केरल (Kerala) विधानसभा में विपक्ष ने ‘दिमाग खाने वाले अमीबा’ अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सत्र का बहिष्कार किया. उन्होंने सरकार पर आंकड़े छिपाने के आरोप लगाए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सरकार इस अमीबा को फैलने से रोकने में विफल रही है.
दिमाग खाने वाले अमीबा ने ले ली 19 की जान, केरल सरकार पर आंकड़े छिपाने के आरोप लग रहे हैं
Amoebic Meningoencephalitis एक ऐसा संक्रमण है जो बहुत कम होता है. लेकिन ये बहुत ही खतरनाक इंफेक्शन होता है. केरल में इसके कारण 19 लोगों की जान चली गई है.


यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) विधायक एन शम्सुद्दीन ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री और उनका विभाग असली संख्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. शम्सुद्दीन ने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्री और उनका विभाग पहले भी ऐसा कर चुके हैं. उन्होंने कहा,
ऐसे लोग हैं जो अपने घरों में थे और नहाने के बाद उनकी जान चली गई. (इस संक्रमण के कारण)
विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने स्वास्थ्य मंत्री पर सवाल उठाते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा,
‘दुनिया की सारी बीमारियां केरल में क्यों?’जब अमीबिक मेनिन्जाइटिस की बात हो रही है, तो वो (स्वास्थ्य मंत्री) 10 साल पीछे क्यों जा रही हैं? राज्य में पहला मामला 2016 में सामने आया था. आप साढ़े नौ साल से सरकार में हैं.
सतीशन ने आगे कहा कि केरल में इस अमीबा के 120 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से 68 इस साल ही हुए हैं और 19 मौतें हुई हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों में आठ मौतें हुई हैं. सतीशन ने कहा कि इसके इलाज के लिए कोई प्रोटोकॉल नहीं है और जागरूकता के लिए कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं. उन्होंने कहा,
दुनिया की सारी बीमारियां केरल में हैं. क्या हमें उनके कारणों का पता नहीं लगाना चाहिए? क्या हमारे पास स्वास्थ्य आंकड़े नहीं होने चाहिए? मैंने पहले ही कहा है कि कोविड के बाद केरल में मृत्यु दर बढ़ी है. क्या स्ट्रोक से पीड़ित लोगों की संख्या नहीं बढ़ी है? हम कहते रहे हैं कि हमें विश्लेषण की जरूरत है. क्या स्वास्थ्य विभाग के पास आंकड़े नहीं होने चाहिए? क्या हम ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरा सहयोग नहीं देंगे? लेकिन आप इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं.
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केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने क्या जवाब दिया?विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि ये संक्रमण पानी के स्रोतों से पैदा होता है और शायद ही कभी इंसानों को दिक्कत पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि इसका पहला मामला 2026 में सामने आया था और दुनिया भर में मैनिंजाइटिस के केवल 45 से 55 प्रतिशत मामलों में ही इसके कारणों का पता चल पाया है. वीना जॉर्ज ने आगे कहा,
हम सभी माइक्रोबायोलॉजी लैब में इसकी जांच कर सकते हैं. ये पता लगाने के लिए कि ये कौन सा अमीबा है, हमें पीसीआर टेस्ट करना होगा. पहले इसकी व्यवस्था केवल चंडीगढ़ और पांडिचेरी में ही थी, लेकिन अब ये केरल में भी है. सभी जिलों में हम जांच करके पता लगा सकते हैं कि ये अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस है या नहीं… हम अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के उपचार के लिए दिशानिर्देश बनाने वाले पहले राज्य हैं.
विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के अनुसार, 16 सितंबर केरल में इस साल अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के 71 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 19 मौतें हुई हैं.
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