छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) की एक अदालत ने 28 दिसंबर को बजरंग दल (Bajrang Dal) के 7 कार्यकर्ताओं की जमानत खारिज कर दी. इन पर पिछले हफ्ते रायपुर स्थित मैग्रेटो मॉल में क्रिसमस से जुड़ी सजावटों से तोड़फोड़ करने का आरोप है. पुलिस ने इनको 27 दिसंबर को गिरफ्तार किया था.
बजरंग दल वालों ने मॉल में क्रिसमस का सामान तोड़ डाला, बेल मांगी तो कोर्ट ने क्या किया?
तेलीबांधा पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि 27 दिसंबर को बजरंग दल के सात लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाकी आरोपियों की पहचान करने की प्रक्रिया जारी है.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मैग्रेटो मॉल में तोड़फोड़ की घटना 24 दिसंबर को हुई थी. उसी रात तेलीबांधा पुलिस स्टेशन में 30-40 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 331 (3) (अतिक्रमण), 324 (2) जानबूझकर नुकसान पहुंचाना), 115 (2) चोट पहुंचाना, 191 (2) (दंगा करना) और 190 (गैरकानूनी सभा) के तहत FIR दर्ज की गई.
तेलीबांधा पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि 27 दिसंबर को बजरंग दल के सात लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाकी आरोपियों की पहचान करने की प्रक्रिया जारी है.
29 दिसंबर को सातों आरोपियों को फिर से अदालत में पेश किया गया. लेकिन अदालत ने इनको जमानत देने से इनकार कर दिया. इन लोगों की गिरफ्तारी से नाराज बजरंग दल के लगभग 300 कार्यकर्ताओं ने तेलीबांधा पुलिस स्टेशन के बाहर एक सड़क को जाम कर दिया और लगभग 9 घंटे तक बीच सड़क बैठ रहे. इससे यातायात बाधित हुआ.
क्रिसमस से एक दिन पहले 24 दिसंबर को बजरंग दल समेत कई दक्षिणपंथी समूहों ने कथित धर्मांतरण के विरोध में एक दिवसीय बंद बुलाया था. इस दौरान रायपुर के मैग्ननेटो मॉल में जमकर हंगामा और तोड़फोड़ की गई थी. आरोप है कि बजरंग दल के कार्यकर्ता लाठी डंडे लेकर मॉल के अंदर घुस गए. और क्रिसमस की सजावट और दूसरे सामान की तोड़फोड़ की. मॉल के सिक्योरिटी गार्ड्स ने उनको रोकने की कोशिश की. लेकिन उन पर काबू पाने में असफल रहे.
बाद में मॉल के एक कर्मचारी ने बताया,
अचानक 80 से 90 लोग अंदर घुस आए. पिछले 16 सालों से जब से हमने काम शुरू किया है, हम हमेशा दुकानें बंद कर विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करते आए हैं. लेकिन पिछले 16 सालों में मैंने ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा. भीड़ ने हमें धमकाया और हिंसा की. यह कोई विरोध प्रदर्शन नहीं था, तोड़फोड़ ने माहौल को असुरक्षित बना दिया.
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके के कांकेर जिले में एक धर्मांतरित परिवार के अंतिम संस्कार को लेकर दो समुदायों में झड़प हो गई थी. ये बंद उसके कारण ही बुलाया गया था. राज्य के शहरी इलाकों में बंद का असर रहा. लेकिन ग्रामीण इलाकों में सीमित असर दिखा.
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