UTI यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन. आम बोलचाल में इसे पेशाब का इंफेक्शन या यूरिन इंफेक्शन भी कहते हैं. देखिए, हमारे यूरिनरी सिस्टम में किडनी, यूरेटर, ब्लैडर और यूरेथ्रा आते हैं. यूरेटर वो नली है, जो किडनी को ब्लैडर यानी पेशाब की थैली से जोड़ती है. वहीं यूरेथ्रा, पेशाब की नली है. अब अगर इस यूरिनरी सिस्टम में कहीं किसी तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है, तो उसे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन कहते हैं.
गर्मियों में क्यों होता है पेशाब का इंफेक्शन?
ये इंफेक्शन होना बहुत कॉमन है. कई लोगों को बार-बार UTI होता है. खासकर गर्मियों में. मगर लोग इस पर बात करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि ये हमारे प्राइवेट पार्ट से जुड़ा हुआ है. पर जिन्हें कभी न कभी UTI हुआ है, वो समझ सकते हैं कि ये कितनी दिक्कतें पैदा करता है.
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ये इंफेक्शन होना बहुत कॉमन है. कई लोगों को बार-बार UTI होता है. खासकर गर्मियों में. मगर लोग इस पर बात करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि ये हमारे प्राइवेट पार्ट से जुड़ा हुआ है. पर जिन्हें कभी न कभी UTI हुआ है, वो समझ सकते हैं कि ये कितनी दिक्कतें पैदा करता है.
आखिर गर्मियों में UTI ज़्यादा क्यों होता है और इससे बचा कैसे जाए? ये सवाल हमने पूछा गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, उदयपुर में प्रोफेसर और सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. विश्वास बाहेती से.

डॉक्टर विश्वास बताते हैं कि गर्मियों में पेशाब का इंफेक्शन ज़्यादा होने की कई वजहें हैं. पहली वजह हमारे आसपास नमी और गर्मी का बढ़ना है. नमी और गर्मी बढ़ने से बुरे बैक्टीरिया भी बढ़ने लगते हैं. जैसे ई. कोलाई. ऐसे में जब आप पसीने से तरबतर रहते हैं और लंबे वक्त तक कपड़े नहीं बदलते. तो बैक्टीरिया आसानी से प्राइवेट पार्ट्स में फैल सकते हैं. जिससे UTI हो सकता है.
दूसरी वजह शरीर में पानी की कमी है. एक तो गर्मियों में वैसे भी पसीना ज़्यादा निकलता है. उस पर जब आप पर्याप्त पानी नहीं पीते, तो शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है. यानी शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इससे यूरिन में भी पानी कम हो जाता है. ऐसा होने पर बैक्टीरिया तेज़ी से बढ़ने लगते हैं और UTI हो सकता है.
तीसरी वजह अपने शरीर की साफ-सफाई न रखना है. गर्मियों में पसीना और नमी मिलकर प्राइवेट पार्ट्स के आसपास बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं. अब अगर समय-समय पर अपने प्राइवेट पार्ट्स की सफाई न करें. या कपड़े न बदलें. तो बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट तक पहुंच सकते हैं. जिससे UTI हो सकता है.
चौथी वजह स्विमिंग या वॉटर एक्टिविटीज़ है. इतनी गर्मी है. हर कोई चाहता है कि भई, ठंडा ठंडा पानी मिल जाए. इस चक्कर में कई लोग स्विमिंग क्लासेज़ जॉइन करते हैं. अब अगर पूल का पानी साफ नहीं है. उसमें बैक्टीरिया हैं. तो ऐसे पानी में रहने से UTI हो सकता है. गीले कपड़ों को देर तक पहनने से भी ये इंफेक्शन हो सकता है.

UTI किसी को भी हो सकती है. चाहें आदमी हो या औरत. हालांकि औरतों में ये ज़्यादा देखा जाता है. क्योंकि उनमें यूरेथ्रा यानी पेशाब की नली छोटी होती है. जिन लोगों को UTI होता है, उन्हें यूरिन करते हुए बहुत जलन होती है. ऐसा लगता है जैसे बार-बार यूरिन आ रहा है. यूरिन कंट्रोल नहीं होता. इंफेक्शन बढ़ने पर यूरिन में खून भी आने लगता है. ये गंभीर स्थिति है. अगर ऐसा हो तो बिना देर किए, बिना संकोच के डॉक्टर से मिलें. वो आपकी जांच करेंगे.
आमतौर पर यूरिन रूटीन टेस्ट और यूरिन कल्चर टेस्ट होते हैं. इससे पता लगता है कि बैक्टीरियल इंफेक्शन है या नहीं. अगर है तो किस बैक्टीरिया की वजह से हुआ है. और, उसके लिए कौन-सी दवाई दी जानी चाहिए. इसके आधार पर डॉक्टर दवाइयां लिखते हैं और इलाज करते हैं.
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन न हो, इसके लिए आप भी कुछ चीज़ें कर सकते हैं. जैसे खुद की साफ-सफाई रखें. समय-समय पर अपने अंडरगारमेंट्स बदलें. खूब पानी पिएं. दिन में कम से कम 2-3 लीटर. साथ ही, हेल्दी खाएं. अपने खाने में प्रोबायोटिक्स शामिल करें. जैसे दही, छाछ, टोफू और पनीर वगैरह. ये गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं.
अगर आप इतना करेंगे तो पेशाब का इंफेक्शन यानी UTI होने का रिस्क बहुत हद तक घट जाएगा. एक बात और, बहुत देर तक अपनी पेशाब न रोकें. अगर लगी है, तो कर ही लें. ज़्यादा देर यूरिन रोकने से भी UTI हो सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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