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'मेरिट में तीसरे नंबर पर था, आज भारत का चीफ जस्टिस,' CJI गवई ने कहा- 'रैंक मायने नहीं रखती'

CJI BR Gavai ने गोवा के वीएम सालगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कानून के छात्रों को अपनी कॉलेज लाइफ के दिनों के बारे में बताया.

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BR Gavai ने छात्रों को अपनी कॉलेज लाइफ के बारे में बताया. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) ने छात्रों को बड़ा संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि एग्जाम का रिजल्ट ही किसी की सफलता तय नहीं करता. उन्होंने बताया कि सफलता के पीछे मेहनत, समर्पण और प्रोफेशन के प्रति कमिटमेंट ज्यादा मायने रखते हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार, 23 अगस्त को CJI बीआर गवई गोवा पहुंचे. उन्होंने मीरामार स्थित वीएम सालगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए लॉ के स्टूडेंट्स से कहा,

“मैं एक होनहार छात्र था... आखिरी साल में मुझे अमरावती शिफ्ट होना पड़ा… अमरावती में मुझे लगता है कि मैं शायद आधा दर्जन बार ही कॉलेज गया.. फिर भी मेरिट लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहा.”

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उन्होंने आगे कहा कि जब वे सरकारी लॉ कॉलेज में पढ़ रहे थे, तो शुरुआती दो सालों तक कॉलेज परिसर की एक दीवार पर बैठते थे और अपनी अटेंडेंस लगाने के लिए दोस्तों पर निर्भर रहते थे. उन्होंने बताया कि उनके एक दोस्त थे, जो बाद में हाई कोर्ट के जज बने, वही उनकी अटेंडेंस लगाते थे.

संबोधन के दौरान सीजेआई गवई ने कहा,

"जब रिजल्ट जारी हुआ तो एक छात्र टॉपर बना. मेरा एक दोस्त दूसरे नंबर पर था. कॉलेज जाए बिना मेरिट लिस्ट में मैं खुद तीसरे नंबर पर था. किताब और पांच साल के हल किए गए पुराने पेपर पढ़कर तैयारी की थी."

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उन्होंने आगे कहा कि जो छात्र मेरिट में नंबर एक पर था, वो एक क्रिमिनल लॉयर बना. मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर आने वाला उनका दोस्त हाई कोर्ट का जज बन गया. जबकि तीसरे नंबर आकर वे खुद आज भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए परीक्षा में अपनी रैंक पर मत जाइए.

उन्होंने छात्रों को समझाया कि परीक्षा का रिजल्ट यह तय नहीं करता कि आप क्या सफलता हासिल करेंगे. CJI गवई ने कहा कि आपका दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत, समर्पण और  प्रोफेशन के प्रति कमिटमेंट ज्यादा मायने रखते हैं.

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