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7 साल पहले 999 रुपये की ठगी हुई, पुलिस ने पीड़ित की नहीं सुनी, फिर उसने 300 लोगों को ठगा!

2018 में आरोपी ने पुलिस से शिकायत की थी कि ठगी के जाल में फंसाकर उससे 999 रुपये की ठगी की गई थी. अब 7 साल बाद वो खुद Job Scam गिरोह का हिस्सा निकला.

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दिल्ली पुलिस ने नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाला गिरोह पकड़ा. (ITG)

7 साल पहले एक शख्स के साथ नौकरी दिलाने के नाम पर 999 रुपये की ठगी हुई थी. फिर उसने भी यही तरीका अपनाकर लोगों को ठगना शुरू कर दिया. आरोप है कि उसने नौकरी दिलाने के नाम पर करीब 300 लोगों को ठगा. इस कथित जॉब फ्रॉड में पुलिस ने 3 करोड़ रुपये की लेनदेन का पता लगाया है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में नौकरी दिलाने के नाम पर हुई धोखाधड़ी में 36 साल के मोहम्मद मेहताब आलम के 999 रुपये डूब गए थे. 7 साल बाद वो खुद एक बड़े ठग के तौर पर पकड़ा गया है. दिल्ली पुलिस ने जॉब स्कैम के आरोप में उसे हाल ही में गिरफ्तार किया. दिल्ली पुलिस की 'साइबर हॉक' ऑपरेशन के तहत यह गिरफ्तारी हुई. साइबर क्राइम के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के तहत ये कार्रवाई हुई है.

2018 में आलम ने पुलिस से शिकायत की थी कि ठगी के जाल में फंसाकर उससे 999 रुपये की ठगी की गई. लेकिन पुलिस ने उस समय ज्यादा तवज्जो नहीं दी, क्योंकि रकम छोटी थी. अब 7 साल बाद पता चला कि वो खुद कथित तौर पर ठगों के एक गिरोह का हिस्सा है. आरोप है कि आलम करीब 300 लोगों को जॉब दिलाने का झांसा देकर ठगी कर चुका है. पुलिस के अनुसार, इस गिरोह के लगभग 3 करोड़ रुपये के लेनदेन की पहचान की गई है.

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मामले को लेकर DCP (दक्षिण-पूर्व) डॉ. हेमंत तिवारी ने बताया,

"उन्होंने रोजगार दिलाने के बहाने लोगों को ठगा. अब तक हमने लगभग 300 पीड़ितों की पहचान की है. हमने करीब 3 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता लगाया है, और यह संख्या बढ़ भी सकती है. कुल 16 बैंक खातों की भी पहचान की गई है. हमने 23 डेबिट कार्ड, एक हार्ड डिस्क, 18 लैपटॉप और 20 मोबाइल फोन जब्त किए हैं."

आलम के साथ संदीप सिंह (35) और संजीव चौधरी (36) नाम के दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. DCP डॉ. हेमंत तिवारी ने आगे बताया कि हर्षिता और शिवम रोहिल्ला नाम के दो अन्य लोगों को भी इस मामले में पकड़ा गया है.

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पुलिस ने बताया कि आलम ने 2019 से लोगों को ठगना शुरू कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, उसने कॉल सेंटर जैसा फर्जी जॉब रैकेट चलाने की बात कबूल की है. इसमें कर्मचारी लोगों को फोन कर उनके पैसे ठगते थे.

आलम की पोल तब खुली जब दिल्ली के शाहीन बाग के एक शख्स ने नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की शिकायत की. इस शख्स ने 13,500 रुपये की ठगी का आरोप लगाया था. इसी मामले की जांच करते हुए पुलिस आलम तक पहुंचने में कामयाब रही.

पुलिस ने बताया कि पीड़ित ने एक बैंक अकाउंट में रकम भेजी थी. तब खाताधारक की जानकारी हासिल करने के लिए बैंक को नोटिस भेजे गए. खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर मिलने के बाद पुलिस हर्षिता तक पहुंची.

पूछताछ में उसने बताया कि उसका बैंक अकाउंट खोला गया था और उसके नाम से सिम खरीदकर संजीव को दे दिया गया था. पुलिस ने उसके कॉल डेटा रिकॉर्ड की जांच की और अमर कॉलोनी में शिवम का एक और नंबर मिला. जांच बढ़ी तो रैकेट में संजीव के शामिल होने का भी पता चला.

DCP तिवारी ने आगे कहा,

"पूरे लेनदेन का पता लगाने और बाकी साजिश करने वालों और फायदा उठाने वालों की पहचान करने के लिए डिजिटल डिवाइस की फोरेंसिक जांच, बैंक स्टेटमेंट मैपिंग, UPI/वॉलेट ट्रेसिंग और ATM से पैसे निकालने वाली जगहों पर CCTV फुटेज की जांच जारी है."

जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया,

"आलम ने लोगों को 2,000 रुपये से कम की रकम ठगने से शुरुआत की और धीरे-धीरे ठगी की रकम बढ़ाता गया. उसने कहा था कि उसका लालच उसे किसी दिन मुसीबत में डाल देगा."

इस केस में आलम की पहचान सरगना के तौर पर हुई, जो मयूर विहार फेज-3 से काम कर रहा था. आलम ने पीड़ितों से संपर्क करने के लिए टेलीकॉलिंग स्टाफ को तैनात किया था. आरोप है कि उसके लोग फर्जी कंपनियों में नौकरी का झांसा देकर पीड़ितों को ठगते थे.

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