आयरलैंड की राजधानी डबलिन में एक मूर्ति है जो दुनियाभर में मशहूर है. वजह ये कि डबलिन आने वाले टूरिस्ट कांसे से बनी इस मूर्ति को देखने और इसकी छाती छूने आते थे. समय के साथ ये एक तरह की परंपरा ली बन गई थी जिसे लेकर कई बार विवाद हुआ है. लोग ‘मॉली मलोन’ नाम की इस मूर्ति की छाती को छूकर खुद को खुशकिस्मत मानते हैं. लेकिन अब सिटी काउंसिल ने इस परंपरा पर रोक लगा दी है.
इस मूर्ति की छाती छूने की 'परंपरा' थी, लोगों ने इतना छुआ रंग ही बदल गया, अब रोक लग गई है
मूर्ति के साथ लगातार अनुचित व्यवहार की कई शिकायतें मिल रही थीं. लोगों ने बताया कि बार-बार छूने से मूर्ति पर असर पड़ा है. इससे कांस्य की सतह का रंग बदला है. साथ ही इसकी गरिमा पर भी कई सवाल उठने लगे हैं.

BBC में छपी खबर के मुताबिक, सिटी काउंसिल को मॉली मलोन की मूर्ति के साथ लगातार अनुचित व्यवहार की कई शिकायतें मिल रही थीं. लोगों ने बताया कि बार-बार छूने से मूर्ति पर असर पड़ा है. इससे कांस्य की सतह का रंग बदला है. साथ ही इसकी गरिमा पर भी कई सवाल उठने लगे हैं.
कुछ स्थानीय गाइड और टूरिस्ट कंपनियों ने मॉली मलोन की छाती छूने से जुड़े मिथक को प्रचारित किया, जिसकी वजह से मूर्ति के साथ अनुचित व्यवहार किया गया. अब सिटी काउंसिल इस मूर्ति को शिफ्ट करने पर विचार कर रही है. सिटी काउंसिल के आर्ट्स ऑफिसर रे येट्स ने कहा, "अगर सार्वजनिक जगह पर किसी व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करना अनुचित माना जाएगा तो फिर हम एक मूर्ति के साथ इसे सामान्य क्यों बना रहे हैं?”
गार्डियन में छपी खबर के मुताबिक, बीती 6 मई को डबलिन सिटी काउंसिल ने मूर्ति के पास ‘नो टचिंग’ का निर्देश बोर्ड लगा दिया. साथ ही वहां सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. सिटी काउंसिल ने बताया कि ये लोग कोई पुलिसकर्मी नहीं हैं, बल्कि मूर्ति के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को बदलने का एक प्रयास है. इस पहल की शुरुआत म्यूजिशियन और एक्टिविस्ट टिली क्रिपवेल ने की थी. पिछले साल उन्होने ‘Leave Molly mAlone’ नाम का अभियान चलाया था.
कौन हैं मॉली मलोन?
BBC में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मॉली मलोन की मूर्ति को साल 1988 में बनाया गया था. इसे फेमस आर्टिस्ट जीन रिनहार्ट ने डबलिन की लोककथाओं में बताई गई एक महिला मॉली मलोन को समर्पित किया था. उन्हें डबलिन के श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधि माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मॉली मलोन सीफूड बेचा करती थीं. हालांकि उनको लेकर इतिहासकारों में कई मतभेद हैं.
मॉली की मूर्ति के साथ एक विवादित नाम भी जुड़ा है. डबलिन में सार्वजनिक कला कृतियों को अक्सर तुकबंदी वाले उपनाम दिए गए हैं. इसी तरह सालों तक मूर्ति को “टार्ट विद द कार्ट” (गाड़ी चलाने वाली सेक्स वर्कर) कहा गया, क्योंकि कुछ लोककथाओं के अनुसार वो दिन में मछली बेचती थीं और रात में सेक्स वर्कर के रूप में काम करती थीं.
वीडियो: सेहत: क्या जिम जाने वालों को क्रिएटिन सप्लीमेंट लेना चाहिए?