भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने हाल ही में अपने गृह राज्य महाराष्ट्र का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने एक खास बात की तरफ ध्यान दिलाया. जब वे मुंबई पहुंचे तो राज्य के तीन बड़े अधिकारी- चीफ सेक्रेटरी, डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) और मुंबई पुलिस कमिश्नर, तीनों वहां मौजूद नहीं थे. CJI गवई मुंबई में एक सम्मान समारोह में पहुंचे थे, इसके बाद उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर की याद में बनी ‘चैत्य भूमि’ का दौरा किया.
CJI के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे चीफ सेक्रेटरी, DGP और पुलिस कमिश्नर, जस्टिस गवई ने नसीहत दे दी
CJI BR Gavai ने Maharashtra के तीन बड़े अधिकारियों की गैरमौजूदगी पर तब सवाल उठाए, जब न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच अधिकारों के लिए रस्साकशी चल रही है. इस दौरान उन्होंने Supreme Court को स्पेशल पावर देने वाले Article 142 का भी जिक्र किया.

CJI गवई ने यह बात रविवार, 18 मई को मुंबई में आयोजित एक सम्मान समारोह में कही. महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल ने इस इवेंट को आयोजित किया था. जस्टिस गवई CJI बनने के बाद पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के दौरे पर आए. उन्होंने राज्य के तीन बड़े अधिकारियों की गैरमौजूदगी पर तब सवाल उठाए, जब न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच अधिकारों के लिए रस्साकशी चल रही है.
महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के
"लोकतंत्र के तीन स्तंभ- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका, सब बराबर हैं. संविधान के हर अंग को दूसरे अंगों को सम्मान देना चाहिए. जब महाराष्ट्र राज्य का कोई व्यक्ति CJI बनने के बाद पहली बार महाराष्ट्र का दौरा करता है, तो अगर महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) या मुंबई के पुलिस कमिश्नर को वहां जाने की जरूरत महसूस नहीं होती है, तो उन्हें खुद इस बारे में सोचना चाहिए."
उन्होंने आगे कहा,
"मुझे प्रोटोकॉल की इतनी जरूरत महसूस नहीं होती है. जब भी मैं अमरावती या नागपुर जाता हूं, तो मैं कभी पायलट एस्कॉर्ट नहीं लेता हूं. सुप्रीम कोर्ट आने से पहले मैं अपने दोस्तों की मोटरसाइकिल पर घूमता था. लेकिन यह संस्था के अन्य अंगों द्वारा न्यायपालिका के प्रति सम्मान का सवाल है."
CJI गवई ने आर्टिकल 142 का जिक्र करते हुए कहा,
"जब किसी संवैधानिक संस्था का प्रमुख पहली बार किसी राज्य में जाता है, और वो भी जब वो उस राज्य से हो, तो उन्होंने जो व्यवहार किया वो उचित है या नहीं, उन्हें खुद सोचना चाहिए. अगर हममें से कोई होता, तो आर्टिकल 142 के बारे में चर्चा होती. ये छोटी-छोटी बातें लग सकती हैं, लेकिन जनता को इनके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए."
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई जज ऐसा करता यानी प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करता, तो आर्टिकल 142 की चर्चा शुरू हो जाती. आर्टिकल 142 वही आर्टिकल है, जो सुप्रीम कोर्ट को स्पेशल पावर देता है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, ये बातें कहने के बाद जब CJI गवई बाबा साहेब आंबेडकर के समाधि स्थल 'चैत्य भूमि' पहुंचे, तो चीफ सेक्रेटरी सुजाता सौनिक, DGP रश्मि शुक्ला और पुलिस कमिश्नर देवेन भारती वहां मौजूद थे. जब पत्रकारों ने उनसे इस मुद्दे पर और पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्हें प्रोटोकॉल की इतनी चिंता नहीं है. उन्होंने बस वही बताया जो असल में हुआ.
वीडियो: इंडिया की नकल कर रहे पाकिस्तान ने ओवैसी-थरूर से मुकाबले के लिए बिलावल भुट्टो को चुना