दिल्ली में एक NGO ने एक मजार और तीन दरगाहों को अवैध अतिक्रमण बताते हुए उन्हें हटाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने NGO को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. NGO की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया. कहा कि वह चुनिंदा तौर पर सिर्फ दरगाहों और मजारों को हटाने की मांग क्यों कर रहे हैं?
'सिर्फ मजारों का अतिक्रमण ही क्यों दिखता है?', याचिका लेकर पहुंचे NGO को HC ने फटकारा
NGO ने दावा किया कि अवैध निर्माण की वजह से इस जमीन पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है. लेकिन Delhi High Court के Chief Justice डी. के. उपाध्याय ने NGO की प्रमाणिकता पर सवाल उठा दिया. साथ ही याचिका को लेकर कई गंभीर सवाल भी पूछे.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 'सेव इंडिया फाउंडेशन' नाम के NGO ने हाईकोर्ट से इन्हें हटाने की अपील की थी. NGO ने अपनी याचिका में कहा कि जिस जमीन पर अवैध निर्माण किया गया है, वो दिल्ली सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की है. दावा किया कि अवैध निर्माण की वजह से इस जमीन पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है. एक लिस्ट बनाकर इन दरगाहों और मजार को अवैध अतिक्रमण बताया गया है. इनमें से एक मजार बुध विहार फेज-2 और दरगाहें रोहतक रोड, सीलमपुर और बुराड़ी में हैं.
लेकिन मांग से उलट दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय ने NGO की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि आप चुन-चुन कर ये कहां से ले आते हैं? दरगाह? आपको और कहीं पर अतिक्रमण नहीं दिखते? आप सिर्फ मजारों को ही क्यों चुन रहे हैं? इस पर NGO के वकील ने कहा कि इस अतिक्रमण में मंदिर भी हैं. लेकिन वे उन्हें टारगेट नहीं कर रहे हैं.
इस पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मौखिक तौर पर कहा,
“यह इस बेंच के सामने पेश की गई पांचवीं या छठी याचिका होगी, जिसमें विशेष रूप से मजारों को हटाने की मांग की जा रही है. हम दूर-दूर तक यह नहीं कह रहे हैं कि यह स्ट्रक्चर वैध हैं. लेकिन मजारों को ही क्यों? अगर आप असल मायनों में समाज सेवा करना चाहते हैं तो और भी कई तरीके हैं. कृपया अपने NGO को बेहतर सामाजिक काम करने की सलाह दें.”
सीजे उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने मामले का तुरंत निपटारा करते हुए सरकार को NGO के प्रतिनिधित्व पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, जिस NGO ने मजारों और दरगाहों को हटाने की अपील की है, उसके फाउंडर का नाम प्रीत सिंह है. NGO दावा करता है कि वो नागरिकों को उनका हक दिलाने का काम करता है. लेकिन साल 2022 में दिल्ली पुलिस ने NGO और उसके फाउंडर पर बुराड़ी के एक मैदान में आयोजित ‘हिंदू महापंचायत’ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस दर्ज किया था.
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