आज के समय में सोशल मीडिया (Social Media) अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए सबसे मजबूत माध्यमों से एक है. लेकिन आप अगर महाराष्ट्र में रहते हैं और राज्य सरकार या केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं तो विचारों पर थोड़ी लगाम लगानी पड़ सकती है. ऐसा कहा गया है महाराष्ट्र सरकार के एक संकल्प यानी रिसॉल्यूशन (Government Resolution) में. इस रिसॉल्यूशन के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर न तो किसी पुरानी, न किसी नई नीति की आलोचना करनी है.
'सरकारी बाबू' सोशल मीडिया पर सरकार को न कोसें, महाराष्ट्र सरकार का फरमान
Maharashtra Government के General Administration Department की तरफ से एक Circular जारी हुआ. ये सर्कुलर महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी, डेपुटेशन पर काम कर रहे लोगों, संविदा कर्मियों या किसी भी तरह से सरकार से जुड़े कर्मचारियों के लिए है.

28 जुलाई, 2025 को महाराष्ट्र सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट की तरफ से एक सर्कुलर जारी हुआ. ये सर्कुलर महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी, डेपुटेशन पर काम कर रहे लोगों, संविदा कर्मियों या किसी भी तरह से सरकार से जुड़े कर्मचारियों के लिए है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये सर्कुलर पीएसयू, कॉर्पोरेशन बोर्ड्स में काम करने वालों को भी जारी किए गए थे. इस सर्कुलर में कहा गया है,
सरकारी कर्मचारियों को राज्य या केंद्र सरकार के कामकाज, कार्यों या नीतियों पर आलोचना या टिप्पणी करने से सख्त मना किया जाता है. चाहे वे वर्तमान की नीतियां हों या पहले की. ऐसे किसी भी काम को महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1979 का उल्लंघन माना जाएगा और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
सर्कुलर में आगे कहा गया,
किसी भी आपत्तिजनक, घृणास्पद, मानहानि या भेदभावपूर्ण सामग्री को पोस्ट करना, शेयर करना या फॉर्वर्ड करना सख्त मना है. किसी भी गोपनीय या आधिकारिक दस्तावेज को, चाहे आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से, बिना परमिशन के किसी भी प्लेटफॉर्म पर शेयर, अपलोड या फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता.
कुल मिलाकर ये सर्कुलर सरकारी कर्मचारियों को ये कह रहा है कि सोशल मीडिया पर 'जिम्मेदारी' भरा व्यवहार करें. किसी भी हाल में सरकारी सेवाओं की निष्पक्षता और सम्मान से समझौता नहीं होना चाहिए. लेकिन इसमें किसी नीति की आलोचना नहीं करनी, ये बात भी जोड़ी गई है. यही वजह है कि महाराष्ट्र सरकार का ये सर्कुलर मात्र एक सर्कुलर नहीं, हेडलाइन भी बन गया है.
सरकार के आदेश के मुताबिक कर्मचारियों को ये निर्देश दिया गया है कि वो सोशल मीडिया पर दो अकाउंट रखें. एक अपना पर्सनल अकाउंट, जिसपर वो निजी बातें शेयर करें, दूसरा पब्लिक अकाउंट जिसपर वो ऑफिशियल स्टैंड शेयर करें. इसके अलावा सभी को ऐसे ऐप्स या वेबसाइट्स इस्तेमाल करना मना है जो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा बैन किए गए हैं.
सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया सूचनाओं के आदान-प्रदान, लोगों की सहभागिता, को-ऑर्डिनेशन और कम्युनिकेशन के लिए एक जरूरी माध्यम बन गया है. फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), लिंक्डइन, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल न केवल नागरिकों द्वारा, बल्कि सरकारी अधिकारियों द्वारा भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. हालांकि, वही सुलभता जो सोशल मीडिया को प्रभावी बनाती है, उसी से गंभीर जोखिम भी पैदा होते हैं.
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