आंध्र प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर लोग हैरान रह गए. सर्जरी के दौरान जिस सटीकता की उम्मीद की जाती है, वहीं एक छोटी सी चूक ने पूरा मामला सुर्खियों में ला दिया. एक मरीज के पैर की सर्जरी के बाद उसके अंदर सर्जिकल ब्लेड मिला है.
बोल्ट निकालने के लिए ऑपरेशन किया, ब्लेड अंदर छोड़ दिया, मरीज़ ने दर्द बताया तो खुला राज़
मुख्य आर्थोपेडिक सर्जन की गैरमौजूदगी में बुलाए गए दूसरे डॉक्टर ने ऑपरेशन किया और इसी दौरान सर्जिकल ब्लेड भीतर रह गया. अस्पताल की अधीक्षिका अन्नपूर्णा के मुताबिक, मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी गई है और सर्जरी टीम से पूछताछ चल रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई.


रामकृष्ण नगर इलाके के रहने वाले कोप्पिरेड्डी चिन्ना का दो साल पहले एक्सीडेंट हुआ था. उनके पैर में गंभीर चोट लगी थी. तब विशाखापट्टनम के एक निजी अस्पताल में सर्जरी कर प्लेट और बोल्ट लगाए गए थे. डॉक्टरों ने तभी सलाह दी थी कि जब पैर पूरी तरह ठीक हो जाए तो यह बोल्ट निकाल दिए जाएं, ताकि आगे कोई परेशानी न हो.
दूसरी सर्जरी के लिए पहुंचे टुनी के अस्पतालकुछ समय बाद चिन्ना ठीक हो गए और हाल ही में उन्होंने बोल्ट निकलवाने का फैसला किया. इसके लिए वे टुनी इलाके के एक निजी अस्पताल पहुंचे. यहां उनकी दूसरी सर्जरी की गई. उस दिन अस्पताल के नियमित आर्थोपेडिक सर्जन मौजूद नहीं थे, इसलिए दूसरे सर्जन को बुलाकर ऑपरेशन कराया गया. बोल्ट सफलतापूर्वक निकाले भी गए और चिन्ना को वार्ड में भेज दिया गया.
सर्जरी के कुछ समय बाद मरीज ने पैर में तेज दर्द की शिकायत की. शुरुआत में इसे सामान्य पोस्ट ऑपरेशन दर्द मानकर नजरअंदाज कर दिया गया. लेकिन जब दर्द लगातार बढ़ने लगा तो डॉक्टरों ने एक्सरे कराने का फैसला किया.
रिपोर्ट में दिखा ब्लेड, अस्पताल में हड़कंपएक्सरे रिपोर्ट सामने आई तो डॉक्टरों के होश उड़ गए. मरीज की टांग के अंदर सर्जिकल ब्लेड मौजूद था. ऑपरेशन के दौरान यह ब्लेड अंदर रह गया था. जैसे ही हकीकत सामने आई, अस्पताल में अफरातफरी मच गई. तुरंत डॉक्टरों को बुलाकर चिन्ना को दोबारा ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और ब्लेड निकाल लेने में सफलता मिली.
जांच शुरू, मरीज की हालत स्थिरअस्पताल प्रबंधन के मुताबिक चिन्ना की हालत पूरी तरह स्थिर है. अधीक्षिका अन्नपूर्णा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी गई है. सर्जरी में शामिल सभी डॉक्टरों और स्टाफ से पूछताछ हो रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि ऐसी गलती कैसे हुई. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की बात भी कही गई है.
इस पूरे मामले में राहत की बात यह है कि गलती समय पर पकड़ ली गई और मरीज को बड़ा नुकसान होने से बच गया. डॉक्टर रोजाना अनगिनत मरीजों की जिंदगी बचाते हैं. उनसे की गई छोटी चूक भी गंभीर परिणाम दे सकती है. इसलिए उम्मीद यही है कि आगे ऐसी घटना दोबारा न हो और मरीजों का भरोसा हमेशा कायम रहे.
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