The Lallantop

इब्राहिम ट्रोरे: 37 साल का लड़का बन गया अफ्रीका का सबसे ताकतवर शख्स, लोग इसके दीवाने क्यों हैं?

युवा राष्ट्रपति Ibrahim Traore (इब्राहिम ट्रोरे) को अफ्रीकी देश बुर्कीना फासो में मसीहा और तारणहार की तरह देखा जा रहा है. वजह है, उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिनसे हिंसा, आर्थिक तंगी, भुखमरी झेलते इस अफ्रीकी देश के लोगों को उम्मीद मिली है.

post-main-image
इब्राहिम ट्रोरे इस समय दुनिया के दूसरे सबसे युवा वर्किंग हेड ऑफ स्टेट हैं.

सोशल मीडिया पर बीते दिनों अफ्रीकी देश बुर्कीना फासो के राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे (Ibrahim Traore) का . फेसबुक से लेकर ट्विटर, यूट्यूब हर जगह इस वीडियो को जमकर शेयर किया गया. भाषण के बोल ऐसे थे कि राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखने वाला भी इसका दीवाना हो जाए. जैसे कि मैं खुद. इसकी कुछ लाइनें आपकी नजर करते हैं…..

‘मैं तुमसे पूछता हूं -
New York Times, Washington Post, Guardian, Le Monde,
कभी अफ़्रीका की कामयाबियों को अपनी हेडलाइन बनाया?

कितनी बार तुमने रवांडा की टेक्नोलॉजी क्रांति के बारे में लिखा?
कितनी बार तुमने इथियोपिया के पुनर्वनीकरण प्रोजेक्ट को दिखाया?
कितनी बार तुमने बोत्सवाना की लोकतांत्रिक सफलता की तारीफ की?
कितनी बार तुमने केन्या की एंटरप्रेन्योरशिप की कहानी सुनाई?

नहीं, क्योंकि ये सब तुम्हारी स्क्रिप्ट में फिट नहीं बैठता.
तुम्हारे अफ़्रीका की कहानी में अफ़्रीका सफल नहीं हो सकता.

क्या कभी तुम्हारे किसी संपादक, किसी रिपोर्टर ने ये सोचा है?
दुनिया की सबसे अमीर ज़मीनों पर बसे लोग गरीब क्यों हैं?

तो लीजिए, असल आंकड़े —
30% सोना — माली, बुर्किना फासो, घाना, तंज़ानिया —
सोना नदियों की तरह बहता है, लेकिन लोग गरीबी में तैरते हैं.

65% हीरे - बोत्सवाना, अंगोला, कांगो, सिएरा लियोन में,
अरबों डॉलर के हीरे निकाले जाते हैं, लेकिन मज़दूर $1 रोज़ कमाते हैं.

35% यूरेनियम — नाइजर, नामीबिया, साउथ अफ़्रीका में,
पेरिस की लाइटें हमारे यूरेनियम से जलती हैं, लेकिन हमारे गांवों में बिजली नहीं.
और तुम पूछते हो — अफ़्रीका गरीब क्यों है?
सही सवाल ये है:

अफ़्रीका को इतना अमीर होते हुए गरीब कैसे बनाए रखा गया?

जवाब है — उपनिवेशवाद’

पश्चिमी देशों को ललकारते और देशवासियों के मन में भरोसा जगाते इस वीडियो ने खूब सुर्खियां बटोरीं. लेकिन ये वीडियो असली नहीं था. ये डीपफेक था. मगर त्राओरे इस तरह की सख़्त भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं. आज आपको इसी युवा राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे के बारे में बताएंगे. जिसे अफ्रीकी देश बुर्कीना फासो में मसीहा और तारणहार की तरह देखा जा रहा है. वजह है, उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिनसे हिंसा, आर्थिक तंगी, भुखमरी झेलते इस अफ्रीकी देश के लोगों को उम्मीद मिली है.

सबसे युवा राष्ट्रपति

इब्राहिम ट्रोरे का जन्म 1988 में हुआ था. 2009 में बुर्कीना फासो की सेना से जुड़े. टुकड़ियों के साथ तालमेल बनाने में माहिर. लीडरशिप में भी अव्वल. काबिलियत के दम पर 2020 में कैप्टन बन गए. ये वो समय था जब बुर्कीना फासो में हिंसा फैली हुई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति रोच मार्क क्रिश्चियन काबोरे हिंसा को काबू में नहीं कर पा रहे थे. सेना ने दखल दिया और कर्नल दामिबा ने जनवरी 2022 में कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया. लेकिन दामिबा भी देश में बिगड़ते हालात संभाल नहीं पाए. 

ibrahim traore holding office
बुर्कीना फासो के राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे ने सितंबर 2022 में कर्नल दामिबा से कमान छीन कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया.

