The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • two indian nationals killed in...

रूसी सेना के लिए लड़ने को मजबूर 2 भारतीयों की मौत, और कितने फंसे हैं वहां?

इस साल की फ़रवरी में छपी मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा था कि ऐसे कई भारतीय हैं, जिन्हें रूस में ‘सेना सुरक्षा सहायक’ के तौर पर रखा गया था. मगर बाद में उन्हें सेना के साथ लड़ने के लिए मजबूर किया गया.

Advertisement
indians in russian war
भारतीयों को नौकरी के नाम पर छला गया है. (फ़ोटो- रॉयटर्स)
pic
सोम शेखर
12 जून 2024 (Updated: 12 जून 2024, 14:17 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

रूसी सेना में भर्ती किए गए दो भारतीय नागरिकों की मौत की ख़बर आई है. दोनों यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में मारे गए हैं. अभी ये स्पष्ट नहीं है कि वे कहां के रहने वाले हैं. मंगलवार, 11 जून की शाम को विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हमें ये बताते हुए खेद है कि रूसी सेना द्वारा भर्ती किए गए दो भारतीय नागरिक यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में मारे गए हैं. हम मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. मॉस्को में हमारे दूतावास ने रक्षा मंत्रालय सहित अन्य रूसी अधिकारियों पर मृतकों के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द वापस लाने के लिए कहा है.’

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने नई दिल्ली में रूसी राजदूत के साथ इस मामले को मज़बूती से उठाया है, और मॉस्को में भारतीय दूतावास ने भी रूसी सेना के साथ सभी भारतीय नागरिकों को जल्द रिहा करने और वापस लाने की बात की है.

ये भी पढ़ें - रूसी सेना में जबरन धकेले गए भारतीय की मौत हुई, नाम भी सामने आया

रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण किया था. ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में हुआ सबसे घातक संघर्ष था, जो अभी भी जारी है.

इस साल की फ़रवरी में छपी मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा था कि ऐसे कई भारतीय हैं, जिन्हें रूस में ‘सेना सुरक्षा सहायक’ के तौर पर रखा गया था. मगर बाद में उन्हें सेना के साथ लड़ने के लिए मजबूर किया गया. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले एक साल में ऐसे लगभग 100 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती किया गया है.

झांसा देकर इंडियंस को फंसा दिया!

इससे पहले मार्च में संघर्ष के दौरान दो भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी. गुजरात के सूरत के हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया (23) और हैदराबाद के मोहम्मद असफ़ान (31). उनके शवों को 16 मार्च को दिल्ली लाया गया और उनके घरों में भेजा गया था.

उनके परिजन का दावा था कि उन्हें रूसी सेना के लिए सहायक के तौर पर काम पर रखा गया था, लेकिन फिर उन्हें युद्ध में झोंक दिया गया. इस मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए उस वक़्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि लगभग 20 लोग थे, जिन्होंने वापस लौटने के लिए मदद मांगी थी. मंत्रालय ने फंसे हुए भारतीयों की रिहाई के लिए रूसी अधिकारियों पर दबाव डाला था. कहा कि सरकार के हस्तक्षेप की वजह से कई भारतीयों को रूसी सेना से छुट्टी मिल गई है.

लगभग इसी समय रूस में फंसे सात भारतीयों ने भारत लौटने में सरकार की मदद मांगते हुए दो वीडियो जारी किए थे.

ये भी पढ़ें - विदेश में फंसे भारतीयों को देश लौटने के लिए कितने रुपये खर्च करने होंगे?

वहीं अब भारत सरकार ने मांग की है कि रूसी सेना हमारे नागरिकों की हर तरह की भर्ती पर रोक लगाए. ऐसी गतिविधियां हमारे संबंधों को ख़राब कर सकती है. भारतीय नागरिकों से अपील की गई है कि वे रूस में रोज़गार के अवसर तलाशते समय सावधानी बरतें.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन के साथ युद्ध छिड़ जाने के बाद कम से कम 500 भारतीयों ने अंतर्राष्ट्रीय सेना में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से आवेदन दिया था. लेकिन ये सेना यूक्रेन की तरफ़ से लड़ती है. इसमें भारतीय सेना के कई वेटरन्स भी शामिल हैं. हालांकि, इस साल की शुरुआत में ये पता चला कि कई भारतीय रूसी पक्ष से भी लड़ रहे हैं.

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 15 लोगों और चार कंपनियों के नाम पर FIR दर्ज की है. आरोप हैं कि इन्होंने भारतीय नागरिकों को रोज़गार के बेहतर अवसर देने के नाम पर छला है और रूस में तस्करी की है. बीती 7 मई को एजेंसी ने इस मामले में चार गिरफ़्तारियां भी की थीं.

वीडियो: क्या रूस पर हुए आतंकी हमला के बाद भारत में महंगाई बढ़ेगी?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement