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गलवान में जहां हुई थी चीन से भिड़ंत, अब वहां टूरिस्ट जाकर कर सकेंगे सैर सपाटा

15 जनवरी को '77वां सेना दिवस' (77 Army Day) है. भारत की सेना की तरफ से इस मौके पर पर 'भारत रणभूमि दर्शन' नाम की एक पहल शुरू की गई है. इस पहल के तहत एक नए किस्म के पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना है.

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भारत रणभूमि दर्शन के तहत 77 साइट्स को चुना गया है (PHOTO-PTI)

क्या आप छुट्टियों का मन बना रहे हैं? अगर हां तो आपने जब अपने टूर ऑपरेटर से बुकिंग कराई होगी तो आपको कुछ नाम सुनाई पड़े होंगे जैसे एडवेंचर टूरिज्म, कल्चरल टूरिज्म, मैरीटाइम टूरिज्म, स्पोर्ट्स टूरिज्म आदि. माने टूरिज्म के पीछे जिस तरह का मकसद हो उसी तरह का नाम भी इसे दे दिया जाता है. और इस कड़ी में अब एक नया नाम जुड़ गया है, बैटल टूरिज्म. 15 जनवरी को '77वां सेना दिवस' है. भारत की सेना की तरफ से इस मौके पर पर 'भारत रणभूमि दर्शन' नाम की एक पहल शुरू की गई है. इस पहल के तहत एक नए किस्म के पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना है. 'भारत रणभूमि दर्शन' के तहत 77 ऐसी साइट्स को शामिल किया गया है जहां बीते कुछ सालों में किसी न किसी किस्म का मिलिट्री एक्शन हुआ है. भारत को वीर जवानों का देश कहा गया है. हर बॉर्डर, हर फ्रंट की अपनी एक कहानी है. और इन्हीं कहानियों को समेटने के लिए 'भारत रणभूमि दर्शन' को लॉन्च किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बैटल टूरिज्म की साइट्स में गलवान घाटी, डोकलाम, द्रास, कारगिल, सियाचिन बेस कैंप, लौंगेवाला (राजस्थान) , बम ला और किबिथु (अरुणाचल प्रदेश) जैसी जगहों को शामिल किया गया है. 'भारत रणभूमि दर्शन' के लिए अलग से एक वेबसाइट बनाई गई है जिसपर इन सभी जगहों की जानकारी होगी. साथ ही ये भी जानकारी मिलेगी की इन जगहों की कहानी क्या है? और इन जगहों तक कैसे पहुंचा जाए? इनमें से कुछ जगह जहां आम लोग बिना परमिट के नहीं जा सकते,  इस वेबसाइट पर उसके लिए भी अप्लाई किया जा सकेगा.

वेबसाइट पर इन जगहों पर हुई लड़ाई से जुड़ी कहानियां, बॉर्डर की जानकारी के साथ-साथ वहां की अनसुनी कहानियां भी मिलेंगी. इससे लोगों को वहां जाने से पहले ही उस जगह के महत्व से परिचित कराया जा सकेगा. इस वेबसाइट और इस पर मौजूद बैटल साइट्स की जानकारी को पर्यटन मंत्रालय भी अपनी वेबसाइट बहुचर्चित प्रोग्राम 'अतुल्य भारत' (Incredible India) के तहत जगह देगा.

जिन जगहों को 'भारत रणभूमि दर्शन' के तहत चुना गया है, उनमें से अधिकतर जगहों पर पहले से ही वॉर मेमोरियल या म्यूजियम बने हुए हैं. इनमें से अधिकतर जगहें बॉर्डर के एरिया में पड़ती हैं. बैटल टूरिज्म की वजह से बॉर्डर एरिया में कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि इनमें से कुछ साइट्स ऐसी हैं जहां पहुंचना बहुत ही मुश्किल है. साथ ही कुछ साइट्स रणनीतिक रूप से इतनी महत्वपूर्ण हैं कि आम लोगों को वहां जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. ऐसे में फौज पास के ही क्षेत्र में उन साइट्स और मेमोरियल्स को ट्रांसफर करने की योजना बना रही है.

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 फौज की सालाना प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी देते जनरल उपेंद्र द्विवेदी (PHOTO-India Today/PTI)

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी फौज की सालाना प्रेस ब्रीफिंग में इस बात का ज़िक्र किया था. जनरल द्विवेदी ने कहा 

इंडियन आर्मी बॉर्डर के एरिया  डेवलपमेंट के लिए 4 चीजों पर काम कर रही है. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा, कम्युनिकेशन की मजबूती के साथ टूरिज्म और एजुकेशन को बढ़ावा देना शामिल है. भारत रणभूमि दर्शन के तहत सेना और पर्यटन मंत्रालय साथ मिलकर युद्ध क्षेत्रों और फॉरवर्ड एरिया में टूरिज्म को बढ़ावा देने और उन क्षेत्रों में लोगों को क्लियरेंस दिलवाने के लिए साथ काम करेंगे.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल ही में कहा था कि बीते 4 सालों में लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे बॉर्डर वाले राज्यों में पर्यटकों की संख्या में 30 प्रतिशत इजाफा हुआ है. बॉर्डर के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की वजह से ये मुमकिन हो सका है. 'भारत रणभूमि दर्शन' योजना के तहत आगे इसमें और भी वृद्धि देखने को मिलेगी.

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