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खाने में थोड़ा-थोड़ा तेल कम करने के फायदे जान डॉक्टर को थैंक्स कहेंगे

खाने में ज़्यादा तेल डालने से शरीर को एक्स्ट्रा कैलोरी मिलती है. ये कैलोरी शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगती है. फिर जब हम एक्सरसाइज़ नहीं करते. या बहुत ज़्यादा तेल-मसालेदार वाली चीज़ें खाते हैं. तो कई बीमारियां होने का रिस्क बढ़ जाता है.

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खाने में 3 चम्मच से ज़्यादा तेल न डालें

उत्तराखंड में 28 जनवरी को 38वें नेशनल गेम्स का शुभारंभ हुआ. इसकी ओपनिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “आंकड़े कहते हैं कि हमारे देश में मोटापे की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है. देश का हर एज-ग्रुप और युवा भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हैं. ये चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि मोटापे की वजह से डायबिटीज़, हार्ट डिज़ीज़ जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ा है.”

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पीएम मोदी ने खाने में 10% तक तेल घटाने की अपील की है

उन्होंने आगे कहा कि देशवासी, दो चीज़ों पर ज़रूर फोकस करें. हर दिन थोड़ा समय निकालकर एक्सरसाइज़ ज़रूर करें. साथ ही, बैलेंस्ड डाइट लें. आपका खाना न्यूट्रिशियस होना चाहिए. अपने खाने में अनहेल्दी फैट, तेल को थोड़ा कम करें. आप हर दिन जितना तेल इस्तेमाल करते हैं. उसको 10 पर्सेंट तक कम करें.

देखिए, डॉक्टर्स भी कम तेल खाने की सलाह देते हैं. लेकिन, अपने खाने में तेल कम क्यों करें? इनसे क्या-क्या नुकसान होते हैं? और, एक दिन में कितना तेल इस्तेमाल करना चाहिए? ये हमने पूछा डॉक्टर मोहित शर्मा से.

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डॉ. मोहित शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉक्टर मोहित कहते हैं कि खाने में ज़्यादा तेल डालने से शरीर को एक्स्ट्रा कैलोरी मिलती है. ये कैलोरी शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगती है. फिर जब हम एक्सरसाइज़ नहीं करते. या बहुत ज़्यादा तेल-मसालेदार वाली चीज़ें खाते हैं. तो वज़न बढ़ने लगता है.

ज़्यादा तेल वाली चीज़ों से दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है. दरअसल, इसमें ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट होता है. जिससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, कोलेस्ट्रॉल एक तरह का फैट है. जब बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है. तो वो दिल की धमनियों में जमा हो जाता है. इससे वहां प्लाक बनता है. प्लाक की वजह से धमनियां पतली हो जाती हैं और खून का फ्लो कम हो जाता है. नतीजा? दिल को ज़्यादा प्रेशर लगाना पड़ता है. ताकि शरीर के अलग-अलग हिस्सों तक खून पहुंचाया जा सके. इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है.

यही नहीं, अगर धमनियों में जमा प्लाक टूट जाए तो खून का थक्का बन सकता है. इससे धमनी में पूरी तरह ब्लॉकेज आ सकता है. और, दिल का दौरा या स्ट्रोक तक पड़ सकता है.

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ज़्यादा तेल वाला खाना पेट के लिए भी सही नहीं है. इससे एसिडिटी, गैस या अपच की शिकायत हो सकती है.

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ज़्यादा तला-भुना खाने से डायबिटीज़ होने का रिस्क है

डॉक्टर मोहित आगे कहते हैं कि जब हम बहुत ज़्यादा तेल वाली चाज़ें खाते हैं. तो डायबिटीज़ होने के चांस भी बढ़ने लगते हैं. दरअसल, ज़्यादा तेल खाने से शरीर में इंसुलिन रेज़िस्टेंस होता है. इंसुलिन रेज़िस्टेंस यानी जब शरीर के सेल्स खाने को ठीक तरह से ग्लूकोज़ में नहीं बदल पाते.

देखिए, हम जो खाना खाते हैं. वो शरीर में जाकर ग्लूकोज़ में बदलता है. फिर ये ग्लूकोज हमारे खून में मिल जाता है. अब शरीर में मौजूद इंसुलिन हॉर्मोन का काम है, खून में मौजूद ग्लूकोज़ को शरीर के अलग-अलग सेल्स तक ले जाना. लेकिन, ज़्यादा तेल वाला खाना खाने की वजह से इंसुलिन हॉर्मोन अपना काम ठीक से नहीं करता. इससे खून में ग्लूकोज़ का लेवल बढ़ जाता है. और, टाइप-2 डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है.

कुल मिलाकर, खाने में ज़्यादा तेल यानी कई बीमारियों को न्योता. इसलिए, अपने खाने में तेल की मात्रा घटाएं. एक दिन में 20-30 ग्राम यानी 2-3 चम्मच से ज़्यादा तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. आप कुछ तलने के बजाय उसे भूनकर, ग्रिल करके या स्टीम करके खा सकते हैं. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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