Uttarakhand Land Scam: भ्रष्टाचार के एक मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और नगर आयुक्त को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. मंगलवार, 3 जून को उत्तराखंड सरकार ने कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में यह कार्रवाई की है.
हरिद्वार के DM, SDM, नगर आयुक्त सब सस्पेंड हो गए, जमीन घोटाले में धामी सरकार का बड़ा एक्शन
Uttarakhand में जांच दल ने Pushkar Singh Dhami सरकार को 100 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद दो IAS अधिकारियों और एक राज्य सिविल सेवा अधिकारी समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई.

इंडिया टुडे से जुड़े अंकित शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला कथित तौर पर 14 करोड़ रुपये की कीमत वाली जमीन के एक टुकड़े को 54 करोड़ रुपये में खरीदने से जुड़ा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे, जिस पर अमल करते हुए पहली बार सभी सीनियर अधिकारियों को एक साथ निलंबित किया गया.
राज्य के प्रशासन में इतनी बड़ी उथल-पुथल तब मची जब उत्तराखंड शासन के सचिन रणवीर ने सरकार को 100 पन्नों की एक रिपोर्ट सौंपी. इसके आधार पर दो IAS अधिकारियों और एक राज्य सिविल सेवा अधिकारी समेत कुल 12 अधिकारियों पर गाज गिरी.
यह केस राज्य के विजिलेंस डिपार्टमेंट को सौंप दिया गया है, जिसे सराकरी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. भ्रष्टाचार पर अपनी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस पॉलिसी' का जिक्र करते हुए सीएम धामी ने चेतावनी दी कि भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने पर किसी भी अधिकारी को, चाहे वो किसी भी पद पर क्यों ना हो, बख्शा नहीं जाएगा.
कथित जमीन घोटाले की बात करें तो जांच रिपोर्ट के मुताबिक, एक कृषि भूमि को कमर्शियल रेट पर खरीदा गया, जिसके लिए लैंड पूलिंग कमेटी की इजाजत जरूरी थी. ये कमेटी पारदर्शिता बनाए रखने और जमीन अधिग्रहण में ठीक फैसला लेने में मदद करती है. बिना इसकी मंजूरी के कोई भी प्राइवेट या कमर्शियल यूज के लिए जमीन खरीद कानूनी नहीं होती.
लेकिन SDM अजयवीर सिंह ने उत्तराखंड राजस्व संहिता की धारा 143 का दुरुपयोग कर कृषि भूमि को गैर-कृषि उपयोग में बदल दिया. इस प्रक्रिया में लंबा समय लगता है, जांच और मंजूरी लेने की जरूरत होती है, लेकिन इस मामले में पूरी प्रक्रिया मात्र 2-3 दिन में पूरी कर दी गई. हरिद्वार DM कर्मेन्द्र सिंह, नगर आयुक्त वरुण चौधरी और SDM अजवीर सिंह पर भी अनियमितता के आरोप हैं. अब तीनों अधिकारियों पर विभागीय जांच चलेगी.
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