सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रायसीना हिल स्थित अपने कार्यालय से 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की ऐतिहासिक तस्वीर को हटाए जाने पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस कदम को 'सही' ठहराते हुए कहा कि भारत का स्वर्णिम इतिहास तीन अध्यायों में है, ब्रिटिश, मुगल और उससे पहले का युग है. सेना प्रमुख ने कहा कि रायसीना में लगी नई तस्वीर ‘कर्म क्षेत्र’ में ये तीनों दर्शाए गए हैं.
सेना प्रमुख ने पाकिस्तान के सरेंडर वाली तस्वीर हटाने को ठहराया 'उचित', नई पेंटिंग में चाणक्य
Army Chief Upendra Dwivedi ने अपने कार्यालय से 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की तस्वीर को हटाए जाने को सही कदम बताया है. इसकी जगह नई तस्वीर 'कर्म क्षेत्र' को लगाया गया है. इसमें पैंगोंग झील के पास भारतीय सेना को दिखाया गया है. साथ में है महाभारत से कृष्ण-अर्जुन और दार्शनिक चाणक्य.
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1971 के युद्ध में भारत के सामने पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की यह तस्वीर सेना प्रमुख के कार्यालय के लाउंज की दीवार पर लगी थी. दिसंबर 2024 में तस्वीर को मेंटेनेंस के लिए उतारा गया था. लेकिन वापस नहीं लगाया गया. सेना प्रमुख के कार्यालय में वापस लाने के बजाय इसे मानेकशॉ कन्वेंशन सेंटर भेज दिया गया और इसकी जगह एक नई कलाकृति लगाई गई. सेना प्रमुख के इस फैसले से सेना के वरिष्ठ अधिकारियों में नाराजगी देखी गई. कई अधिकारियों ने उनके इस फैसले की आलोचना भी की है.

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार, 14 जनवरी को सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने कहा,
"यदि आप भारत के स्वर्णिम इतिहास को देखें तो इसमें तीन अध्याय हैं—ब्रिटिश युग, मुगल युग और उससे पहले का युग. अगर हमें इसे सेना के नजरिए से जोड़ना है, तो प्रतीकों का अपना महत्व होता है."
इस बदलाव के बारे में बताते हुए सेना प्रमुख ने कहा, "नई पेंटिंग 28 मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब द्वारा बनाई गई है, जो सेना में युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. नई पेंटिंग 'कर्म क्षेत्र' का अर्थ है 'कर्मों का क्षेत्र'. यह सेना को धर्म और राष्ट्र के मूल्यों की रक्षा करने वाली ताकत के रूप में दिखाती है और इसे एक आधुनिक, तकनीकी रूप से उन्नत बल के रूप में प्रस्तुत करती है."

सेना की इस नई पेंटिंग में लद्दाख में पैंगोंग झील के चारों ओर पहाड़ हैं. इसके अलावा, महाभारत युद्ध से कृष्ण-अर्जुन की रथ वाली तस्वीर को दिखाया गया है. पेंटिंग में चाणक्य और तीनों सेनाओं के उन्नत हथियारों को भी दर्शाया गया है.
नई पेंटिंग पर आलोचना का जवाब देते हुए सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने कहा,
"नई पेंटिंग वर्तमान वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है. उत्तरी मोर्चे से आने वाली चुनौतियों को देखते हुए सैनिकों के पुनर्संतुलन का उल्लेख किया गया है. यह भी कहा जा रहा है कि पैंगोंग त्सो के तट पर एक अर्धवस्त्रधारी ब्राह्मण खड़ा है. यदि लोग भारतीय चाणक्य को नहीं जानते हैं. तो उन्हें अपनी सभ्यता के बारे में सोचने या देखने के तरीके को समझने की आवश्यकता है."
सेना प्रमुख ने आगे कहा कि यदि अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ना है तो यह नई पेंटिंग इन सभी का प्रतीक है. उन्होंने आगे मामले को शांत करते हुए कहा कि इस कदम को उनके कार्यालय से 1971 की प्रतिष्ठित पेंटिंग को हटाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख के पास दो लाउंज हैं. और आत्मसमर्पण की पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर के लाउंज में है.
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