मौका देखकर इब्राहिम ट्रोरे ने एक ही साल में दूसरा सैन्य तख्तापलट किया. सितंबर 2022 में दामिबा से कमान छीन ली. कुछ ही सप्ताह बाद आधिकारिक बयान जारी कर कहा गया, ट्रोरे बुर्कीना फासो के राष्ट्रपति होंगे. ट्रोरे दुनिया भर में दूसरे सबसे युवा सर्विंग हेड ऑफ स्टेट हैं. बुर्कीना फासो के लोगों की दो सबसे बड़ी समस्याएं थीं. एक- लोकतांत्रिक सरकार के प्रति नाराजगी. दूसरा- विदेशी हस्तक्षेप. ट्रोरे ने अपने पहले ही भाषण में इन दो समस्याओं को जड़ से मिटाने का वादा किया.

जनता से वादा

राजधानी औगाडोगू में शपथ समारोह हुआ. ट्रोरे ने वादा किया जुलाई 2024 में चुनाव कराए जाएंगे. उन्होंने पहले व्यक्तव्य में कहा, "हम अभूतपूर्व सुरक्षा और मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं. आतंकवादी गिरोहों द्वारा कब्जाए इलाकों को फिर से कब्जा लेना हमारा लक्ष्य है. बुर्किना का अस्तित्व खतरे में है, देश को सुरक्षित बनाना ही उनका मकसद है." इसके अलावा उन्होंने कुछ और सुधारों का वादा किया.

सरकारी अधिकारियों की सैलरी में कटौती
उनसे पहले के सैन्य अधिकारियों ने सरकारी अधिकारियों के लिए वेतन वृद्धि की थी. इसके प्रति जनता में आक्रोश था. ट्रोरे ने इन बदलावों को रद्द कर दिया. खुद भी मिलिट्री कैप्टन वाली अपनी पुरानी आय पर ही बने रहने का फैसला किया.

संसाधनों का राष्ट्रीयकरण
बुर्कीना फासो में खनिजों को बहुत बड़ा जखीरा है. पश्चिमी देश बड़े पैमाने पर उनका दोहन कर अपने देश ले जा रहे थे. इसे रोकने के लिए ट्रोरे ने कई कदम उठाए. दो सोने की खदानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. अनरिफाइंड गोल्ड के यूरोप निर्यात पर रोक लगा दी. नेशनल गोल्ड रिफाइनरी का उद्घाटन किया, जिसकी सालाना क्षमता 150 टन थी.

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट
कपास की प्रोसेसिंग के लिए नेशनल सपोर्ट सेंटर बनाया. ग्रामीण सड़क और नए एयरपोर्ट का काम शुरू किया. खेती बाड़ी में भारी भरकम निवेश किया.

आर्थिक आत्मनिर्भरता
इंटरनेशनल मोनेटरी फंड और वर्ल्ड बैंक से वित्तीय मदद लेने से मना कर दिया. मकसद था ये संदेश देना कि बुर्कीना फासो पश्चिमी देशों की मदद बिना भी विकास कर सकता है. 2023 में फ्रांसीसी सैनिकों को वापस भेज दिया. जिससे ये संदेश दिया कि बुर्कीना फासो पर पश्चिमी देशों की मनमानी नहीं चलेगी.

बढ़ती जा रही लोकप्रियता

सत्ता में आने के बाद से ट्रोरे की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है. 7 जनवरी 2025 को घाना में राष्ट्रपति जॉन महामा का उद्घाटन भाषण था. वहां 21 अफ्रीकी अध्यक्ष मौजूद थे. इसमें सबसे ज्यादा गर्मजोशी किसी ने बटोरी तो वो थे ट्रोरे. इस स्वागत से साबित हो गया कि ट्रोरे कितने लोकप्रिय हैं. लेकिन इससे एक और चीज जाहिर हुई. अफ्रीका में खासकर युवाओं में सैन्य शासन के प्रति कितनी स्वीकार्यता आ रही है. 

ibrahim traore supporter
मिलिट्री लीडर इब्राहिम ट्रोरे के समर्थन में उतरे बुर्कीना फासो के लोग.

