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महाराष्ट्र निकाय चुनाव के नतीजे अब 21 दिसंबर को आएंगे, बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश है

Maharashtra के मुख्यमंत्री Devendra Fadnavis का बयान भी सामने आया है. उनका कहना है कि अपने 25 वर्षों के राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी ऐसा नहीं देखा. यह सब कुछ सही नहीं है. उम्मीदवारों का कोई दोष ना होते हुए भी सिस्टम के विफलता के कारण उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर बेंच ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग को करारा झटका दिया है. कोर्ट ने महाराष्ट्र में म्युनिसिपल काउंसिल और नगर पंचायतों के 3 दिसंबर को आने वाले परिणामों पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि इन चुनावों का परिणाम अब 21 दिसंबर को घोषित किया जाए. इन चुनावों के लिए आज यानी 2 दिसंबर को मतदान हो रहा है और नतीजे कल यानी 3 दिसंबर को आने थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. नतीजे 21 दिसंबर को आएंगे.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रक्रियात्मक गड़बड़ियों और कुछ अदालती मामलों का हवाला देकर करीब 20-24 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में चुनाव स्थगित रोक दिए थे. इन पर 20 दिसंबर को मतदान होना है और नतीजे 21 दिसंबर को घोषित किए जाते. चुनाव आयोग ने 29 नवंबर को इस बदलाव को लेकर आदेश भी जारी किया था. 

याचिकाकर्ता ने HC में क्या कहा

लेकिन याचिकाकर्ता इस आदेश और शेड्यूल में बदलाव की देरी का हवाला देते हुए हाईकोर्ट पहुंच गए. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि बाकी बॉर्डों के नतीजे अगर 3 दिसंबर को घोषित होंगे हैं तो वे 20 दिसंबर को होने वाले अन्य वार्डों के चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं. 

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उन्होंने कोर्ट से मांग की कि 29 नवंबर का संशोधित कार्यक्रम रद्द किया जाए. वारोरा के सभी 13 वार्डों की गिनती 20 दिसंबर को ही कराई जाए. साथ ही अध्यक्ष और अन्य पदों का चुनाव भी उसी दिन किया जाए. इसी के मद्देनजर कोर्ट ने पूरे चुनाव के नतीजे एक-साथ  21 दिसंबर को घोषित करने को कहा.

फडणवीस क्या बोले

इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान भी सामने आया है. हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने कहा,

“कोर्ट का जजमेंट मैंने पढ़ा नहीं है पर उन्होंने फैसला दिया है तो सबको मानना ही पड़ेगा. जो चुनाव घोषित किए, जो मतगणना तय की, वह सब आगे धकेला जा रहा है. मैंने मेरे 25 वर्षों के राजनीतिक जीवन में ऐसा नहीं देखा. यह सब कुछ सही नहीं है.”

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उन्होंने आगे कहा,

“मैंने वकील समेत कई एक्सपर्ट्स से बात की है और जहां तक मुझे पता है, चुनाव तय होने से एक दिन पहले चुनाव टालने का कोई नियम नहीं है. लेकिन कोर्ट ने फैसला दिया है. अदालत हो या चुनाव आयोग, दोनों ऑटोनोमस संस्था हैं. उनका फैसला मानना पड़ेगा.”

फडणवीस ने चुनाव में देरी को उम्मीदवारों के साथ अन्याय बताते हुए कहा कि रिविजन की वजह से पिछले 20 से 25 दिनों से पार्टी वर्कर्स की कैंपेनिंग की कोशिशें बेकार हो गई हैं. उम्मीदवार का कोई दोष ना होते हुए भी सिस्टम के विफलता के कारण उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. यह सही नहीं है.

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