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'उन्हें भी नहीं पता कि कल क्या करने जा रहे...', आर्मी चीफ ने ट्रंप की चुटकी ले ली

Army Chief जनरल प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी आज की जंग केवल ‘जमीन पर जूतों’ (boots on the ground) से नहीं लड़ी जाती. बल्कि ‘दिमाग’ से भी लड़ी जाती है.

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सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी ने डॉनल्ड ट्रंप का उदाहरण देते हुए बच्चों के अपनी बातें समझाई. (फोटो- PTI/AP)

भारतीय सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी का कहना है कि भविष्य में किस तरह के खतरे होंगे, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का जिक्र किया. कहा कि उनको भी नहीं पता कि आगे क्या होगा. सेना प्रमुख ने ये भी कहा कि युवा पीढ़ी यानी जेनरेशन Z भारत को आगे बढ़ाने वाला ईंधन होगा.

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उपेंद्र द्विवेदी शनिवार, 1 नवंबर को मध्य प्रदेश में अपने गृहनगर रीवा पहुंचे हुए थे. इस दौरान उन्होंने टीआरएस कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा,

आगे भविष्य क्या है और क्या चुनौतियां आएंगी. हम इसे चार तरह से देख सकती हैं- अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता. सरल शब्दों में कहूं, तो आगे आने वाले दिन कैसे होंगे ये ना आपको पता है ना मुझे. कल क्या होने वाला है, ये भी किसी को नहीं पता. ट्रम्प आज क्या कर रहे हैं, मेरे ख्याल से उन्हें भी नहीं पता कि कल क्या करने जा रहे हैं.

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सेना प्रमुख ने आगे कहा कि जब तक आप एक चुनौती से निपटते हैं, दूसरी चुनौती सामने आ जाती है. ऐसी चुनौतियां हमारे सेना के सामने भी हैं. चाहे वो सीमाओं पर हो, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं, साइबर वॉर या सैटेलाइट से जुड़े अंतरिक्ष युद्ध जैसे नए मोर्चे हों. या और रासायनिक, जैविक और रेडियोलॉजिकल खतरों के माध्यम से हों.

उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फैली अफवाहों पर भी ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा,

हमारे सामने इन्फॉर्मेशन वॉर की भी चुनौती है. मिसाल के तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ऐसी अफवाहें फैलीं कि कराची पर हमला हुआ है. हमने भी ऐसी खबरें सुनीं और सोचा कि ये कहां से आईं और किसने इन्हें शुरू किया. चीज़ें कितनी तेजी से और कितनी भ्रामक हो सकती हैं…

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ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख का जिक्र करते हुए उपेंद्र द्विवेदी ने भी कहा कि उस दौरान पूरा देश एकजुट हो गया था. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल भी परिवर्तन को अपना रहे हैं. उन्होंने आगे कहा,

हमने नई तकनीकों को अपनाया, ड्रोन इस्तेमाल करने के लिए तैयार हुए, गोला-बारूद में सुधार किया और सटीक मिशन तैयार किए. हमने खुद को ढाला, इसलिए हमें जीत मिली.

उन्होंने स्पष्ट किया कि आज की जंग केवल ‘जमीन पर जूतों’ (boots on the ground) से नहीं लड़ी जाती. बल्कि ‘जमीन पर दिमाग’ (minds on the ground) से भी लड़ी जाती है. इसका मतलब है कि हमें आपकी बुद्धिमत्ता, आपकी भागीदारी की जरूरत है. उपेंद्र द्विवेदी ने इसे एक उदाहरण के जरिए समझाया. बोले,

जब पाकिस्तान फर्जी खबरें और अफवाहें फैला रहा था, तो सिकंदराबाद का एक व्यक्ति मेरे पास पहुंचा और बोला- ‘सर, मेरे ट्विटर पर 3 लाख फॉलोअर्स हैं. मुझे बताइए मैं क्या करूं. मैं उनकी फर्जी खबरें का पर्दाफाश कर दूंगा.’ हमें देश भर से ऐसे कई प्रस्ताव मिले. कुछ लोग देशभक्ति से लबरेज होकर बोले- ‘हमें सेना में भर्ती कर लीजिए.’ हमें उनसे कहना पड़ा- ‘अभी ट्रेनिंग जरूरी है.’

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘जेनरेशन Z’ यानी युवाओं से भी अपील की. उन्होंने कहा, ‘जेन Z डिजिटल रूप से निपुण, तकनीकी रूप से उन्नत, सामाजिक रूप से जागरूक और ग्लोबल रूप से जुड़ी हुई है. उनके पास दुनिया भर की जानकारी तक पहुंच है. अगर इतनी शक्तिशाली पीढ़ी को अनुशासन और उचित मार्गदर्शन मिले, तो भारत पल भर में कई पीढ़ियों आगे बढ़ सकता है.’

उपेंद्र द्विवेदी के मुताबिक, इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में जेनरेशन Z भारत को आगे बढ़ाने वाला ईंधन होगा.

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