कुछ लोगों का मानना है कि ट्रोरे दुनिया को दिखा रहे हैं कि अफ्रीकी लोग अपने मसले खुद संभाल सकते हैं. युवाओं को लग रहा है कि ट्रोरे शासन में उनके दिन बहुरेंगे. यही कारण है कि अभी तक जितने भी सैन्य अधिकारी सत्ता में आए. ट्रोरे उनमें सबसे पॉपुलर हुए. क्योंकि उन्होंने बुर्कीना देश के लोगों को उम्मीद दी. कहा, बुर्कीना फासो को पश्चिमी देशों से आजादी दिलाएंगे. आत्म निर्भर बनेंगे. अब सोचिए जो देश लंबे अरसे से विदेशी दखल का शिकार रहा हो. लोकतंत्रिक व्यवस्था टिक नहीं पा रही है. सैन्य तख्तापलट आम हो चुके हों. ऐसे में ट्रोरे जैसे युवा राष्ट्रपति के वादे, डूबते देश के लिए तिनके जैसे सहारे से कम नहीं.

क्या हुआ तेरा वादा?

सत्ता संभालने के बाद ट्रोरे क्या अपने वादों पर खरे उतरे हैं? जिस व्यवस्था के अंदर जुलाई 2024 में चुनाव होने थे- Economic Community of West African States (ECOWAS), बुर्कीना फासो ने खुद को उससे अलग कर लिया. नई व्यवस्था के हिसाब से ट्रोरे 2029 तक बुर्कीना फासो के राष्ट्रपति रह सकते हैं. वहीं सुरक्षा मोर्चे पर भी कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा है.

असोसिएडेट प्रेस (AP) ने एनालिस्ट्स और रिसर्चर्स के हवाले से लिखा है, ट्रोरे के शासन में सुरक्षा संकट और गहराया है. अर्थव्यवस्था सुस्त हो चुकी है. बुर्कीना फासो मिनरल नाम के जिस जखीरे पर बैठा है वहीं के लोग उस दौलत का फायदा नहीं उठा पा रहे. 

अमेरिकी आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ड लोकेशन एंड इवेंट डेटा प्रोजेक्ट(ACLED) ने कुछ आंकड़े पेश किए. उसके मुताबिक 2022 में सैन्य तख्तापलट से पहले, सरकारी शासन और जिहादी गुटों के हमलों में 2,894 लोग मारे गए थे. बीते एक साल में ये संख्या दोगुनी होकर 7,200 हो चुकी है. कुछ जानकारों का दावा है कि ट्रोरे की लोकप्रियता कम प्रोपेगेंडा ज्यादा है.

traore deepfake viral video snap
इब्राहिम ट्रोरे का एक डीपफेक वीडियो वायरल है, जिसमें वो पश्चिमी देशों को ललकारते दिख रहे हैं.

ट्रोरे की लोकप्रियता में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा रोल है. आए दिन ट्रोरे के वायरल वीडियो और मीम सोशल मीडिया पर सर्कुलेट होते रहते हैं. उनके चाहने वाले ही ये काम करते हैं. जानबूझकर भड़कीले भाषण वाले AI जेनरेटेड वीडियो बनाकर डाले जाते हैं, ठीक वैसे ही जिस वीडियो का हमने शुरुआत में जिक्र किया था. ताकि लोगों को लगे कि ट्रोरे मसीहा हैं. और ऐसा होता भी है. लोगों को लगता है कि ट्रोरे बुर्कीना फासो पर विकसित देशों के प्रभुत्व से आजादी दिलाएंगे.

बहरहाल, इब्राहिम ट्रोरे का दावा है कि वो बुर्कीना फासो को राजनीतिक और सुरक्षा मोर्चे पर सुधार की राह पर ले जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनके दावों पर टकटकी लगाए भी बैठा है. अगर ट्रोरे अपनी लीडरशिप या दावों में कमजोर पड़ते हैं तो विकसित देश उनके अफ्रीकी देश में प्रभुत्व कायम करने में पीछे नहीं रहेंगे.

वीडियो: दुनियादारी: ट्रंप और पुतिन की फ़ोन पर क्या बात हुई?