34 साल के राकेश लल्लनटॉप के पुराने व्यूअर हैं. आज़मगढ़ के रहने वाले हैं. उनके बड़े भाई को कुछ साल पहले क्रोनिक किडनी डिजीज हो गई. यानी किडनी की बीमारी. लगभग दो साल उनका डाइलिसिस चला. अब उनकी कंडीशन को देखते हुए डॉक्टर्स ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने को कहा है. माने किसी स्वस्थ व्यक्ति की किडनी, उनके बड़े भाई के शरीर में फ़िट की जाएगी.
किडनी ट्रांसप्लांट होना है, लेकिन ब्लड ग्रुप या HLA मैच नहीं है, पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में जान लें
पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किसी रजिस्टर्ड ट्रांसप्लांट सेंटर पर जाना होता है.

दिक्कत ये है कि राकेश के परिवार में कोई कंपैटिबल डोनर नहीं है. यानी घर का कोई भी सदस्य, राकेश के बड़े भाई को अपनी किडनी नहीं दे सकता. वो मैच नहीं हो रही.
समस्या गंभीर है. पर डॉक्टर ने एक ऑप्शन सुझाया है. पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट का. राकेश चाहते हैं हम लल्लनटॉप पर पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में बात करें, ताकि और लोगों तक इसके बारे में जानकारी पहुंचे और उनके जैसे लोगों को मदद मिल सके.
Ministry Of Health And Family Welfare ने साल 2024 में एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 में कुल 13426 किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं. इनमें से 11791 ज़िंदा डोनर्स से हुए थे, जबकि 1635 मृत डोनर्स से.
आपको पता है, एक व्यक्ति अपने अलग-अलग अंग डोनेट करके 8 जानें बचा सकता है. ऐसा ट्रांसप्लांट के ज़रिए होता है. लेकिन मैच न मिलने की वजह से कई लोग ट्रांसप्लांट नहीं करवा पाते और उनकी जान चली जाती है. ऐसे में पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट जाने बचाने का एक बेहतरीन ज़रिया है.
डॉक्टर से जानिए कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है. पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट क्या है. क्या ये भारत में लीगल है? इसे कैसे किया जाता है. और, ये किन लोगों के काम आ सकता है.
ये हमें बताया डॉ. उदित गुप्ता ने.
- ट्रांसप्लांट दो तरह से किया जाता है.
- पहला, लाइव रिलेटेड डोनर.
- इसमें डोनर आपका नज़दीकी रिश्तेदार होता है.
- जैसे मम्मी, पापा, भाई, बहन.
- दूसरा, कैडेवरिक ट्रांसप्लांट.
- इसमें डोनर एक्सीडेंट या किसी दूसरे कारण से ब्रेन डेड हो चुका होता है.
- उनकी किडनी, लिवर और दिल जैसे अंग निकालकर ट्रांसप्लांट किए जाते हैं.
- लाइव रिलेटेड ट्रांसप्लांट के लिए मरीज़ और डोनर का ब्लड ग्रुप मैच होना चाहिए.
- उनका HLA यानी ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन भी मैच होना चाहिए (ये इम्यून सिस्टम को बताते हैं कौन अंग अपना है, कौन पराया).
- कई बार मरीज़ों का ब्लड ग्रुप या HLA मैच नहीं होता.
- तब लाइव रिलेटेड डोनर से किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता.
- ऐसे में पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.
पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट क्या होता है?- जिन मरीज़ों के पास डोनर है, पर उनका ब्लड ग्रुप या HLA मैच नहीं हो रहा.
- वो पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट का सहारा ले सकते हैं.
- पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दो डोनर और दो रिसीपिएंट (मरीज़) होने चाहिए.
- A डोनर, B रिसीपिएंट के लिए और C डोनर, D रिसीपिएंट के लिए.
- अगर A का B से मैच नहीं होता और C का D से मैच नहीं होता.

- तब अगर A का ब्लड ग्रुप D से मैच हो और C का ब्लड ग्रुप B से मैच हो.
- तो A डोनर की किडनी D को दी जाती है और C डोनर की किडनी B को दी जाती है.
- पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट भारत में लीगल है.
- ये कई प्राइवेट और निजी संस्थानों में किया जाता है.
ये कैसे किया जाता है?- पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किसी रजिस्टर्ड ट्रांसप्लांट सेंटर पर जाना होता है.
- वहां डोनर और रिसीपिएंट के ब्लड टेस्ट किए जाते हैं.
- अगर रिपोर्ट में A और B का ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता.
- साथ ही, ब्लड ग्रुप टाइटर काफी ज़्यादा है (यानी मरीज़ के खून में उस ब्लड ग्रुप के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बहुत ज़्यादा हैं).
- तो सेंटर की रजिस्ट्री, स्वैप ट्रांसप्लांट का विकल्प देती है.
- अगर एक दूसरे डोनर-रिसीपिएंट जोड़े का ब्लड ग्रुप भी आपस में मैच नहीं करता.
- तब A डोनर का D से और C डोनर का B से मैच कर के ट्रांसप्लांट किया जाता है.
ये किन लोगों के काम आ सकता है?- जिन मरीज़ों को परिवार में मैच नहीं मिलता, उनके लिए पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट एक अच्छा विकल्प है.
- मरीज़ घबराएं नहीं, परेशान न हों और अपने नज़दीकी ट्रांसप्लांट सेंटर जाएं.
- साथ ही, अपने डॉक्टर से पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट की जानकारी लें और प्रक्रिया शुरू करें.
अगर आपके घर में कोई व्यक्ति किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. और उनका किडनी ट्रांसप्लांट होना है. तो घबराएं नहीं. सब्र रखें. आप पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट भी करवा सकते हैं. अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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