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यूपी: बच्चे की आंख पर लगी चोट, डॉक्टर ने फेवीक्विक से घाव चिपका दिया, पता है फिर क्या हुआ?

ये मामला मेरठ का है. यहां के रहने वाले जसपिंदर सिंह का ढाई साल का बेटा गुरुवार 19 नवंबर की शाम को घर में खेलते समय मेज के कोने से टकरा गया. इसके बाद माता-पिता उसे लेकर एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे. फिर डॉक्टर ने जो किया कोई सोच नहीं सकता.

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(फोटो- वीडियो ग्रैब/आजतक)
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उस्मान चौधरी

उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक प्राइवेट हॉस्पिटल से डॉक्टर की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां एक ढाई साल के बच्चे को आंख के पास चोट लगी थी. पैरंट्स जब बच्चे को अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टर ने टांके लगाने के बजाय बच्चे के घाव को 5 रुपये की फेविक्विक से चिपकाना बेहतर समझा. आराम मिलने के बजाय बच्चा पूरी रात दर्द से तड़पता रहा. अगले दिन घर वाले उसे दूसरे हॉस्पिटल लेकर गए. यहां तीन घंटे के इलाज के बाद उसे आराम मिला. मामला सामने आने के बाद मेरठ के सीएमओ ने जांच के आदेश दिए हैं.

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आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना मेरठ के जागृति विहार एक्सटेंशन स्थित मेपल्स हाइट की है. यहां के रहने वाले फाइनेंसर जसपिंदर सिंह का ढाई साल का बेटा गुरुवार 19 नवंबर की शाम को घर में खेलते समय मेज के कोने से टकरा गया. उसे आंख के पास ऊपर के हिस्से चोट आई. खून निकला. वह रोने लगा. इसके बाद माता-पिता उसे पास के एक प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे.

माता-पिता के मुताबिक, बच्चे की चोट देखकर डॉक्टर ने उनसे 5 रुपये वाली फेविक्विक लाने को कहा. पैरंट्स भी डॉक्टर का विश्वास करते हुए फेविक्विक ले आए और डॉक्टर को थमा दी. इसके बाद डॉक्टर ने घाव को साफ करके टांके लगाने के बजाय चोट वाले हिस्से पर फेविक्विक लगाकर चिपका दिया. पैरंट्स का कहना है कि प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर ने न तो बच्चों को ठीक से देखा और न ही उसका ठीक से इलाज किया.

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पैरंट्स ने बताया कि फेविक्विक से चिपकाने के बाद बच्चा लगातार दर्द से तड़पता रहा. डॉक्टर बार-बार उन्हें भरोसा दिला रहे थे कि थोड़ी देर में उसे आराम आ जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बच्चे ने पूरी रात दर्द और तड़प में बिताई. सुबह होते ही माता-पिता बच्चे को लेकर दूसरे अस्पताल गए. पैरंट्स ने इस अस्पताल के डॉक्टरों को फेविक्विक वाली बात बताई. इसके बाद डॉक्टरों ने बिना देरी के बच्चे का इलाज किया.

माता-पिता के मुताबिक, यहां के डॉक्टरों को बच्चे की चोट से फेविक्विक हटाने और पूरा इलाज करने में तीन घंटे लग गए. डॉक्टरों ने पूरी सावधानी बरतते हुए त्वचा की परत दर परत फेविक्विक हटाई ताकि स्किन और आंख को नुकसान न पहुंचे. जैसे ही फेविक्विक पूरी तरह हटी और घाव दिखने लगा तो डॉक्टरों ने तुरंत उस पर चार टांके लगाए. बच्चे के पिता ने बताया कि दूसरे अस्पताल के डॉक्टरों ने उनसे कहा कि फेविक्विक लगाना बेहद खतरनाक हो सकता था. अगर थोड़ी भी फेविक्विक आंख में चली जाती तो बच्ची की आंख की रोशनी प्रभावित हो सकती थी.

माता-पिता ने इस लापरवाही की शिकायत मेरठ के सीएमओ से भी की. सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने बताया कि बच्चे के पैरंट्स से शिकायत मिली है. यह बहुत ही दुखद और चिंता पैदा करने वाला मामला है. इस पर एक जांच समिति बना दी गई है. कमेटी पूरे मामले की विस्तार से जांच करेगी. रिपोर्ट आने के बाद जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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सीएमओ ऑफिस के मुताबिक, जांच कमेटी यह देखेगी कि प्राइवेट अस्पताल में मौजूद डॉक्टर प्रशिक्षित था भी या नहीं, क्या उसकी योग्यता अस्पताल की मानक सूची के अनुसार थी और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं मौजूद थीं या नहीं.

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