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लाल किला मिलने पहुंचे थे लोकेश और अशोक, धमाके में दोनों दोस्त की मौत हो गई

Delhi Blast UP Friends Killed: परिवार वालों ने बताया कि उन्हें लोकेश की मौत की खबर तब पता चली, जब पुलिस ने उनके आखिरी डायल किए गए नंबर से आई कॉल को ट्रेस किया. लोकेश के परिचितों ने बताया कि वो ‘दयालु और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार’ रहते थे.

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अशोक कुमार दिल्ली में बस कंडक्टर के रूप में काम करते थे. (फोटो- PTI/इंडिया टुडे)

दिल्ली में 10 नवंबर की शाम हुए कार ब्लास्ट में 10 लोगों की जान चली गई. इनमें उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के दो दोस्त भी शामिल हैं. अशोक कुमार दिल्ली में बस कंडक्टर के रूप में काम करते थे. वहीं, उनके दोस्त लोकेश अग्रवाल खाद व्यापारी थे. दोनों युवक एक-दूसरे से मिलने लाल किला के पास पहुंचे थे. लेकिन ये उनकी आखिरी मुलाकात साबित हुई. लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुंडई i20 कार में ब्लास्ट होने से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई.

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लोकेश (35) का गांव अमरोहा के हसनपुर में मौजूद है. न्यूज एजेंसी ANI की खबर के मुताबिक, वो सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती अपने एक रिश्तेदार से मिलने दिल्ली पहुंचे थे. घर लौटते समय वो अपने दोस्त अशोक से मिलने के लिए ब्लास्ट वाली जगह पर रुके थे. 

स्थानीय विधायक महेंद्र सिंह खड़कवंशी ने ANI से बात करते हुए बताया,

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लोकेश अपने दोस्त अशोक से मिलने दिल्ली गए थे. दुर्भाग्य से लाल किले के पास हुए विस्फोट में दोनों की जान चली गई. ये उनके परिवारों के लिए एक अपूरणीय क्षति है.

परिवार वालों ने बताया कि उन्हें लोकेश की मौत की खबर तब पता चली, जब पुलिस ने उनके आखिरी डायल किए गए नंबर से आई कॉल को ट्रेस किया. लोकेश के परिचितों ने बताया कि वो ‘दयालु और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार’ रहते थे.

स्थानीय पुलिस जब जांच के लिए लोकेश के गांव पहुंची, तो परिवार को बेटे की मौत की खबर दी. उनके चचेरे भाई और गांव के सरपंच सोमपाल ने कहा कि परिवार को अब भी भरोसा नहीं हो रहा है.

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वहीं, 38 साल के अशोक दिल्ली की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में बस कंडक्टर के रूप में काम करते थे. वो अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ राजधानी में किराए के मकान में रहते थे. उनके पिता का कुछ साल पहले निधन हो गया था. बुजुर्ग मां जीवित हैं और अपने पैतृक घर में रहती हैं. उनके एक पड़ोसी ने कहा, ‘उन्हें अभी तक कुछ नहीं बताया गया है. हमें नहीं पता कि वह इसे कैसे लेंगी.’

पुलिस ने अशोक के परिवार से उनके दिल्ली प्रवास के बारे में पूछताछ की. फिर बाद में शव की पहचान करने के बाद उनको सौंप दिया.

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सोमवार, 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किला के सामने एक जोरदार धमाका हुआ. ठीक उसी दिन जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGuH) से जुड़े एक टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था. फिलहाल ये दोनों मामलों के आपस में जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है. सूत्रों के हवाले से इस घटना को ‘आतंकी हमला’ बताया गया है. हालांकि सरकार ने आधिकारिक रूप से ये पुष्टि नहीं की है.

वीडियो: परिवार चलाने के लिए डबल ड्यूटी करते थे अशोक कुमार, लाल किला ब्लास्ट में हुई मौत

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