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ठहरे पानी में रहता है दिमाग खाने वाला अमीबा, नाक से शरीर में गया तो मौत '97%' तय है

केरल के कोझिकोड में नौ साल की एक बच्ची की 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' से मौत हो गई.

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deaths in Kerala due to brain eating amoeba, find out what is it and how to prevent this
केरल का एक ज़िला है कोझिकोड. यहां नौ साल की एक बच्ची की मौत हो गई. वजह-दिमाग खाने वाले अमीबा की वजह से होने वाला एक इंफेक्शन है.
19 अगस्त 2025 (Published: 04:09 PM IST)
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केरल का एक ज़िला है कोझिकोड. यहां नौ साल की एक बच्ची की मौत हो गई. वजह दिमाग खाने वाले अमीबा की वजह से होने वाला एक इंफेक्शन है. अमीबा यानी एक-कोशिकीय जीव, जो अपना आकार बदल सकता है. इस इंफेक्शन का नाम है अमीबिक मैनिंजोएन्सेफलाइटिस. इसे PAM यानी प्राइमरी अमीबिक मैनिंजोएन्सेफलाइटिस कहते हैं. ये एक कम होने वाला, लेकिन बहुत ही खतरनाक इंफेक्शन है.

बच्ची के अलावा, ज़िले के दो और लोग इस ख़तरनाक इंफेक्शन से जूझ रहे हैं. इनमें से एक 3 महीने का बच्चा और एक अन्य शख्स शामिल हैं. इस साल अब तक केरल में इस इंफेक्शन के आठ मामले सामने आ चुके हैं और दो की मौत हुई है. पिछले साल भी इससे केरल में 3 बच्चों की मौत हुई थी.

हेल्थ डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि कोझिकोड ज़िले में आए तीनों मामलों में कोई कॉमन फैक्टर नहीं है. तीनों ही मामले ज़िले के अलग-अलग गांवों से आए हैं. उन्हें ये भी नहीं समझ आ रहा कि आखिर 3 महीने के बच्चे को ये इंफेक्शन हुआ कैसे. हालांकि अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि ये इंफेक्शन फैलाने वाला अमीबा पानी में हो सकता है. इस पानी से बच्चे को नहलाया गया होगा. और, तब बच्चे की नाक के ज़रिए ये अमीबा उसके शरीर में पहुंच गया होगा. पर ये दिमाग खाने वाला अमीबा धूल और मिट्टी में भी पाया जाता है. इसलिए ज़रूरी नहीं कि ये पानी के ज़रिए ही बच्चे के शरीर में गया हो.

पर ये दिमाग खाने वाला अमीबा है क्या? और ये कैसे बीमारी फैलाता है? इसके बारे में हमने पूछा आर्टेमिस हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट डॉक्टर विवेक बरुन से.

Vivek Barun - click2cure
डॉ. विवेक बरुन, कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजी, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स

डॉक्टर विवेक बताते हैं कि अमीबिक मैनिंजोएन्सेफलाइटिस, नेगलेरिया फाउलेरी नाम के अमीबा की वजह से होता है. इसे ब्रेन ईटिंग अमीबा भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये दिमाग में जाकर वहां के टिशूज़ यानी ऊतकों को नष्ट कर देता है. ये अमीबा गर्म और ताज़ा पानी वाली जगहों पर पाया जाता है. जैसे झीलें, नदियां, तालाब और झरने वगैरह. ये मिट्टी में भी पाया जाता है.

नेगलेरिया फाउलेरी एक फ्री-लिविंग अमीबा है. यानी ये पानी और मिट्टी में बिना किसी और जीव की मदद के रह सकता है. ये नाक के ज़रिए ही शरीर में घुसता है. जब कोई व्यक्ति ऐसे पानी में नहाता या डुबकी लगाता है. जिसमें ये अमीबा हो. तब ये नाक के रास्ते दिमाग तक पहुंच सकता है. इससे दिमाग के टिशूज़ नष्ट होने लगते हैं. दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज़ की मौत हो जाती है.

इस अमीबा से होने वाली बीमारी अमीबिक मैनिंजोएन्सेफलाइटिस के लक्षण दो से 15 दिनों में नज़र आने लगते हैं. पहले सिरदर्द, बुखार, उबकाई और उल्टी होती है. फिर गर्दन में अकड़न आ जाती है. व्यक्ति को भ्रम होने लगता है. उसे दौरे तक पड़ सकते हैं या वो कोमा में भी जा सकता है.

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 ये अमीबा नाक के ज़रिए ही शरीर में घुसता है.

लक्षण दिखने के बाद ये बीमारी बहुत तेज़ी से बढ़ती है. इतनी तेज़ी से कि हफ्तेभर के अंदर मरीज़ की मौत हो सकती है. ये बीमारी इतनी घातक है कि दुनियाभर में इससे पीड़ित 97 पर्सेंट मरीज़ों की मौत हो जाती है.

इसलिए, सावधानी बरतना बहुत ही ज़रूरी है. ठहरे हुए और गर्म या गुनगुने पानी में जाने से परहेज़ करें. अगर बाहर कहीं पानी में नहा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि पानी साफ हो और वो गर्म या गुनगुना न हो. अगर पानी में नहाने के बाद बुखार आए, भयंकर सिरदर्द हो तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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