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'हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह क्यों लगाया?' CM उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भी जताया विरोध

CM Omar Abdullah ने कहा कि Hazratbal Shrine में Ashoka Emblem की वजह से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. उन्होंने कहा कि धार्मिक जगहों पर सरकारी निशान नहीं लगाना चाहिए.

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CM उमर अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ लगाने पर सवाल उठाया. (India Today/PTI)
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सुनील जी भट्ट

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह तोड़ने पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सवाल किया कि हजरतबल दरगाह जैसी धार्मिक जगह पर राष्ट्रीय चिन्ह यानी अशोक चिन्ह लगाने की क्या जरूरत थी. सीएम अब्दुल्ला ने घटना में शामिल आरोपियों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगने की भी आलोचना की है. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह लगाने की निंदा की है.

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इंडिया टुडे से जुड़े मीर फरीद और सुनील जी भट्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, हजरतबल दरगाह का रेनोवेशन होने पर जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड ने इसमें एक पत्थर लगाया था, जिसपर अशोक चिन्ह उकेरा हुआ था. इससे स्थानीय नेता और श्रद्धालु काफी नाराज थे. कुछ लोगों ने गुस्से में आकर पत्थर पर लगा अशोक चिन्ह तोड़ दिया. इस घटना पर बात करते हुए सीएम उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से कहा,

"उस पत्थर पर एंबलम (अशोक चिन्ह) लगना चाहिए था या नहीं लगना चाहिए था? पहले तो वो सवाल बनता है. मैंने अभी तक किसी भी मजहबी इदारे (धार्मिक संस्था) में, किसी भी फंक्शन में इस तरह का एंबलम का इस्तेमाल होते हुए नहीं देखा है. क्या मजबूरी बनी थी कि हजरतबल के इस पत्थर पर एंबलम... और फिर पत्थर लगाने की क्या जरूरत थी. क्या काम काफी नहीं था. दरगाह हजरतबल को ये सूरत, ये शक्ल शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने दिया था. मुझे बताइए कहीं पर उन्होंने ऐसा पत्थर लगाया? आज भी लोग उनके काम को याद करते है, इस बात के बावजूद कि उन्होंने वहां अपने नाम का कोई पत्थर नहीं लगाया."

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उन्होंने साफ कहा कि हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह लगाना संबंधित विभाग की गलती है. उन्होंने कहा,

"पत्थर लगाने की जरूरत ही नहीं थी. अगर काम सही होता तो लोग खुद ब खुद उस काम को पहचान लेते. अब चलिए उन्होंने गलती की, हो गया, नहीं होना चाहिए था."

आरोपियों के खिलाफ PSA के तहत कार्रवाई होने पर उमर अब्दुल्ला काफी नाराज दिखे. उन्होंने कहा,

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"डरा-धमकाकर ये करने का क्या फायदा. पहले तो लोगों के जज्बातों के साथ खिलवाड़ हुआ. कम से कम उसके लिए तो माफी मांगी जाए. ये कहें कि हां जी हमसे गलती हुई, पत्थर पर ये नहीं होना चाहिए था."

जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शा अंद्राबी उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं. इस मामले में श्रीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है. वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी अशोक चिन्ह तोड़ने वालों का बचाव किया है. उन्होंने कहा,

"हजरतबल दरगाह हमारे पैगंबर मुहम्मद से जुड़ी है. वहां किसी भी तरह की गुस्ताखी और शिर्क (ईशनिंदा) किसी भी मुसलमान के लिए बर्दाश्त के काबिल नहीं है. नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार हो या हमारी सरकार, हमने हजरतबल में विकास का बहुत काम किया है. मगर कभी भी हमने इस तरह की गुस्ताखी नहीं होने दी."

उन्होंने आगे कहा,

"हम मुसलमानों के लिए पैगंबर मुहम्मद बहुत महत्व है. इस काम से जम्मू कश्मीर के लोग खासकर मुसलमानों को बहुत तकलीफ हुई है. ऊपर से जिन लोगों ने जज्बात में आकर, जिन्होंने वहां तोड़फोड़ की, वे अशोक चिन्ह खिलाफ नहीं हैं. हमारा धर्म मूर्ति पूजा के खिलाफ है. ये लोग उसके खिलाफ थे कि ये क्यों लगा वहां पर. ये हमारे लिए ईशनिंदा है. इसलिए इसे लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. इसमें जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड जिम्मेदार है."

महबूबा मुफ्ती ने सवाल किया कि जम्मू कश्मीर में सभी मुसलमान हैं, फिर ऐसा क्यों किया गया.

मुस्लिम समुदाय में हजरतबल दरगाह का काफी महत्व है. जम्मू कश्मीर टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, स्थानीय मान्यता के अनुसार हजरतबल दरगाह में पैगंबर मुहम्मद की दाढ़ी के पवित्र बाल रखे हैं.

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