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जगदीप धनखड़ को इस्तीफे के बाद फेयरवेल क्यों नहीं मिला? ये वजह सामने आई

Jagdeep Dhankhar Farewell: आमतौर पर जब कोई उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा करता है, तो उसके सम्मान में विदाई समारोह आयोजित करने की परंपरा रही है. यह समारोह पूरी तरह औपचारिक होता है.

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जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया. (PTI)

भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया. धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने करीब दो साल पहले ही पद छोड़ दिया. इस्तीफे के अगले दिन वो ना तो राज्यसभा में आए, ना ही उन्हें सदन की ओर से कोई आधिकारिक फेयरवल दिया गया. इसके पीछे क्या वजह है? फेयरवेल को लेकर संवैधानिक प्रावधान क्या है? क्या उन्हें आने वाले समय में सरकार की ओर से फेयरवेल दिया जाएगा?

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21 जुलाई की रात 9 बजकर 25 म‍िनट पर उपराष्ट्रपति के सोशल मीड‍िया हैंडल से इस्तीफे का एलान क‍िया. धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा,

“स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं.”

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जगदीप धनखड़ के इस अचानक लिए गए निर्णय ने राजनीतिक गलियारों में सबको चौंका दिया है, खासकर जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था.

आपको बताते चलें क‍ि जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त, 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. उपराष्ट्रपति बनने से पहले वो साल 2019 से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाई. इस भूमिका में उन्होंने सदन की कार्यवाही का संचालन किया और कई बार विधायी प्रक्रियाओं पर अपनी मुखर राय रखी.

इस्तीफे के करीब 15 घंटे बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर एक पोस्ट कर लिखा,

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"जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है. मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं."

प्रधानमंत्री मोदी के पोस्ट को शेयर करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने तंज कसते हुए लि‍खा,

"ना कोई स्पीच, ना कोई फेयरवेल. फिर कैसे कह दें, ऑल इज वेल?"

इंड‍िया टुडे के पीयूष म‍िश्रा ने शीर्ष सूत्रों के हवाले से बताया क‍ि अगर कोई मि‍ड टर्म में यान‍ी कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा देता है, तो ऐसे में फेयरवेल स्पीच का कोई प्रावधान नहीं है. इन सूत्रों के मुताबिक फेयरवेल तभी द‍िया जाता है जब कोई अपना कार्यकाल पूरा करता है.

अब बात करते हैं कि संविधान में उपराष्ट्रपति के इस्तीफे और फेयरवेल का क्या प्रावधान है. संविधान के अनुच्छेद 67(a) में ये प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति को अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले अपनी मर्जी से पद छोड़ने का अधिकार है. इसके तहत उपराष्ट्रपति लिखित रूप में अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजते हैं. मौजूदा स्थिति में उपराष्ट्रपति के इस्तीफा सौंपने के बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाएगी. इस बीच राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन उपसभापति यानी हरिवंश नारायण सिंह करेंगे.

संविधान में इस्तीफे की प्रक्रिया का तो जिक्र है, लेकिन फेयरवेल को लेकर कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है. संविधान के जानकारों का कहना है कि अगर भारत के उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के खत्म होने से पहले इस्तीफा दे देते हैं, तो उनके विदाई समारोह यानी फेयरवेल को लेकर संविधान में कोई खास नियम या प्रक्रिया निर्धारित नहीं है. भारतीय संविधान इस मामले पर चुप है.

संवैधानिक प्रावधान केवल इस्तीफे की प्रक्रिया बताता है. अनुच्छेद 67(a) में उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रक्रिया का जिक्र है. इसके अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर के साथ लिखित रूप में अपना पद त्याग सकते हैं.

यह भी पढ़ें- 'चार घंटे, दो मीटिंग, राजनाथ सिंह का दफ्तर', उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे के पीछे सेहत या कुछ और?

संविधान में उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने की प्रक्रिया तो साफ तौर पर बताई गई है, लेकिन उनके फेयरवेल या किसी भी तरह के विदाई समारोह के आयोजन को लेकर कोई बाध्यकारी नियम नहीं बनाया गया है. ये पूरी तरह से तत्कालीन सरकार और इस्तीफा देने वाले उपराष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है. यानी इस तरह का कोई भी आयोजन व्यक्तिगत या अनौपचारिक स्तर पर हो सकता है, लेकिन इसके लिए कोई सरकारी प्रोटोकॉल नहीं है.

आमतौर पर जब कोई उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा करता है, तो उसके सम्मान में विदाई समारोह आयोजित करने की परंपरा रही है. लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने की स्थिति में ऐसा कोई निश्चित प्रोटोकॉल नहीं है. यानी संवैधानिक या कानूनी बाध्यता नहीं है.

किसी भी प्रकार का विदाई कार्यक्रम या समारोह आयोजित करना या ना करना, ये पूरी तरह से एक अनौपचारिक निर्णय होगा. अब देखना ये होगा क‍ि क्या सरकार की ओर से औपचार‍िक या अनौपचार‍िक रूप से पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को फेयरवेल दि‍या जाएगा या नहीं. ये स्टोरी लिखे जाने तक इस संबंध में कोई सूचना नहीं आई थी.

वीडियो: जगदीप धनखड़ रिटायरमेंट का 'पूरा प्लान' बनाकर बैठे थे, उसके पहले क्या हो गया?

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