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बाजार में बिक रहे ये आम बिलकुल न खरीदें, कैंसर भी हो सकता है! ऐसे पहचानें

FSSAI यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के मुताबिक, फलों को आर्टिफिशियल तरीके से पकाया जा सकता है. तो इसलिए आपको आम के बारे में सही जानकारी होना जरूरी है.

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कुछ फल व्यापारी फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड नाम के केमिकल का सहारा ले रहे हैं.

गर्मियों का मौसम यानी फलों के राजा आम का सीज़न. इस मौसम में कई तरह के आम बाज़ार में बिकते हैं. जैसे दशहरी, माल्दा, लंगड़ा, चौसा वगैरह वगैरह. लोग आम खाने के लिए गर्मियों का इंतज़ार इसलिए करते हैं, क्योंकि इस मौसम में आम नेचुरल तरीके से पकते हैं. इन्हें खाना टेस्टी भी होता है. हेल्दी भी. लेकिन, आजकल आमों को आर्टिफिशियल तरीकों से पकाया जा रहा है. कुछ फल व्यापारी फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड नाम के केमिकल का सहारा ले रहे हैं. कैल्शियम कार्बाइड से कैंसर होने का ख़तरा होता है.

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लेकिन, क्या हमारे देश में आम या किसी दूसरे फल को आर्टिफिशियल तरीकों से पकाने की अनुमति है.

FSSAI यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के मुताबिक, फलों को आर्टिफिशियल तरीके से पकाया जा सकता है. अक्सर फल व्यापारी फलों को दूर-दराज़ के बाज़ारों तक लेकर जाते हैं. अब ऐसे में जो जल्दी खराब होने वाले फल हैं, जैसे आम, केला और पपीता वगैरह. अगर इन्हें पकने के बाद दूर लेकर जाया जाएगा. तो ये खराब हो जाएंगे. सड़ जाएंगे. ऐसे में फलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए फल व्यापारी कच्चे फल लेकर जाते हैं. और, उन्हें मार्केट में बेचने से पहले आर्टिफिशियल तरीके से पकाते हैं.

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Dark spots all over mango
अगर आम पर काले धब्बे, खतरे की निशानी

FSSAI ने फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस को मान्यता दी है. ये हमारे शरीर के लिए सेफ है. और, फल को तेज़ी से और एकसमान रूप से पकाने में मदद करती है. लेकिन, एथिलीन गैस महंगी और मुश्किल से मिलती है. इसलिए, कई बार व्यापारी फलों को कार्बाइड गैस से पका देते हैं. ये गैस सस्ती तो मिलती है, लेकिन सेहत के लिए बड़ी नुकसानदेह होती है. इसी वजह से FSSAI ने फलों को पकाने के लिए कार्बाइड गैस या कैल्शियम कार्बाइड को मान्यता नहीं दी है.

कैल्शियम कार्बाइड को बोल-चाल की भाषा में ‘मसाला’ के नाम से भी जाना जाता है. इसमें आर्सेनिक और फॉस्फोरक जैसे हानिकारक तत्वों के अंश पाए जाते हैं. जिससे शरीर में कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. मसलन चक्कर आना. बार-बार प्यास लगना. गले में जलन या परेशानी होना. कमजोरी लगना. कुछ निगलने में दिक्कत आना. उल्टी होना और स्किन पर घाव हो जाना. इन्हीं सब वजहों से कैल्शियम कार्बाइड या कार्बाइड गैस का इस्तेमाल फलों को पकाने के लिए नहीं किया जा सकता.

हालांकि फल पकाने में इस्तेमाल की जाने वाली एथिलीन गैस भी सीधे फलों को छूनी नहीं चाहिए.

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FSSAI के मुताबिक, फलों और सब्ज़ियों को हमेशा भरोसेमंद दुकान या व्यापारी से ही खरीदें. अगर आम पर काले धब्बे नज़र आएं, तो उसे बिल्कुल न लें. हो सकता है, ऐसा आम कैल्शियम कार्बाइड से पकाया गया हो. जब भी आम खरीदकर घर लाएं, तो उसे खाने से पहले पानी से अच्छी तरह साफ करें. इसके बाद ही खाएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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