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GITN: उमर खालिद को 5 साल से बेल क्यों नहीं मिल रही है? पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने क्या बताया?

पूर्व CJI ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा नहीं होता कि CJI किसी को भी कोई भी केस दे देते हैं. किसी केस में अगर कोई जज रहता है, तो वो केस उसे ही दिया जाता है.

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GITN Ex CJI Dhananjaya Yeshwant Chandrachud on Umar Khalid case
पूर्व CJI ने कहा कि ये कहना कि ये केस जस्टिस बेला त्रिवेदी को दिया गया, वो भी गलत है. (फोटो- X/Lallantop)
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प्रशांत सिंह
19 सितंबर 2025 (Updated: 19 सितंबर 2025, 10:10 PM IST)
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दी लल्लनटॉप का चर्चित शो ‘गेस्ट इन दी न्यूजरूम’ (GITN), जहां सिंगर, एक्टिविस्ट से लेकर कई स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी को लोग सुन चुके हैं. इस बार शो में भारत के पूर्व CJI धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ मेहमान थे. उन्होंने अयोध्या फैसले से लेकर सुप्रीम कोर्ट में किए गए कई बदलावों पर बात की. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने उमर खालिद के मामले से जुड़े सवालों पर भी जवाब दिए.

दी लल्लनटॉप के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने जब पूर्व CJI चंद्रचूड़ से ये पूछा कि उमर खालिद को 5 साल से बेल क्यों नहीं मिल रही है, तो उन्होंने कहा,

“देखिए ये भी आज एक बहुत बड़ी समस्या है. वकील या.. पॉलिटिकल एस्टेब्लिशमेंट के एक अंग हैं. वो सोचते हैं कि हम अपना केस इसी जज के सामने चलाना चाहेंगे, और इस इस जज के सामने हम अपना केस चलाना नहीं चाहेंगे. मैं सोचता हूं, ये आज हमारे इंस्टीट्यूशन के लिए और सिस्टम के लिए सबसे बड़ा डेंजर है. यदि हम ये पावर किसी एक व्यक्ति वकील या किसी एक पॉलिटिकल एस्टेब्लिशमेंट के अंग को दे दें.. या पॉलिटिकल पार्टी को दे दें.. कि हम ये केस एक खास व्यक्ति के सामने ही रखेंगे, या किसी के सामने नहीं करेंगे. इसमें डेंजर कितना है… ”

पूर्व CJI ने आगे कहा,

“आप उमर खालिद की बात कर रहे हैं, या शरजील इमाम की बात कर रहे हैं… कल को इसी मामले को लेकर कोई बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट हो, वो कहेंगे अच्छा मेरा केस है ये मैं इस जज के सामने ही ले जाऊंगा… ये केस मेरा है मैं इस जज के सामने नहीं ले जाऊंगा... क्योंकि ये जज जो हैं वो ज्यादा प्रो लेबर हैं, मुझे प्रो लेबर जज नहीं चाहिए. मुझे प्रो इंडस्ट्री जज चाहिए. इसमें हमारे सिस्टम के लिए बहुत बड़ा खतरा है.”

पूर्व CJI ने आगे कहा कि ऐसे ही हम पूरी न्याय व्यवस्था को खत्म कर देंगे. उन्होंने कहा,

“ये कहना कि ये केस जस्टिस बेला त्रिवेदी को दिया गया, वो भी गलत है. सुप्रीम कोर्ट में अलॉटमेंट के बारे में रूल्स हैं, कन्वेंशंस हैं. मान लीजिए ओरिजिनल केस जज नंबर टू और जज नंबर फाइव के पास है. जज नंबर टू रिटायर हो जाते हैं… अब जज नंबर टू जब रिटायर हो जाते हैं, तो ये केस किसी और को दे दिया जाता है... मान लीजिए जज नंबर थ्री को अलॉट हो जाता है… तो जज नंबर थ्री और जज नंबर फाइव के पास के रहेगा. तो जो जज सिस्टम में रहता है, उसे ही वो केस दे दिया जाता है.”

इस केस के बारे में बात करते हुए पूर्व CJI ने बताया कि इस केस में वही नियम फॉलो किया गया है. उन्होंने कहा,

“ऐसे ही एक केस में मेरी आलोचना की गई थी जब मैं CJI था. मेरे से बोला गया था कि ये केस बोपन्ना साहब और इनके पास था... ये बोपन्ना साहब को क्यों हटाया गया? अब उसका कारण यही था, बोपन्ना साहब जब केस सुन रहे थे (तब) उनकी सर्जरी हुई थी. मैंने अपने रजिस्ट्री को बताया कि बोपन्ना साहब उपलब्ध नहीं हैं. उनके लिए हम रुकते हैं, जब वो वापस आ जाएंगे तो वो केस उनको दिए जाएंगे. उनके रजिस्ट्री से, उनके पर्सनल ऑफिस से जब मैसेज आया कि साहब की तबीयत थोड़ी सी ठीक नहीं है, इसलिए वो केस किसी और को दिया गया.”

पूर्व CJI ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा नहीं होता कि CJI किसी को भी कोई भी केस दे देते हैं. किसी केस में अगर कोई जज रहता है, तो वो केस उसे ही दिया जाता है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: CJI बीआर गवई को खजुराहो और भगवान विष्णु पर ट्रोल करने वाले लोग कौन हैं?

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