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धरना दे रहे थे 7 हजार कर्मचारी, बिहार सरकार ने मना किया, नहीं माने, अब सबकी नौकरी चली गई

Bihar News: कर्मचारियों का कहना है कि उनसे स्थाई कर्मचारियों के जितना ही काम लिया जाता है, लेकिन उनको वैसी सुविधा नहीं मिलती. विभाग का कहना है कि कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से सरकारी काम में बाधा पड़ी है.

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हड़ताल के दौरान बिहार के संविदा कर्मचारी. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

बिहार (Bihar) सरकार ने 7,000 से अधिक संविदा कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है. ये सब राजस्व एंव भूमि सुधार विभाग के कर्मचारी थे. पिछले महीने से ये लोग अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. सरकार की ओर से इन्हें काम पर लौटने के लिए डेडलाइन दी गई थी. इस डेडलाइन के खत्म होने के बाद जो भी संविदा कर्मचारी काम पर वापस नहीं लौटे, उनकी सेवा समाप्त कर दी गई. 

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16 अगस्त से राजस्व एंव भूमि सुधार विभाग के विशेष सर्वे संविदा कर्मी हड़ताल पर हैं. वो नियमित सेवा और 'कर्मचारी राज्य बीमा' (ESIC) की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि संविदा कर्मियों से स्थाई कर्मचारियों के जितना ही काम लिया जा रहा है, लेकिन उनके जैसी सुविधा नहीं दी जा रही.

विभाग ने उनको काम पर लौटन के लिए 3 सितंबर की शाम के 5 बजे तक का वक्त दिया था. 3,295 कर्मचारी इस डेडलाइन के पहले काम पर वापस लौट गए और 7,480 कर्मचारियों ने हड़ताल जारी रखी. इसके बाद विभाग ने उनकी सेवा समाप्त कर दी.

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विभाग ने इससे पहले हड़ताल से लौटने के लिए 30 अगस्त की डेडलाइन तय की थी. कर्मचारी जब काम पर नहीं लौटे तो फिर से एक दूसरी तारीख तय की गई. विभाग का कहना है कि इन कर्मचारियों से कई बार अपील की गई कि वो सेवा पर लौट आएं. उन्होंने कहा कि कर्मियों के हड़ताल पर जाने से विभाग के काम में गंभीर दिक्कतें आईं.

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संविदा कर्मियों की नए सिरे से होगी भर्ती

विशेष सर्वे संविदा कर्मियों की नौकरी समाप्त करने के बाद विभाग ने घोषणा की है कि सभी रिक्त पदों पर नए सिरे से भर्ती की जाएगी. इसके लिए इस महीने के अंत में विज्ञापन प्रकाशित किए जा सकते हैं. 

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बता दें कि अगले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है. उसके मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने का वादा किया है. जुलाई महीने में इसकी घोषणा करते हुए सीएम ने कहा था कि 2005 से 2020 के बीच राज्य में आठ लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गईं.

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