गैंगस्टर्स की कोर्ट में पेशी की रील इन दिनों काफी वायरल होती हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने इस समस्या से निजात पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से एक खास अनुरोध किया है. पुलिस ने कोर्ट से गैंगस्टर्स के मामलों की सुनवाई के लिए जेल में ही स्पेशल कोर्ट स्थापित करने पर विचार करने को कहा है.
'गैंगस्टर्स रील भी नहीं बना पाएंगे... ', दिल्ली पुलिस ने जेल में स्पेशल कोर्ट बनाने की मजेदार वजह बताई
Delhi में Criminal Gang के सदस्यों के खिलाफ 108 मामलों में अब तक आरोप तय हुए हैं. इसमें केवल 2 प्रतिशत यानी 3 मामलों में अपराधियों को सजा हो पाई है. 10 मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है. वहीं आरोप तय किए गए 108 में से 80 प्रतिशत मामलों में अभी फैसला आना बाकी है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में आपराधिक गिरोहों (गैंगस्टर्स) के 60 प्रतिशत से ज्यादा मामले अब भी कोर्ट की सुनवाई में अटके हुए हैं. इसलिए पुलिस ने कोर्ट से जेल परिसर में इन मामलों के लिए समर्पित कोर्ट स्थापित करने पर विचार करने का अनुरोध किया है. आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट के DCP हरेश्वर वी स्वामी ने 23 जुलाई को सु्प्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया. इस हलफनामे में कहा गया,
इस प्रस्ताव का एक कारण अपराधियों के जीवन को ग्लैमरेस दिखाने वाली रील्स और सोशल मीडिया कंटेट बनाने से रोकना है. क्योंकि आपराधिक गिरोहों से जुड़े गैंगस्टर्स को जेल से कोर्ट ले जाने के दौरान उनके गुर्गे उनके रील्स और वीडियोज बनाते हैं.
दिल्ली पुलिस ने ये भी कहा कि जेल परिसर में स्पेशल कोर्ट बनाए जाने से अपराधियों के लिए देरी के आधार पर जमानत मांगने के मौके कम हो जाएंगे. साथ ही गवाहों और आरोपियों की सुरक्षा के लिहाज से भी ये बेहतर रहेगा.
दिल्ली पुलिस ने आगे बताया कि स्पेशल कोर्ट बनाए जाने के बाद गैंगस्टर्स के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) जैसे विशेष कानून समय से लागू हो पाएंगे.
दिल्ली पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस का पक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने रखा. इससे पहले इसी साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए स्पेशल कोर्ट स्थापित करने का सुझाव दिया था.
दिल्ली में आपराधिक गिरोह के सदस्यों के खिलाफ 108 मामलों में अब तक आरोप तय हुए हैं. इसमें केवल 2 प्रतिशत यानी 3 मामलों में अपराधियों को सजा हो पाई है. 10 मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है. वहीं आरोप तय किए गए 108 में से 80 प्रतिशत मामलों में अभी फैसला आना बाकी है. वहीं आपराधिक गिरोहों के सदस्यों के खिलाफ दिल्ली में कुल 288 मामले दर्ज हैं. इनमें से से 180 मामलों में अभी आरोप तय नहीं हुए हैं.
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