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GDP को लेकर BJP के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी की बेबाक राय, बोले- स्थिति ठीक नहीं

पूर्व भाजपा अध्यक्ष Murli Manohar Joshi ने कहा कि आर्थिक विकास किसी देश का एकमात्र उद्देश्य नहीं हो सकता. उन्होंने ‘डिग्रोथ’ की अवधारण पेश की.

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मुरली मनोहर जोशी. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) ने भारत की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी की. लगभग 70 स्लाइड के प्रेजेंटेशन में उन्होेंने देश में आय असमानता और भारत की प्रति व्यक्ति GDP की खराब स्थिति पर चिंता जताई. जोशी ने ‘डिग्रोथ’ की अवधारण पेश की. इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था के विकास से ध्यान हटाकर संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना. 

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RSS के 100 साल पूरे होने के मौके पर दिल्ली में मोहन भागवत ने तीन दिवसीय लेक्चर सीरीज का आयोजन किया था. इससे एक सप्ताह पहले आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संघ के छह संगठनों के लगभग 80 प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई. ये बैठक बंद कमरे में हुई. इसी दौरान मुरली मनोहर जोशी ने भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ी टिप्पणी की. उनका मुख्य तर्क ये था कि आर्थिक विकास किसी देश का एकमात्र उद्देश्य नहीं हो सकता.

इंडियन एक्सप्रेस ने इस बैठक में शामिल लगभग एक दर्जन प्रतिनिधियों के हवाले से लिखा है कि मोहन भागवत ने जोशी की बातों की सराहना करते हुए कहा,

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जोशी जी ने सब कुछ कह दिया है.

अपने प्रेजेंटेशन के दौरान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को कोट करते हुए जोशी ने कहा,

यदि किसी राष्ट्र की आर्थिक सफलता का आकलन केवल आय से किया जाता है, तो कल्याण का महत्वपूर्ण लक्ष्य चूक जाता है.

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धन असमानता पर, पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 2021 में, भारत की आबादी के सबसे धनी 10 प्रतिशत लोगों के पास, कुल घरेलू संपत्ति का 65 प्रतिशत हिस्सा था. उन्होंने आगे कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति GDP केवल 2,878.5 डॉलर (लगभग 2.53 लाख रुपये) था, जो जापान से बहुत कम था. 

'विदेश पर निर्भर रहना भारत के हित में नहीं'

जोशी ने कहा कि विदेश पर अधिक निर्भर रहना भारत के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि देश की शब्दावली में 'डिग्रोथ' शब्द को शामिल करने का अर्थ होगा- कम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और समाज को ‘शेयरिंग’, ‘सिंपलीसिटी’, ‘मिलनसारिता’ और ‘केयर’ के मूल्यों के साथ अलग ढंग से संगठित करने की दिशा में बदलाव.

भारतीय जनसंघ (BJS) के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय का हवाला देते हुए उन्होंने आगे कहा,

हम जो हमारे पास नहीं है उसे पाने की योजना बनाते हैं, लेकिन जो हमारे पास है उसकी रक्षा करने की योजना नहीं बनाते. हम कृषि और स्वदेशी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रहे, जबकि हम ऐसे विदेशी सहयोग का स्वागत करते रहे जो हमारे हितों और प्रतिष्ठा को कमजोर करते हैं.

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मुरली मनोहर जोशी ने देश में नशीली दवाओं के खतरे, बढ़ती आत्महत्याओं और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली तबाही पर भी चिंता जताई. उन्होंने जलवायु परिवर्तन का भी जिक्र किया और कहा कि हिमालय में सड़कों का स्थिर होना, उन्हें सिर्फ चौड़ा करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है.

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