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जूता फेंकने वाले वकील को माफ क्यों किया? जस्टिस बीआर गवई ने अब बताई वजह

जस्टिस गवई ने अनुसूचित जातियों (SC) में आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखने के लिए ‘क्रीमीलेयर कॉन्सेप्ट’ का बचाव भी किया.

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जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को सीजेआई पद से रिटायर हो गए (india today)

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो गए. इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि सेवानिवृत्ति के बाद वह कोई आधिकारिक पद ग्रहण नहीं करेंगे. अगले कार्यक्रम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अभी वह 9-10 दिन तक आराम करेंगे. रविवार को बतौर CJI आखिरी दिन पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपने कार्यकाल को याद किया. इस दौरान आरक्षण, कॉलेजियम समेत कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. अपने ऊपर हुए हमले पर बात करते हुए उन्होंने ये भी बताया कि आरोपी बुजुर्ग वकील को उन्होंने क्यों माफ कर दिया था? 

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जस्टिस गवई ने कहा,  

मुझे लगता है कि (आरोपी वकील को माफ करने का) फैसला मैंने उसी पल ले लिया था. ये शायद बचपन में बने मेरे सोचने के तरीके का असर था. मुझे लगा सबसे सही तरीका यही था कि मैं उसे बस अनदेखा कर दूं.

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भारत के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठने वाले पहले बौद्ध जस्टिस बीआर गवई के साथ 5 अक्टूबर को ये घटना घटी थी. 71 साल के एक वरिष्ठ वकील राकेश किशोर ने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की थी. आरोपी वकील जस्टिस गवई की एक टिप्पणी से नाराज थे, जो खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान आई थी. इस याचिका को CJI ने ‘पब्लिसिटी स्टंट’ बताया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि ‘जाइए और देवता से कहिए कि वही कुछ करें.’

इससे खफा राकेश किशोर ने कुछ दिनों बाद जस्टिस गवई पर हमला करने की कोशिश की थी. साथ ही कहा कि वह ‘सनातन का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे’. हालांकि, जस्टिस गवई ने बाद में अपने कॉमेंट पर सफाई दी और कहा कि वह ‘सभी धर्मों का सम्मान' करते हैं. 

संतोष के साथ संस्थान से विदाई

जस्टिस भूषण राम गवई 14 मई, 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे. 6 महीने के अपने कार्यकाल के बाद 23 नवंबर को वे रिटायर हो गए. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह पूरे संतोष के साथ संस्थान (सुप्रीम कोर्ट) को छोड़ रहे हैं और रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लेंगे. उन्होंने कहा,

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चीफ जस्टिस बनते ही मैंने साफ कर दिया था कि रिटायरमेंट के बाद मैं कोई भी आधिकारिक कार्यभार (Official Assignment) स्वीकार नहीं करूंगा. अगले 9-10 दिन आराम करने के हैं. उसके बाद नई पारी.

कई मुद्दों पर रखी बात

रिटायरमेंट के बाद मीडिया से बात करते हुए जस्टिस गवई ने अनुसूचित जातियों (SC) में आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखने के लिए ‘क्रीमीलेयर कॉन्सेप्ट’ का बचाव किया. उन्होंने कहा कि अगर एक ही परिवार को बार-बार आरक्षण का फायदा मिलता रहेगा तो एक ही समुदाय के भीतर अलग वर्ग बन जाएगा. आरक्षण उन लोगों तक पहुंचना चाहिए, जिन्हें सच में इसकी जरूरत है. 

जस्टिस गवई ने कहा कि पिछले 76 साल में कई अनुसूचित जाति के परिवार आगे बढ़े हैं. अगर एक पीढ़ी ने आरक्षण से IAS की नौकरी ले ली और उसकी अगली पीढ़ी भी इसका फायदा ले रही है तो क्या हम सकते हैं कि वे वास्तव में जरूरतमंद हैं? 

कॉलेजियम सिस्टम पर जस्टिस गवई ने कहा कि यह व्यवस्था न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखती है और जनता के भरोसे के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता जरूरी है. 

सुप्रीम कोर्ट में एक भी महिला जज की नियुक्ति न कर पाने पर जस्टिस गवई ने खेद जताया और कहा कि ऐसा इंटेंशन की कमी के कारण नहीं हुआ. कुछ महिला उम्मीदवारों के नामों की उन्होंने समीक्षा की थी, लेकिन उनके प्रमोशन पर कॉलेजियम में सहमति नहीं बन पाई.

बता दें कि कॉलेजियम सिस्टम वह प्रक्रिया है जिससे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और तबादले किए जाते हैं.

जस्टिस सूर्यकांत बने नए CJI

जस्टिस सूर्यकांत ने 23 नवंबर को रिटायर हुए जस्टिस बीआर गवई की जगह ले ली है. सोमवार, 24 नवंबर को उन्होंने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली है. वह तकरीबन 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे.

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