गई है.


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि अटॉर्नी जनरल की ओर से राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की अनुमति मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को अटॉर्नी जनरल की ओर से एक लेटर जारी किया गया है. इस लेटर में अटॉर्नी जनरल ने वकील राकेश किशोर के कृत्य को निंदनीय बताया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस तरह का आचरण उस सिस्टम पर हमला है, जिस पर लोगों को न्याय देने की जिम्मेदारी है.
राकेश किशोर ने क्या कहा था?चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश ने भी मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा था. उन्होंने कहा था
मैं बहुत ज्यादा आहत हुआ. 16 सितंबर को किसी व्यक्ति ने कोर्ट में PIL दाखिल की. गवई साहब ने उसका पूरी तरह से मजाक उड़ाया. मजाक यानि उन्होंने कहा कि आप मूर्ति से कहो कि वो खुद अपना सर री-स्टोर कर लें. जबकि हम देखते हैं कि यही चीफ जस्टिस बहुत सारे दूसरे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं.
वकील राकेश ने कहा था कि वो अहिंसा में यकीन रखते हैं. आज तक उन पर किसी भी तरह का कोई केस नहीं है. न ही वो किसी ग्रुप या संगठन से जुड़े हैं. बावजूद इसके, उन्हें ये क्यों करना पड़ा? ये पूरे देश को सोचना चाहिए. वकील ने ये भी कहा कि वो पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं, गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि 6 अक्टूबर की घटना के दौरान वो पूरी तरह होश में थे, न कि किसी तरह के नशे में. वकील के अनुसार CJI के साथ जो करने की कोशिश उन्होंने की, उसके लिए उन्हें कोई डर या किसी बात का अफसोस नहीं है.
पहले ही हो चुकी है ‘जीरो एफआईआर’अवमानना केस से पहले ही वकील राकेश पर जीरो एफआईआर दर्ज हो चुकी है. भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 132 और 133 के तहत यह एफआईआर दर्ज की गई है. धारा 132 तब लगती है जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक (जैसे पुलिस अधिकारी या सरकारी कर्मचारी) पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है. ये हमला तब हुआ जब वह व्यक्ति अपने सरकारी कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा हो. और हमला उसे ऐसा करने से रोकने के इरादे से ऐसा किया गया हो. इस आरोप के सिद्ध होने पर दो साल की जेल या जुर्माना, या दोनों एक साथ हो सकते हैं.
वहीं धारा 133 तब लगती है जब कोई किसी व्यक्ति पर गंभीर और अचानक उकसावे के अलावा उस व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है. इस मामले में भी दो साल की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं. ये एफआईआर 'ऑल इंडिया एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु' की ओर से दर्ज कराई गई है. उन्होंने कहा कि वकील राकेश किशोर की इस हरकत से कानून और न्यायपालिका का अपमान हुआ है.
वीडियो: CJI गवई पर हमला करने वाले वकील राकेश किशोर ने क्या बताया?