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अमेरिका में सूअरों का मांस नीला क्यों हो रहा?

कैलिफोर्निया के मॉन्टेरी काउंटी में कई जंगली सूअरों के मांस और चर्बी चमकीले नीले रंग में बदल गए थे. बताया गया कि इन सूअरों ने चूहों और गिलहरियों को मारने के लिए रखे गए जहरीले दाने खा लिए थे.

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जंगली सूअरों के मांस नीले पड़ गए (India Today)

कैलिफोर्निया के मॉन्टेरी काउंटी में इसी साल के मार्च महीने की बात है. जंगली जानवर पकड़ने वाले व्यक्ति ने एक सूअर पकड़ा. जब उसे काटा तो उन्होंने देखा कि सूअर के अंदरूनी हिस्से में मांस और चर्बी चमकीले नीले रंग में बदल गए थे. ये मंजर देखकर तो कोई भी हैरान हो जाए. हम सभी मांस के लाल रंग से वाकिफ हैं. फिर अचानक से इन सूअरों को क्या हो गया कि इनके मांस का रंग नीला होने लगा? ये रंग ऐसा नीला था कि लोग ये भी सोच सकते थे कि सूअर गहरे नीले रंग वाले पेंट के ड्रम में गिर गए होंगे.

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लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूअरों की ये हालत किसी रंग की वजह से नहीं बल्कि एक खास किस्म के ‘जहर’ की वजह से हुई थी, जिसे खेतों में गिलहरियों और चूहों को मारने के लिए रखा गया था. सूअरों ने इसे खा लिया और धीरे-धीरे अंदर से नीले पड़ते गए. इस जहर का नाम डायफैसिनोन (Diphacinone) है. यह एक तरह का चूहामार जहर है, जिसे नीले रंग में इसलिए रंगा जाता है ताकि वे आसानी से पहचान में आ सकें.

कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ फिश एंड वाइल्डलाइफ (CDFW) ने इसके बाद उस खास इलाके के सूअरों की जांच की तो एक सूअर के पेट और लीवर में इस जहर के निशान भी मिले.

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इसकी पक्की पड़ताल के लिए एक ‘ट्रैप’ तैयार किया गया. डायफैसिनोन मिलाकर चारा तैयार किया गया और उसके कुछ डिब्बे खुले मैदानों में रखे गए. देखा गया कि कुछ जंगली सूअर ये डिब्बे तोड़कर चारा खा रहे थे.

दरअसल, कैलिफोर्निया में इस तरह का जहरीला चारा इस्तेमाल करने के लिए किसानों को कानूनी तौर पर परमिशन मिली है. क्योंकि चूहे और गिलहरियां उनकी फसलों को बर्बाद कर देती हैं. उन्हें मारने के लिए वो इन जहरीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, अक्सर गलती से ये 'जहरीला चारा' सूअर जैसे दूसरे जानवर भी खा लेते हैं, जिसके बाद इसका रंग और जहर उनके शरीर की चर्बी और मांस में जमा हो जाता है. 

हालांकि, जांच करने वालों ने बताया कि जरूरी नहीं है कि हर प्रभावित सूअर में यह नीला रंग दिखे ही. सीडीएफडब्ल्यू में कीटनाशक जांच करने वाले अधिकारी डॉ. रयान बॉर्बर का कहना है कि अगर सूअर, हिरण, भालू जैसे जंगली जानवरों ने ये जहर खा लिया हो तो उनके मांस में भी जहर मिल सकता है. यानी जिन इलाकों में जहरीला चारा रखा गया हो, वहां के किसी भी जंगली जानवर पर इसका असर हो सकता है.

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हालांकि, मांस का रंग नीला न होने पर ये पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वह जहरीला नहीं है. साल 2018 में की गई एक रिसर्च में पाया गया कि ऐसे इलाकों से पकड़े गए 120 जंगली सूअरों में से 10 के शरीर में यह जहर मौजूद था. भले ही उनके मांस में नीला रंग दिखाई नहीं दे रहा था.

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