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टेस्टिकल्स में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, फर्टिलिटी पर पड़ सकता है असर

टेस्टिकल्स यानी अंडकोष में दर्द कई वजहों से हो सकता है. एक बड़ी वजह टेस्टिकल्स का मुड़ जाना है.

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अंडकोष में दर्द होना किसी बड़ी दिक्कत का इशारा है

अंडकोष यानी टेस्टिकल्स. ये पुरुषों का एक रिप्रोडक्टिव अंग है. इसका काम स्पर्म यानी शुक्राणु और टेस्टोस्टेरॉन जैसे सेक्स हॉर्मोन्स बनाना है. अंडकोष में दर्द होने के पीछे गंभीर कारण हो सकते हैं.

दिक्कत ये है कि लोग अक्सर शर्म और झिझक के चलते अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं करते. डॉक्टर को नहीं दिखाते. ये एक बड़ी गलती है. अगर समय पर सही इलाज न मिले तो इन्फेक्शन फैल सकता है. कंडीशन सीरियस हो सकती है. फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है.

डॉक्टर से जानिए कि अंडकोष में दर्द किन कारणों से होता है. कब डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है. जांच के लिए कौन से टेस्ट करवाने चाहिए और इस दर्द का इलाज क्या है. 

अंडकोष में दर्द क्यों होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर अभिनव जैन ने. 

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डॉ. अभिनव जैन, कंसल्टेंट, यूरोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली

पहला कारण टेस्टिकुलर टॉर्सन है. यानी टेस्टिकल्स (अंडकोष) का मुढ़ जाना. दूसरा कारण अंडकोष में इंफेक्शन होना है. इसे मेडिकल भाषा में एक्यूट एपिडिडीमो-ऑर्काइटिस कहते हैं.  

कुछ और कारण भी होते हैं. जैसे किडनी या यूरेटर (किडनी को ब्लैडर से जोड़ने वाली नली) में स्टोन होना. यूरेटर किडनी को ब्लैडर से जोड़ने वाली नली है. इसका दर्द अंडकोष तक महसूस हो सकता है. अगर अंडकोष के आसपास पानी भरा हुआ है, जिसे हाइड्रोसील कहते हैं. तो इसका दर्द भी अंडकोष में महसूस हो सकता है. 

एक और कारण इनगुइनल हर्निया होना है. इसकी वजह से भी अंडकोष में दर्द हो सकता है. अगर वेरीकोसील है यानी अंडकोष की नसें फूल गई हैं. तब भी अंडकोष में दर्द हो सकता है. मगर सबसे अहम कारण टेस्टिकुलर टॉर्सन है. ये ज़्यादातर किशोरों में देखने को मिलता है.

इलाज

टेस्टिकुलर टॉर्सन एक मेडिकल इमरजेंसी है. अगर किसी किशोर को अंडकोष में तेज़ दर्द हो. उबकाई आए. उल्टी हो. तो तुरंत इमरजेंसी में जाएं और यूरोलॉजिस्ट से मिलें. अल्ट्रासाउंड से पता चलता है कि अंडकोष घूमे हैं या नहीं. ये भी देखा जाता है कि अंडकोष में खून की सप्लाई हो रही है या नहीं.

अगर अंडकोष घूम गए हैं और उनमें खून की सप्लाई बंद हो रही है तो तुरंत ऑपरेशन ज़रूरी है. अगर 4 घंटे के अंदर सर्जरी करके अंडकोष को सुलझा दिया जाए. तो अंडकोष में खून की सप्लाई वापस लाई जा सकती है. इससे और नुकसान से बचा जा सकता है.

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अंडकोष में दर्द को सिर्फ दवाइयों से ठीक करने की कोशिश न करें

कई बार लोग ऑपरेशन कराने के लिए मना कर देते हैं. वो इसे दवाइयों से ठीक करने की कोशिश करते हैं, ये न करें. अगर 4 घंटे से ज़्यादा समय निकल जाता है और अंडकोष डेड हो जाते हैं. तो शुक्राणु बनना बंद हो सकते हैं, जिससे फर्टिलिटी पर असर पड़ता है. अंडकोष में दर्द की एक बड़ी वजह एक्यूट एपिडिडीमो-ऑर्काइटिस है. ये किशोरों और बुज़ुर्गों दोनों में हो सकता है. 

बुज़ुर्गों में अक्सर ये प्रोस्टेट ग्रंथि की दिक्कतों से होता है. उन्हें पेशाब करने में दिक्कत होती है. यूरिन ठीक से नहीं निकलता. पेशाब रुक-रुक कर होता है, जिससे अंडकोष में सूजन आ सकती है. अंडकोष में इंफेक्शन हो सकता है. अगर इंफेक्शन या सूजन कम है, तो ओरल दवाइयों से इलाज होता है. लेकिन अगर तेज़ बुखार आ रहा है या अंडकोष की स्किन लाल पड़ गई है. तब मरीज़ को भर्ती करके IV एंटीबायोटिक्स देने की ज़रूरत पड़ सकती है.

अगर हाइड्रोसील यानी अंडकोष के आसपास पानी भरने की वजह से दर्द है और पानी ज़्यादा नहीं भरा है. तो डॉक्टर दवाइयों से ही इलाज करेंगे. अगर पानी ज़्यादा भर गया है, तो हाइड्रोसेलेक्टॉमी नाम की छोटी सर्जरी करके पानी निकाला जाता है. वहीं अगर इनगुइनल हर्निया बहुत बढ़कर अंडकोष की तरफ पहुंच जाता है. तब ऐसे मामलों में इलाज सिर्फ सर्जरी है. अगर वेरीकोसील की वजह से दर्द है, जिसमें अंडकोष के आसपास की नसें फूल जाती हैं और उनमें खून का बहाव बढ़ जाता है. तो इसका इलाज भी ऑपरेशन से ही किया जाता है.

अंडकोष में होने वाले दर्द को इग्नोर नहीं करना चाहिए. जैसे ही दिक्कत हो, तुरंत डॉक्टर से मिलें. समय पर इलाज लें. नहीं तो समस्या बढ़ सकती है और इन्फेक्शन फैल सकता है. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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