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'लोन के लिए CIBIL स्कोर जरूरी नहीं...', वित्त मंत्रालय ने RBI की बात दोहराते हुए क्या कहा?

CIBIL Score: पहली बार कर्ज लेने वालों के लिए सिबिल स्कोर अनिवार्य नहीं है. फिर भी वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि वो आवेदकों की पूरी जांच-पड़ताल करें और उनकी पृष्ठभूमि की जांच करें.

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वित्त मंत्रालय ने CIBIL स्कोर पर अहम जानकारी दी. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

अगर आप लोन की तलाश में हैं, तो केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक अहम बयान पर जरूर ध्यान दें. वित्त मंत्रालय का कहना है कि पहली बार बैंक लोन लेने वालों के लिए मिनिमम सिबिल स्कोर (CIBIL Score) जरूरी नहीं है. हालांकि, मंत्रालय ने बैंकों से ये भी कहा है कि वे लोन देने से पहले आवेदकों की उचित जांच-पड़ताल करें और उनका बैकग्राउंड भी चेक करें.

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बीते हफ्ते मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में बोलते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने ये बातें कहीं. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, उन्होंने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के रुख को दोहराते हुए कहा,

रिजर्व बैंक ने 6 जनवरी, 2025 में मास्टर निर्देश जारी किया. इसके तहत RBI ने संस्थानों को सलाह दी है कि पहली बार लोन लेने वालों के लोन एप्लिकेशंस को सिर्फ इसलिए नामंजूर नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उनका कोई क्रेडिट इतिहास नहीं है.

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आगे चीजों को आसानी से समझें, इसके लिए जरूरी है कि पहले सिबिल स्कोर को समझ लिया जाए.

CIBIL स्कोर क्या है?

सिबिल यानी CIBIL का पूरा नाम है- ‘क्रेडिट इंफोर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड’. यह संस्था तीन डिजिट का सिबिल स्कोर जारी करती है. इसे एक तरह से वित्तीय ‘कुंडली’ कहा जा सकता है. जिस दिन आपने पैनकार्ड बनवाया, उस दिन से आपकी कुंडली पर सब दर्ज होने लगता है. आपके बैंक अकाउंट से लेकर पहले लिए लोन के आखिरी हिसाब तक, सब यहां मिलता है.

किसी शख्स ने लोन या क्रेडिट कार्ड की EMI को समय पर चुकाया या नहीं, कितनी तरह का कर्ज लिया है, कितनी रकम का कर्ज लिया है, कितने समय के लिए लिया है और कितने समय में कर्ज वापस कर दिया गया. इन सब बातों को ध्यान में रखकर CIBIL स्कोर तैयार होता है. जो शख्स क्रेडिट कार्ड से हुए खर्चों का समय पर भुगतान कर देता है या अपनी EMI लगातार टाइम से देता रहता है, उसका स्कोर मजबूत होता जाता है.

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CIBIL स्कोर की रेंज 300 से 900 के बीच झूलती है. 750 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है. 850 हुआ, तो आप बैंक से अपने लोन की रकम और ब्याज को लेकर मोलभाव तक कर सकते हैं. पर्सनल लोन से लेकर कार लोन और होम लोन तक, ये स्कोर काफी मायने रखता है.

हालांकि, पहली बार कर्ज लेने वालों के लिए सिबिल स्कोर अनिवार्य नहीं है. फिर भी वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि वो आवेदकों की पूरी जांच-पड़ताल करें और उनकी पृष्ठभूमि की जांच करें. इस जांच पड़ताल में क्रेडिट इतिहास, पिछले रिपेमेंट का इतिहास, देरी से हुई रिपेमेंट, सेटल हो चुके लोन, बट्टे खाते में डाले गए लोन आदि की जांच शामिल होगी.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने ये भी बताया कि क्रेडिट इंफोर्मेशन देने वाली कंपनियां किसी व्यक्ति को उसकी क्रेडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए 100 रुपये तक शुल्क ले सकती हैं. इससे ज्यादा रकम नहीं वसूली जा सकती.

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