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बेटे की करंट लगने से मौत हो गई, मां-बाप 'जिंदा' करने के लिए आटा-बेलन से शव रगड़ने लगे

युवक की मौत के बाद उसके परिजन उसे ‘जिंदा’ करने की कोशिश करते रहे. मृतक के पूरे शरीर पर आटा-पाउडर लगाकर बेलन से रगड़ने लगे. इस घटना को लेकर डॉक्टरों ने कहा कि इसका अस्पताल से कोई संबंध नहीं है.

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बेगूसराय जिले में स्थित सदर अस्पताल से अंधविश्वास की घटना देखने को मिली. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

बिहार के बेगूसराय जिला स्थित सदर अस्पताल में एक मृत युवक को फिर से जिंदा करने का प्रयास किया गया. युवक की मौत उसके परिजनों को स्वीकार नहीं हुई. वे कथित तौर पर कुछ चीजें उसके शरीर पर रगड़ने लगे, इस आस में कि इससे बेटा जिंदा हो जाएगा. मामले को अंधविश्वास से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

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अस्पताल के डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया था. इसके बाद परिजनों ने युवक के शव को अस्पताल परिसर में बेंच पर लिटा दिया. फिर उसके पूरे शरीर पर बेलन से आटा-पाउडर लगाकर रगड़ने लगे. इस दौरान अस्पताल परिसर में भारी भीड़ जुट गई. वहीं अस्पताल की ओर से कहा गया कि इस मामले का अस्पताल प्रशासन से कोई संबंध नहीं है.

इंडिया टुडे से जुड़े सौरभ कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक मनीष कुमार नाम के 25 वर्षीय युवक की गुरुवार, 24 जुलाई सदर अस्पताल में मौत हो गई. मनीष गाड़ियों की मरम्मत का काम करता था. कुछ दिन पहले वह एक कार पर खड़े होकर वेल्डिंग का काम कर रहा था. तभी ऊपर से हाई वोल्टेज तार की चपेट में आ गया. इस घटना में वह बुरी तरह से घायल हो गया था. इसके बाद परिवार उसे तुरंत एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचा. वहां से उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच के बाद मनीष को मृत घोषित कर दिया.

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डॉक्टरों के ‘डेड डिक्लेरेशन’ के बाद मनीष के परिजन भड़क गए. उन्होंने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने इस मामले को खबर बना दिया. परिवार के लोगों ने अस्पताल परिसर में ही युवक का शव एक बेंच पर लिटा दिया. इसके बाद कथित पारंपरिक तरीके अपनाते हुए उसे ‘जिंदा’ करने की कोशिश शुरू कर दी. 

रिपोर्ट के मुताबिक परिजन करीब एक घंटे तक शव को बेलन से रगड़ते रहे. उसके शरीर पर आटा और पाउडर लगाया गया. वे इस प्रक्रिया को इलाज का हिस्सा मानते रहे. हालांकि मनीष के मृत शरीर में जान नहीं लौटी. आखिरकार उसका पोस्टमॉर्टम कराया गया.

मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने इलाज सही तरीके से नहीं किया. दुखी माता-पिता ने कहा कि अगर बेटे को करंट लगने के बाद समय रहते बेहतर इलाज मिलता तो उसकी जान बच सकती थी. उन्होंने दावा किया कि अस्पताल की एक नर्स शुरुआत में रगड़ने में मदद भी कर रही थी, लेकिन बाद में डॉक्टरों ने उसे रोक दिया.

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वहीं बेगूसराय के सिविल सर्जन अशोक कुमार ने बताया कि युवक अस्पताल पहुंचने से पहले ही मृत हो चुका था. परिजनों ने बाद में पारंपरिक तौर-तरीकों से उसे ‘जिंदा’ करने की कोशिश की. वायरल वीडियो में जो कुछ दिख रहा है, वह परिजनों की आस्था और अंधविश्वास से जुड़ा मामला है. इसका अस्पताल प्रशासन से कोई संबंध नहीं है.

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