गर्मियों में लू लग गई. दस्त लग गए. शरीर में पानी की कमी हो गई. डॉक्टर ने कहा ORS पिलाओ. आप बाजार गए. दुकान पर देखा कुछ बोतलों पर ORS लिखा हुआ है. आपने खरीद लीं. इन्हें पिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पता है क्यों? क्योंकि कुछ कंपनियां आपको ORS के नाम पर बेवकूफ बना रही हैं.
अब सिर्फ असली ORS ही मिलेगा, डॉ. शिवरंजनी की 8 साल लंबी लड़ाई के बाद बदला नियम
असली ORS घोल में नमक, चीनी और पानी निश्चित अनुपात में होते हैं. ये एक मेडिकल ग्रेड फॉर्मूला है. जो WHO द्वारा तय मानकों के हिसाब से बनाया गया है.


इसलिए बाजारों से ORS लिखी हुई कई मशहूर ड्रिंक्स हटने वाली हैं. अब आपको Hydra-ORS, ORS-Energy, Energy Boost ORS जैसी चीजें ड्रिंक्स पर लिखी हुई नहीं दिखेंगी. इसकी वजह है, FSSAI का एक आदेश. FSSAI यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया. 15 अक्टूबर, 2025 को FSSAI ने एक निर्देश जारी किया. बताया कि 2022 और 2024 में FSSAI ने कंपनियों को परमिशन दी थी कि वे अपनी ड्रिंक्स पर ORS लिख सकती हैं. इस शब्द का इस्तेमाल कर सकती हैं.
प्रोडक्ट का ओरिजिनल नाम जो भी हो, उसके आगे या पीछे ORS लिखा जा सकता है. जैसे अगर किसी ड्रिंक का ओरिजिनल नाम Energy है. तो उसे Enery ORS या ORS Energy लिखकर बेचा जा सकता है. बस एक शर्त थी. क्या? प्रोडक्ट के लेबल पर साफ लिखा हो कि ये वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा रिकमेंडेड ORS फॉर्मूला नहीं है.
दरअसल कई कंपनियां प्रोडक्ट के लेबल पर ORS लिखकर खुद को हेल्थ ड्रिंक के तौर पर पेश करती हैं. मगर अक्सर इनमें ऐडेड शुगर, आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और दूसरी ऐसी चीजें मौजूद होती हैं, जो WHO के मानकों के हिसाब से नुकसानदेह हैं.
असली ORS घोल में नमक, चीनी और पानी निश्चित अनुपात में होते हैं. ये एक मेडिकल ग्रेड फॉर्मूला है. जो WHO द्वारा तय मानकों के हिसाब से बनाया गया है.
जब किसी को डायरिया होता है. खूब उल्टियां आती हैं. या लू लग जाती है, तब ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन’ यानी ORS दिया जाता है. ये शरीर में पानी और जरूरी मिनरल्स की कमी पूरी करता है. असली ORS दवा की कैटेगरी में आता है. इसे बनाने के लिए CDSCO की परमिशन लेनी पड़ती है. CDSCO यानी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन. ये भारत में दवाओं को जांचने और मंजूरी देने वाली संस्था है.
FSSAI ने अब तक फूड प्रोडक्ट्स पर भी ORS लिखने की अनुमति दी थी. लेकिन अपन नए आदेश में FSSAI ने इस परमिशन को रद्द कर दिया है. अब से कोई भी कंपनी अपने फूड प्रोडक्ट या ड्रिंक पर ORS शब्द नहीं लिख सकती. न तो ड्रिंक के ओरिजिनल नाम के आगे और न ही पीछे. भले ही वो ड्रिंक फलों से बनी हो. नॉन-कार्बोनेटेड हो. या रेडी-टू-ड्रिंक हो. अगर कोई कंपनी ऐसा करती है, तो इसे Food Safety and Standards Act, 2006 के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा.

FSSAI का कहना है कि ड्रिंक्स पर ORS लिखना गलत और भ्रामक है. इससे लोग गुमराह होते हैं. कानून का भी उल्लंघन होता है. इसलिए अब से ऐसा करने की इजाजत नहीं है. सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को अपने प्रोडक्ट्स से तुरंत ORS शब्द हटाना होगा. ये भी ध्यान रखना होगा कि लेबलिंग और एडवरटाइजिंग यानी विज्ञापन से जुड़े सभी नियमों का सख्ती से पालन हो. अब आपको सिर्फ उन्हीं प्रोडक्ट्स पर ORS लिखा दिखेगा, जो वाकई WHO द्वारा रिकमेंडेड फॉर्मूला पर बने हैं.
इस आदेश के लिए हैदराबाद में बच्चों की डॉक्टर शिवरंजनी संतोष ने 8 साल तक लड़ाई लड़ी. उन्होंने CDSCO, FSSAI, हेल्थ मिनिस्ट्री, हर जगह इस मुद्दे को उठाया. कोर्ट में अपील की. वो चाहती थीं कि कंपनियां गलत मार्केटिंग न करें, ताकि बच्चों को असली ORS मिल सके. FSSAI के आदेश के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर अपनी खुशी भी जाहिर की.
दैनिक भास्कर से बातचीत में डॉक्टर शिवरंजनी कहती हैं कि ये जन स्वास्थ्य की बड़ी जीत है. उन्होंने कहा कि अब ORS नाम सिर्फ WHO के नियमों के मुताबिक बने असली मेडिकल फॉर्मूले पर ही लिखा जा सकेगा. डॉक्टर शिवरंजनी ने जोर दिया कि ये बच्चों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है.
वीडियो: FSSAI ने ORS पर जारी किए नए नियम, डॉ. शिवरंजनी ने 8 साल बाद जीती ये लड़ाई