मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि ‘आदर्श भारतीय पत्नी’ वह होती है जो पति के दशकों तक छोड़ देने के बाद भी परिवार का साथ न छोड़े. कोर्ट तलाक के एक मामले की सुनवाई कर रहा था. इसमें एक महिला को उसके पति ने 20 साल से छोड़ दिया था. पति का कहना था कि शादी से पत्नी खुश नहीं थी और दाम्पत्य की जिम्मेदारियां भी नहीं निभाती थी. वहीं, पत्नी ने ये आरोप खारिज कर दिए और बताया कि पति के छोड़ देने के बाद भी वह ससुराल में सास-ससुर, देवर और ननद के साथ संयुक्त परिवार की तरह रहती है. इस पर कोर्ट ने उसकी तारीफ की और कहा कि ‘भारतीय आदर्श नारी' के संस्कार ऐसे ही होते हैं.
पति ने सालों पहले छोड़ दिया, लेकिन पत्नी ने ससुराल नहीं छोड़ा, HC बोला- 'ये है आदर्श भारतीय पत्नी'
मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट में तलाक का एक मामला आया था. एक व्यक्ति ने यह कहते हुए पत्नी से तलाक मांगा था कि वह शादी से खुश नहीं है. शादी के बाद की अपनी जिम्मेदारियां भी नहीं निभाना चाहती.

इंडिया टुडे से जुड़ीं नलिनी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर के पिपलदा गांव के रहने वाले दंपती की शादी हिंदू रीति-रिवाजों के साथ साल 2002 में हुई थी. दोनों का एक बेटा भी है. शादी के बाद पति-पत्नी अलग रहने लगे. कोर्ट को पति ने बताया कि पत्नी उसे पसंद नहीं करती. उस पर शराब पीने और दूसरी महिलाओं से संबंध रखने का आरोप लगाती है. विवाह के बाद संबंध निभाने में उसकी बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी. जब वो प्रेग्नेंट थी, तब भी उसे इसकी कोई खुशी नहीं हुई. यहां तक कि बच्चा पैदा होने के बाद वह मायके चली गई और साथ रहने से इनकार कर दिया.
पत्नी ने पति के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उसने कहा कि पति ने उससे तलाक लेने के लिए झूठे आरोप गढ़े हैं. उसने शादी के बाद पत्नी की अपने सारी जिम्मेदारियां निभाई हैं. पत्नी ने आरोप लगाया कि उससे अलग रहने के दौरान पति अपनी एक महिला कॉलीग के साथ प्रेम संबंध में भी रहा. इन सबके बावजूद वह कभी अपना ससुराल छोड़कर नहीं गई. अपने सास-ससुर, देवर और ननद के साथ एक संयुक्त हिंदू परिवार के सदस्य के रूप में रही.
अदालत को पत्नी की बातों में तब दम नजर आया जब उसने देखा कि पति के सपोर्ट में खुद उसका परिवार भी कोर्ट में गवाही देने नहीं आया. कोर्ट ने कहा कि पति के परिवार का कोई सदस्य अदालत में नहीं है. इससे साफ होता है कि उसके आरोप झूठे हैं. उसे अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी को लेकर अपमानजनक व्यवहार और उपेक्षा का फायदा नहीं उठाने दिया जा सकता. वह आज भी इस उम्मीद में अपने ससुराल में रुकी है कि एक दिन उसके पति को ‘सद्बुद्धि’ आएगी और वह उसके साथ फिर से रहने लगेगा.
पीठ ने की पत्नी की जमकर तारीफकोर्ट ने पत्नी की जमकर तारीफ की और उसे 'आदर्श भारतीय पत्नी' बताया. जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की पीठ ने कहा,
यह अनोखा मामला है, जो पत्नी के रूप में एक भारतीय महिला की अपने परिवार के प्रति निष्ठा को दिखाता है. वह पूरी कोशिश करती है कि उसका परिवार न टूटे.
कोर्ट ने कहा,
हिंदू धर्म के अनुसार, शादी एक पवित्र, शाश्वत और अटूट बंधन है. एक आदर्श भारतीय पत्नी को अगर उसका पति छोड़ भी दे तो भी वह सदाचार का प्रतीक बनी रहती है. उसका व्यवहार धर्म, सांस्कृतिक मूल्यों और शादी की पवित्रता को दिखाता है.
पीठ के मुताबिक, पति के छोड़ देने की तकलीफ के बाद भी पत्नी अपने धर्म पर अड़ी रही. कड़वाहट और निराशा में उसने अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी को कम नहीं होने दिया. वह न तो अपने पति की वापसी की भीख मांगती है. न ही उसे बदनाम करती है. बल्कि अपने शांत धैर्य और नेक आचरण को अपनी ताकत बनाती है. उसने कोशिश की कि उसके काम से ससुराल या मायके पर कोई दाग न लगे.
कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने अपने पति के त्याग देने के बावजूद आदर्श भारतीय बहू की तरह ससुराल में रहकर ससुर-सास की सेवा की. अपनी गरिमा बनाए रखी और पति के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की. उसने अपने विवाह को कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि संस्कार माना और मंगलसूत्र-सिंदूर नहीं छोड़ा. अदालत ने इसे उसकी सहनशीलता, सम्मान और दृढ़ चरित्र का प्रमाण बताते हुए कहा कि विवाह आपसी सहिष्णुता, समायोजन और सम्मान पर टिका होता है और छोटे-मोटे मतभेदों को बढ़ाकर रिश्ते तोड़ना उचित नहीं.
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