उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित रामस्वरूप यूनिवर्सिटी के अवैध निर्माण पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है. आरोप है कि यूनिवर्सिटी के कुछ हिस्सों का निर्माण सरकारी जमीन पर किया गया था. उसे ध्वस्त कर दिया गया है. प्रशासन का कहना है कि सरकारी जमीन पर किसी भी तरह का कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आगे भी अवैध निर्माण और कब्जों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी.
यूपी में जिस यूनिवर्सिटी के सामने ABVP वालों को पुलिस ने पीटा था, उस पर बुलडोजर चल गया
यूनिवर्सिटी के कुछ हिस्सों का निर्माण सरकारी जमीन पर किया गया था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया है. प्रशासन का कहना है कि सरकारी जमीन पर किसी भी तरह का कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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शनिवार, 6 सितंबर को प्रशासन ने बताया कि गाटा संख्या 7.19 ख की सरकारी जमीन है. जिस पर यूनिवर्सिटी द्वारा कब्जा करके निर्माण कराया गया था. प्रशासन की तरफ से आगे कहा गया कि कब्जे की गई सरकारी जमीन पर एनिमल हसबेंडरी की लैबोरेट्री बनाई गई थी. राजस्व टीम की पैमाइश के बाद यह स्पष्ट हुआ कि निर्माण पूरी तरह अवैध है. इसके बाद तहसील प्रशासन ने बुलडोजर एक्शन शुरू किया.
रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी में एक से ज्यादा स्थानों पर बुलडोजर चलाया गया. एक रिहायशी बिल्डिंग को भी तोड़ा गया. बताया जा रहा है कि एक आलीशान कोठी बनाई गई थी, उसे भी प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया.
इसके पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने यूपी सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया. इस दौरान कहा कि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन तेज किया जाएगा. संगठन की ओर से मांग की गई थी कि रामस्वरूप यूनिवर्सिटी पर बुलडोजर चलाया जाए. वहीं संबंधित अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग भी की गई.
बता दें कि छात्रों का यह प्रदर्शन बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ था. जहां LLB कोर्स की मान्यता और ABVP कार्यकर्ताओं के सस्पेंशन को लेकर छात्रों ने प्रदर्शन किया. इसी के बाद छात्रों पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया. लाठीचार्ज के बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. जिसके बाद से लगातार धरना-प्रदर्शन चल रहा है. वहीं ABVP से जुड़े लोगों ने प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किया. स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन देकर मामले में कार्रवाई की मांग की.
ABVP के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ला ने वीडियो जारी करते हुए कहा,
"रामस्वरूप विश्वविद्यालय के घटनाक्रम से हम सभी परिचित हैं. लगातार विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता मशाल जुलूस और जिला केंद्रों पर प्रदर्शन के माध्यम से संपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रख रहे हैं. हमारी चार मांगे हैं. पहला कि रामस्वरूप विश्वविद्यालय तीन साल से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा था. मान्यता का नवीनीकरण न होने पर भी एलएलबी छात्रों का एडमिशन लेकर उनको प्रवेश दिया जा रहा था. उनकी परीक्षाएं कराई जा रही थीं. इस जानकारी से छात्रों को भ्रमित रखा जा रहा था. यह पूरा मामला भ्रष्टाचार और लापरवाही से जुड़ा है, जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
1 सितम्बर को शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे छात्रों और ABVP कार्यकर्ताओं पर को पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. इसमें कई कार्यकर्ता घायल हुए थे. परिषद ने मांग की है कि हमले और लाठीचार्ज में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों और उपद्रवियों पर FIR दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए. साथ ही यह जांच हो कि आखिरकार किसके आदेश पर पुलिस ने इतना बड़ा एक्शन लिया."
परिषद का कहना है कि उच्च शिक्षा परिषद की रिपोर्ट के आधार पर चांसलर, वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार को तत्काल प्रभाव से हटाकर जांच प्रक्रिया से अलग किया जाए. और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. बाराबंकी तहसीलदार की रिपोर्ट में अवैध निर्माण का जिक्र है.
इससे पहले शनिवार को शहर कोतवाली पुलिस ने उदयराज तिवारी और रोहित कुमार सिंह को गिरफ्तार किया. दोनों पर झड़प कराने और माहौल बिगाड़ने का आरोप है. गिरफ्तारी FIR संख्या 840 के आधार पर हुई. पुलिस का कहना है कि दोनों न तो ABVP से जुड़े थे और न ही किसी छात्र-छात्रा के अभिभावक. उधर, ABVP ने भी अपनी शिकायत में रोहित का नाम शामिल किया था. संगठन का आरोप है कि यूनिवर्सिटी के इशारे पर कुछ लोगों ने अराजकता फैलाने की कोशिश की.
आशीष श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान शरारती तत्व शामिल हुए और हालात बिगाड़े. लाठीचार्ज के बाद पहले ही 4 पुलिसकर्मी निलंबित किए जा चुके हैं और नाम जांच के दायरे में हैं. ASP विकास चंद्र त्रिपाठी ने देर शुक्रवार रात ABVP कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. पुलिस CCTV फुटेज और वीडियो खंगाल रही है. फिलहाल गिरफ्तार दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. पुलिस की कई टीमें दबिश दे रही हैं. कई संदिग्ध आरोपी अब भी पुलिस के निशाने पर हैं.
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