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केदारनाथ यात्रा में इस्तेमाल होने वाले खच्चरों में पाया गया H3N8 virus, यात्रा पर क्या असर पड़ेगा?

H3N8 Influenza Virus Detected In 12 Mules: जब टेस्ट कराए गए, तो 422 सैंपल्स में से 12 में 'H3N8 इंफ़्लूएंजा' पॉजिटिव पाया गया. उन्हें क्वारंटीन भेजकर उनका इलाज चल रहा है.

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422 सैंपल्स में से 12 में H3N8 वायरस पॉजिटिव पाया गया. (फ़ोटो - PTI)

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में 12 खच्चरों में H3N8 नाम का संक्रामक वायरस पाया गया है. बताया जा रहा है कि इन खच्चरों का इस्तेमाल केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) में किया जाता है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है कि इससे यात्रा में कोई व्यवधान पैदा ना हो. वायरस की पुष्टि होने के बाद खच्चरों को क्वारंटीन में भेज दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर नज़र बनाए हुए है.

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उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि चार धाम यात्रा में घोड़े-खच्चर अहम रोल अदा करते हैं. जब टेस्ट कराए गए, तो 422 सैंपल्स में से 12 में 'H3N8 इंफ़्लूएंजा' पॉजिटिव पाया गया. उन्हें क्वारंटीन में भेजकर उनका इलाज किया जा रहा है.

सौरभ बहुगुणा ने बताया कि जैसे इंसानों में सर्दी, जुकाम होता है. H3N8, जानवरों में पाया जाने वाला इसी तरह का इंफ़्लूएंजा है. इसके इलाज के लिए सिंपल प्रोसेस है. उन्हें एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं. 10 दिन का रेस्ट चाहिए होता है. उसके बाद क्वारंटीन करना पड़ता है. इस प्रोसेस के बाद 99 फीसद संभावना है कि ये वायरस उनमें ख़त्म हो जाए.

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पशुपालन मंत्री सौरभ ने केदारनाथ यात्रा के लिए चल रही तैयारी के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, “लगभग 18,000 लोग हर दिन खच्चरों का इस्तेमाल करके केदारनाथ धाम आते-जाते हैं. हमने यात्रा से 35-40 दिन पहले उन घोड़ों खच्चरों का रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू किया, जिनका इस्तेमाल लोगों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है.”

मंत्री ने आगे कहा, “जिन गांवों से ये घोड़े-खच्चर आते हैं, वहां छोटे-छोटे हेल्थ और रजिस्ट्रेशन कैंप्स लगाए गए. ताकि उनकी फ़िटनेस की जांच की जाए. जो पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थे, उन्हें पहले ही ब्लॉक कर दिया गया. यात्रा शुरू होने में अभी भी एक महीने का समय है. जो जानवर इंफ्लुएंजा फ़्री होंगे. उन्हें 15 दिन बाद रूट पर ले जाया जाएगा. जो पॉजिटिव होंगे, उनको क्वारंटीन किया जाएगा. फिर 2 हफ़्ते बाद उनका फिर टेस्ट होगा. फिर उन्हें वापस रूट पर ले जाया जाएगा.”

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बागेश्वर, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली. इन पांच ज़िलों से क़रीब 23,120 जानवरों का यात्रा रूट में इस्तेमाल करने के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाता है. पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने आगे बताया,

“2022 में, खच्चरों पर क्रूरता दिखाते हुए कई वीडियो वायरल हुए. इसे नियंत्रित करने के लिए, हमने कई कदम उठाए. मौतें 2022 में 170 से घटकर 2024 में 25 हो गईं. हम आगे रजिस्ट्रेशन प्रोसेस जारी रखेंगे.”

अधिकारियों का कहना है कि यात्रा में इस्तेमाल करने के लिए कार्ययोजना तैयार की है. जो खच्चर नेगेटिव होंगे, उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा और यात्रा में इस्तेमाल किया जाएगा.

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