साल 2019. चीन में कोरोना नाम का वायरस आता है. पहले इसका एक केस सामने आता है. फिर संख्या सैकड़ों में बदलती है. धीरे-धीरे हज़ार, लाख और फिर करोड़. कोरोना वायरस ने दुनियाभर में जो कोहराम मचाया. उसे हम सबने देखा. हम सबने महसूस किया. अब साल है 2024. एक वायरस चीन में फिर से फैल रहा है. असर ऐसा कि अस्पताल खचाखच भरे हुए हैं. वहां की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं.
HMPV भारत में लगातार बढ़ रहा, इसके बारे में सबकुछ सीधे डॉक्टर से ही जान लीजिए
HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस. भारत में अब तक इसके तीन मामले सामने आए हैं. डॉक्टर से समझिए कि HMPV क्या है. ये कैसे फैलता है. HMPV के लक्षण क्या हैं. कौन इसके ज़्यादा रिस्क पर है. इसे कैसे डायग्नोस किया जाता है. ये कोरोनावायरस से कैसे अलग है? क्या भारत को डरने की ज़रुरत है. सबसे ज़रूरी बात. HMPV से बचाव और इलाज कैसे किया जाए.
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दुनियाभर में लोगों की धड़कनें तेज़ हो गई हैं. सबको डर है कि कहीं कोविड काल वापस तो नहीं आ गया? अब जिस वायरस से लोग डर रहे हैं, उसका नाम है HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (Human metapneumovirus Virus). इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर से उत्तरी चीन में HMPV के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. 14 साल से कम उम्र के बच्चे इस वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. HMPV के मामले सिर्फ चीन तक सीमित नहीं हैं. भारत में भी पाए गए हैं. ये खबर लिखे जाने तक, भारत में HMPV के तीन मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से दो मामले कर्नाटक में पाए गए हैं और एक गुजरात में.

देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने HMPV को लेकर बयान जारी किया है. उनके मुताबिक, HMPV एक तीन महीने की बच्ची और एक 8 महीने के बच्चे में पाया गया है. दोनों में ही ब्रोंकोन्यूमोनिया (Bronchopneumonia) की हिस्ट्री थी. ब्रोंकोन्यूमोनिया, एक तरह का न्यूमोनिया ही है. हालांकि घबराने की बात नहीं है. दोनों ही बच्चे अब ठीक हो रहे हैं. वहीं गुजरात के अहमदाबाद में दो महीने के बच्चे में भी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस पाया गया है. बच्चे की सेहत कैसी है, अब तक इसका अपडेट नहीं मिला है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत में जितने भी मरीज़ HMPV से पीड़ित पाए गए हैं. उनमें से किसी ने भी चीन या दूसरे देश की यात्रा नहीं की थी.
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दरअसल HMPV कोई नया वायरस नहीं है. ये वायरस पहली बार साल 2001 में नीदरलैंड्स में मिला था. देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी एक वीडियो मैसेज जारी किया है. उनके मुताबिक, देश का स्वास्थ्य मंत्रालय, Indian Council for Medical Research यानी ICMR और National Centre for Disease Control चीन में HMPV के मामलों पर नज़र रखे हुए हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, दूसरे पड़ोसी देशों पर भी निगाह रखी जा रही है. देश का हेल्थ सिस्टम और सर्विलांस नेटवर्क सतर्क है. चिंता करने की कोई बात नहीं है.
कोविड काल के बाद, जब भी कोई वायरस फैलता है, तो लोगों में डर का माहौल बन जाता है. सोशल मीडिया पर भ्रामक और ग़लत जानकारी की बाढ़ आ जाती है. इससे बचने का एक ही तरीका है. सतर्कता और सही जानकारी. इसलिए, डॉक्टर से समझिए कि HMPV क्या है. ये कैसे फैलता है. HMPV के लक्षण क्या हैं. कौन इसके ज़्यादा रिस्क पर है. इसे कैसे डायग्नोस किया जाता है. ये कोरोनावायरस से कैसे अलग है? क्या भारत को डरने की ज़रुरत है. सबसे ज़रूरी बात. HMPV से बचाव और इलाज कैसे किया जाए.
क्या है HMPV?ये हमें बताया डॉ. नेहा गुप्ता ने.

