कभी न्यूज़ देखिए. आपको किसी रोड एक्सीडेंट की कोई न कोई ख़बर दिख ही जाएगी. रोड एक्सीडेंट होना हमारे देश में एक बहुत आम बात बन गई है. Ministry Of Road Transport And Highways ने Road Accidents In India 2022 नाम की एक रिपोर्ट जारी की थी. इसके मुताबिक, साल 2022 में देश में 4,61,312 रोड एक्सीडेंट्स हुए थे. इनमें से 1,68,491 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, 4,43,366 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. रोड एक्सीडेंट्स के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं.
किसी का एक्सीडेंट हो, तो ऐसे बचाएं जान! डॉक्टर ने ये भी बताया कौन सा काम बिलकुल न करें
अगर किसी का एक्सीडेंट हो जाए, तो पहले 3 मिनट में मरीज़ की कंडीशन देखनी चाहिए. मरीज़ को ज़्यादा चोट लगी है, कम चोट लगी है, खरोंच है या वो बिल्कुल बात करने की कंडीशन में नहीं है. डॉक्टर से जानिए इस दौरान क्या-क्या करें.
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पिछले साल संसद के विंटर सेशन में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस पर एक बयान दिया. बोले, ‘मैंने कहा था कि 2024 के आखिर तक हम एक्सीडेंट्स और मौतों में 50 फीसदी की कमी लाएंगे. मगर एक्सीडेंट्स और मौतों की संख्या घटने के बजाय बढ़ गई है.’ उन्होंने ये भी बताया कि देश में रोड एक्सीडेंट्स की वजह से हर साल लगभग 1,78,000 लोगों की मौत होती है. इनमें से करीब 60% मौतें 18 से 34 साल के लोगों की होती हैं.
इनमें से बहुत सारे लोगों को बचाया जा सकता है. सिर्फ 3 मिनट. एक्सीडेंट के बाद के अगले 3 मिनट किसी की जान बचा सकते हैं. बस इसके लिए हमें और आपको थोड़ा जागरूक होने की ज़रूरत है.
रोड एक्सीडेंट हो जाए तो आसपास वाले पहले 3 मिनट में क्या करें?
इसके बारे में हमें बताया डॉक्टर सुवर्णा भाले ने.

अगर किसी का एक्सीडेंट हो जाए, तो पहले 3 मिनट में मरीज़ की कंडीशन देखनी चाहिए. मरीज़ को ज़्यादा चोट लगी है, कम चोट लगी है, खरोंच है या वो बिल्कुल बात करने की कंडीशन में नहीं है. ये सारी चीज़ें सिर्फ देखने भर से ही मालूम हो जाती हैं. अगर मरीज़ को सिर्फ मामूली खरोंच है, तो डरने की बात नहीं है, वो ठीक हो जाएगा. अगर मरीज़ का खून बहुत ज़्यादा बह रहा है, उसे फ्रैक्चर हो गया है. तब खून रोकने के लिए उस जगह पर कोई साफ-सुथरा कपड़ा बांधें, ताकि खून बहना बंद हो जाए. अगर फ्रैक्चर हो गया है, तो किसी छड़ी या छाते से उस अंग को बांध दें. जिससे वो अंग कम हिले और मरीज़ को दर्द न हो.
अगर मरीज़ बात करने की स्थिति में नहीं है और बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ है. तब मरीज़ की पल्स चेक करें. वो सांस ले रहा है या नहीं, ये भी देखें. अगर पल्स नहीं चल रही और मरीज़ सांस भी नहीं ले रहा, तो तुरंत एंबुलेंस को बुलाएं. साथ ही, मरीज़ को CPR देना शुरू करें. CPR यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन. ये उस व्यक्ति को दिया जाता है, जो सांस नहीं ले रहा और जिसका दिल नहीं धड़क रहा. CPR मरीज़ की जान बचा सकता है.
क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए?
एक्सीडेंट होने के बाद कई बार लोग मरीज़ को अकेला छोड़कर निकल जाते हैं. इस डर से कि पुलिस उन्हें पकड़ लेगी. ऐसा न करें. देखें कि मरीज़ कैसा है और उसे कितनी चोट लगी है. अगर मामूली चोट है, तो अस्पताल पहुंचने में उसकी मदद करें. अगर मरीज़ बिल्कुल बात नहीं कर पा रहा और वो बेहोश है तो आसपास की भीड़ को हटाएं. अगर मरीज़ को पहले से ही सांस नहीं आ रही, तो उसके आसपास जमा न हों. तुरंत एंबुलेंस बुलाएं और उसे CPR देना शुरू करें.

एक्सीडेंट विक्टिम को तुरंत क्या करना चाहिए?
- अगर कभी एक्सीडेंट हो जाए तो घबराएं नहीं, एंबुलेंस नंबर 102 या 108 पर कॉल करें
- हर हाईवे, टोल और चेकपोस्ट पर इमरजेंसी नंबर्स लिखे होते हैं
- जिन पर कॉल करके तुरंत एंबुलेंस बुलाई जा सकती है
- पेट्रोलिंग कारें भी नज़र रखती हैं कि कहीं किसी का एक्सीडेंट तो नहीं हो गया
किस तरह का फर्स्ट ऐड तुरंत मिलना चाहिए?
हर मरीज़ को फर्स्ट ऐड मिलना चाहिए. हालांकि ये उनकी चोट पर निर्भर करता है. अगर मरीज़ ज़्यादा गंभीर है, वो सांस नहीं ले पा रहा, उसकी पल्स भी नहीं चल रही. तब तुरंत मरीज़ को CPR देना शुरू करें और एंबुलेंस को बुलाएं. वहीं, अगर मामूली चोट या फ्रैक्चर है, तब फ्रैक्चर वाली जगह को हिलने से रोकें. अगर किसी चोट से खून बह रहा है, तो साफ-सुथरे कपड़े से चोट को बांधें और खून बहने से रोकने की कोशिश करें. ये फर्स्ट ऐड मिलने के बाद उसे अस्पताल लेकर जाएं. जहां वो अपने रिश्तेदारों को बुलाकर आगे का इलाज करा सके.
कार चलाते वक्त एक्सीडेंट से बचा जा सकता है. बस आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना है. जैसे कभी भी ड्रिंक एंड ड्राइव न करें. इससे न सिर्फ आपकी बल्कि दूसरों की जान भी आफत में पड़ सकती है. हमेशा स्पीड का ध्यान रखें. जब भी ड्राइव करें, सील्ट बेल्ट लगाएं. और सबसे ज़रूरी बात, अगर किसी की कार का एक्सीडेंट हो जाए, तो उसकी मदद करें. आपका एक छोटा-सा कदम उस व्यक्ति की जान बचा सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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