भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Ex CJI Chandrachud Interview) ने भारतीय न्यायापालिका पर लगने वाले नेपोटिज्म के आरोपों पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि नेपोटिज्म का अस्तित्व है लेकिन ये पूरी ज्यूडिशियरी में नहीं फैला है. उनके मुताबिक ये कहना गलत होगा कि सारे जज नेपोटिज्म में डूबे हुए हैं.
'ज्यूडिशियरी में नेपोटिज्म है लेकिन... ' अदालतों पर लगने वाले आरोपों पर पूर्व CJI चंद्रचूड़ का जवाब
पूर्व मुख्य न्यायाधीश DY Chandrachud ने ज्यूडिशियरी में नेपोटिज्म के अस्तित्व की बात से इनकार नहीं किया. उन्होंने हर सवाल का विस्तार से जवाब दिया.


पूर्व CJI ‘दी लल्लनटॉप’ के ‘गेस्ट इन द न्यूजरूम’ प्रोग्राम में पहुंचे थे. इस दौरान उनसे ज्यूडिशियरी पर लगने वाले नेपोटिज्म के आरोपों पर सवाल पूछा गया. इसके जवाब में उन्होंने कहा,
ज्यूडिशियरी में नेपोटिज्म नहीं है, मैं ये कह नहीं सकता, क्योंकि मैं कोई हिपोक्रेट नहीं हूं. लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि न्यायापालिका समाज का आईना है… जज कहीं ऊपर से तो नहीं टपके हैं. वो भी उसी समाज से आते हैं. एक नागरिक होते हुए हम जो किसी अन्य सामान्य नागरिक के बारे में टोलरेट कर सकते हैं, वो किसी जज के बारे में टोलरेट नहीं कर सकते. यानी कि आपको जज बनने के साथ ही हायर स्टैंडर्ड अपनाना चाहिए. ये जरूरी बात है कि जो सामान्य नागरिक करता है, वो जज नहीं कर सकता. एक रिटायर्ड जज होने के बाद भी मैं आज वो नहीं कर सकता…
उन्होंने रिटायर्ड जजों के आम जीवन का भी जिक्र किया. पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने आगे कहा,
नो डाउट नेपोटिज्म है लेकिन ये कहना कि पूरी ज्यूडिशियरी में नेपोटिज्म है या सारे जज इसमें डूबे हुए हैं, ये गलत होगा. मैंने अपनी आंखों से रिटायर्ड जजों को सरकारी अस्पतालों में लाइन में लगकर पर्ची देते देखा है, खुद बिजली बिल के लिए जाते देखा है. मैं अपने परिवार के बारे में बात नहीं करूंगा मैंने अपने पिताजी और मां की जितनी जिंदगी देखी, उनके रिटायरमेंट के बाद… पर आज भी आमतौर पर ऐसे जज हैं जो अच्छी तरह से अपना गुजारा कर रहे हैं.
और जब वो जज होते हैं, तो वो 'वर्ल्ड ऑफ नेपोटिज्म' के सब्जेक्ट नहीं होते. लेकिन ज्यूडिशियरी में जो नेपोटिज्म है, उसको कम करने के लिए विचार होना चाहिए. मैं समझता हूं कि इस बारे में विचार करना बहुत जरूरी है. आज के लिए और आगे के लिए… देश के भविष्य के लिए हमें बहुत विचार करने की जरूरत है, हम ये कैसे सुनिश्चित करें कि भविष्य में हमारे पास अधिक जवाबदेह, ईमानदार और भाई-भतीजावाद मुक्त न्यायपालिका हो और न्यायपालिका में संस्थागत सुधार होने चाहिए.
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पूर्व CJI से सवाल पूछते वक्त 'अंकल जजों' का भी जिक्र किया गया था. दरअसल, भारतीय विधि आयोग ने अपनी 230वीं रिपोर्ट में उच्च न्यायालयों में 'अंकल जजों' की नियुक्ति के मामले का उल्लेख किया था. इसके तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति ऐसे उच्च न्यायालयों में की जाती है, जहां उनके रिश्तेदार या निकट सहयोगी वकील होते हैं. इस पर पूर्व CJI ने कहा,
आपने ‘अंकल जजों’ के बारे में बात की, उसके बारे में बात करना चाहूंगा. ये कहना कि जजों के जो भी बच्चे सफल हुए हैं, वो नेपोटिज्म से हुए हैं, ये सही नहीं हैं. आज भी जजों के जो बच्चे मेहनत करते हैं और ईमानदार हैं, वो अपने पैरेंट्स का ऑफिस इस्तेमाल नहीं करते. जजों के बहुत सारे बच्चो में वैल्यूज हैं, बेशक उनमें कुछ कमियां हो सकती हैं. इसलिए मैंने कहा कि जज भी समाज से ही आते हैं. समाज का ही तो आईना हैं, अब उसमें सुधार लाना होगा. अब ये कैसे होगा, ये हमलोगों के लिए और नागरिकों के लिए एक चुनौती है.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने इस इंटरव्यू में राम मंदिर फैसला, जस्टिस वर्मा, PM मोदी और उमर खालिद के मामले पर भी खुलकर बात की है. पूरा वीडियो इस आर्टिकल के नीचे देख सकते हैं.
वीडियो: गेस्ट इन द न्यूजरूम: राम मंदिर फैसला, जस्टिस वर्मा, PM मोदी और उमर खालिद... पूर्व CJI चंद्रचूड़ से सब पर सवाल पूछे गए