लुधियाना से रूस पढ़ने गया युवा, रूसी सेना में शामिल हुआ, अब एक महीने से वॉर जोन में है लापता
Indians In Russia-Ukraine War: समरजीत मूल रूप से लुधियाना के डाबा इलाके के रहने वाले हैं. पेशे से एक एक्स-रे टेक्नीशियन हैं. एजेंट ने उन्हें रूसी सेना में डॉक्टरों के असिस्टेंट की नौकरी दिलाने का वादा किया था. इसके बाद वह इस साल जुलाई में स्टडी वीजा पर रूस गए थे.

रूस और यूक्रेन की बीच जंग में लड़ने के लिए कई भारतीयों को भी रूसी सेना में भर्ती किया गया था. उन्हें ज्यादा पैसों का हवाला देकर धोखे से रूसी सेना में शामिल किया जा रहा था. साल 2022 से जारी इस युद्ध में कई ऐसे भारतीय हैं जिनका कुछ अता-पता ही नहीं है. ऐसा ही एक नाम पंजाब के लुधियाना के रहने वाले 21 वर्षीय समरजीत सिंह का है. रूसी सेना की ओर से उन्हें करीब एक महीने पहले फ्रंट लाइन पर लड़ने के लिए भेजा गया था. लेकिन अब उनकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. वह जिंदा है भी या नहीं, इस पर भी संशय है.
साथी ने सुनाई आपबीतीइंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, समरजीत सिंह के लापता होने की कहानी उनके ही एक साथी ने बताई है. साथी का नाम 25 वर्षीय बूटा सिंह है और वह पंजाब के मोगा जिले के चक कनिया गांव के रहने वाले हैं. वह भी समरजीत की तरह रूसी सेना में भर्ती हुए थे. युद्ध में घायल होने के बाद वह फिलहाल मॉस्को के नजदीक एक अस्पताल में भर्ती है.
सेना कमांडर को भी नहीं पता कहां है समरबूटा ने मंगलवार 7 अक्टूबर को अखबार को फोन पर बताया कि समरजीत सिंह कहां है और कैसी हालत में इसके बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा है. यहां के अधिकारी वॉकी-टॉकी के जरिए समरजीत से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. बूटा ने जब समर के बारे में सेना कमांडर से पूछा तो उसने कहा कि उसे समर की कोई जानकारी नहीं है.
रेड जोन में गया था लड़नेबूटा का कहना है कि समरजीत लापता हो गया है. अधिकारी भी समरजीत से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वह युद्ध के सबसे खतरनाक एरिया यानी रेड जोन में चला गया है. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय अधिकारियों का मानना है कि समरजीत की जान चली गई है.
ड्रोन हमले में हुआ था घायलबूटा ने बताया कि समरजीत को एक ड्रोन हमले में गंभीर रूप से चोटें आई थीं. उसके बाद से उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया. उनके लोकल ट्रांसलेटर ने उन्हें बताया कि समरजीत लापता हो गया है और लापता लोगों के बचने की संभावना न के बराबर है. बूटा ने भारत सरकार से मामले में तुरंत दखल देने और सभी को बचाने की अपील की है. सिर्फ समरजीत ही नहीं बल्कि उनके अलावा गुरदासपुर के रहने वाले गुरसेवक और जम्मू के रहने वाले अतुल भी लापता हैं.
कब और क्यों रूस गए थे समरजीतसमरजीत मूल रूप से लुधियाना के डाबा इलाके के रहने वाले हैं. पेशे से एक एक्स-रे टेक्नीशियन हैं. एजेंट ने उन्हें रूसी सेना में डॉक्टरों के असिस्टेंट की नौकरी दिलाने का वादा किया था. वह इस साल जुलाई में स्टडी वीजा पर रूस गए थे.
परिवार को अब भी उम्मीदलुधियाना में रह रहा समरजीत के परिवार को अब भी उम्मीद है कि वह लौटेंगे. पिता चरणजीत सिंह ने अखबार को बताया कि वे अब भगवान भरोसे बैठे हैं. वे तब तक किसी भी बात पर भरोसा नहीं करेंगे जब तक सरकार की ओर से उन्हें कोई ठोस सबूत न मिल जाए.
समरजीत के छोटे भाई विश्वप्रीत सिंह का कहना है कि उन्होंने समर से 8 सितंबर को बात की थी. तब से उसका फोन नहीं मिल रहा. परिवार का कहना है कि वह युद्ध लड़ने नहीं, बल्कि काम करने गया था. उसे धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया, हथियार थमा दिए गए और युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया गया.
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