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक तरह का वायरस है, जो सांस से जुड़े इंफेक्शन पैदा करता है. ये रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस (RSV) की तरह खांसी और जुकाम के लक्षण पैदा करता है.
क्या हैं HMPV के लक्षण?HMPV आमतौर पर अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है जैसे नाक, साइनस या गला. इसमें नाक बंद होना, छींकें आना, नाक जाम होना, गले में खराश, गला खराब होना और बुखार जैसे लक्षण महसूस होते हैं. हालांकि कुछ लोगों में ये इंफेक्शन फेफड़ों तक फैल जाता है. इसकी वजह से गंभीर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकते हैं यानी श्वसन तंत्र में होने वाले इन्फेक्शन. कई बार लोगों को ARDS (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) हो जाता है और वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ सकती है.
HMPV कैसे फैलता है?HMPV ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन यानी छींक, खांसी, थूक के ज़रिए फैलता है, जैसे कोविड-19 और इंफ्लुएंज़ा वायरस. अगर आप किसी संक्रमित मरीज़ के नज़दीक हैं तो वायरस आप तक पहुंच सकता है. इसके अलावा, अगर किसी सतह पर ये वायरस मौजूद है और आपने उसे छुआ. फिर उसी हाथ से अपनी नाक को या मुंह छुआ, तो ये इंफेक्शन आपको भी हो सकता है.
HMPV से किन्हें ज़्यादा खतरा है?- कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों को
- छोटे बच्चों को
- डायबिटीज़ के मरीज़ों को
- क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ वाले लोगों को
- फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज़ों को
- दिल के मरीज़ और बुज़ुर्गों में ये वायरस गंभीर इंफेक्शन पैदा कर सकता है
अगर सर्दी, खांसी, जुकाम है. गला खराब है. बुखार आ रहा है. बदन दर्द हो रहा है. तब आमतौर पर लोग इंफ्लुएंज़ा, स्वाइन फ्लू या कोविड-19 के बारे में सोचते हैं. लेकिन ये लक्षण रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस और ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के भी हो सकते हैं.
HMPV को डायग्नोस कैसे किया जाता है?HMPV का पता लगाने के लिए PCR टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट से पता चलता है इंफेक्शन कहीं बहुत गंभीर तो नहीं. इसके अलावा, ब्लड टेस्ट और CRP टेस्ट किया जा सकता है. जिन मरीज़ों में इंफेक्शन गंभीर है, उनमें इंफ्लुएंज़ा और कोविड-19 से जुड़े टेस्ट भी किए जा सकते हैं.

- भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने से बचें
- कोई बीमार है तो उससे थोड़ी दूरी बनाकर रखें
- सर्दी, खांसी, जुकाम है तो पर्याप्त सावधानी बरतें (यानी खांसते और छींकते समय मुंह-नाक ढकें)
- मास्क लगाएं
-हाइजीन का ध्यान रखें, बार-बार हाथ धोएं और उन्हें साफ रखें
- ऐसा करके खुद को इस वायरस से बचाया जा सकता है
- अगर इंफेक्शन हो रहा है तो लक्षणों के आधार पर इलाज ज़रूरी है
- किसी इंफेक्शियस डिज़ीज़ स्पेशलिस्ट से मिलें और अपना इलाज कराएं
चीन से लेकर भारत तक, इस वायस से बचने के लिए गाइडलाइंस जारी की जा रही हैं. दिल्ली और कर्नाटक सरकार ने भी वायरस से बचने का तरीका बताया है. और, ये तरीका बहुत आसान है. जैसे खांसते या छींकते समय मुंह ढ़ंक लें. हाथ धोते रहें. भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं. मास्क लगाएं. साथ ही, पब्लिक प्लेस पर थूकें नहीं. एक ही टिशू पेपर या रूमाल का बार-बार इस्तेमाल न करें. अपना तौलिया शेयर न करें. अगर कोई इस वायरस से संक्रमित पाया जाए, तो दूसरों से दूरी बनाए. डॉक्टर से सलाह ली जाए और सबसे ज़रूरी बात. बिलकुल भी न घबराएं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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