आपने वो वाली रील देखी है? ऐ ChatGPT! ये बताओ.वो बताओ.
हर बात पर ChatGPT से सलाह लेता था, उसने ब्रोमाइट टॉक्सिसिटी का मरीज बना दिया
एक 60 साल के आदमी ने ChatGPT की सलाह पर नमक यानी सोडियम क्लोराइड की जगह पर सोडियम ब्रोमाइड खाना शुरू कर दिया. इससे व्यक्ति के शरीर में ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी हो गई.
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भैया, ChatGPT न हो तो लोगों का गुज़ारा नहीं है आजकल. कुछ लोग तो अपनी ज़िंदगी के फ़ैसले भी ChatGPT से पूछकर लेने लगे हैं.
ChatGPT जवाब देता भी है. जितनी उसकी समझ है, उसके हिसाब से. पर आखिर है तो ये एक चैटबॉट ही. कोई इंसान या एक्सपर्ट नहीं, जो आपकी हर बात समझ पाए और सब कुछ सही ही बताए. अगर ऐसा होता, तो एक 60 साल के आदमी को अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता.
Annals of Internal Medicine: Clinical Cases नाम का एक जर्नल है. इसमें एक केस स्टडी छपी है. इसके मुताबिक, एक 60 साल के आदमी ने नमक से शरीर को होने वाले नुकसानों के बारे में पढ़ा. पढ़कर वो घबरा गया. फिर उसने ChatGPT से पूछा कि भई, मुझे अपनी डाइट से सोडियम क्लोराइड हटाना है. इसकी जगह क्या खा सकते हैं, कुछ दूसरे विकल्प बताओ.
ChatGPT ने भी तेज़ी दिखाते हुए जवाब दिया- सोडियम ब्रोमाइड. बस फिर क्या था, व्यक्ति ने सोडियम ब्रोमाइड मंगाया और नमक की जगह इसे खाने में डालने लगा. तीन महीने तक उसने लगातार सोडियम ब्रोमाइड खाया.
धीरे-धीरे व्यक्ति की तबियत बिगड़ने लगी. इतनी कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. जब वो अस्पताल पहुंचा तो उसे बहुत प्यास लग रही थी. लेकिन उसे जो पानी दिया गया था, वो उस पर शक कर रहा था. अस्पताल में भर्ती होने के पहले 24 घंटों में, उसे पैरानॉइया और हैलुसिनेशंस होने लगे. पैरानॉइया में व्यक्ति को लगता है कि लोग उसके खिलाफ साजिश कर रहे हैं. उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. जबकि इन सबका कोई ठोस सबूत नहीं होता. वहीं हैलुसिनेशंस की वजह से वो ऐसी चीज़ें देख-सुन रहा था, जो वास्तव में थी नहीं.
व्यक्ति ने अस्पताल से भागने की भी कोशिश की. लेकिन वो नाकाम रहा. जब कुछ और जांचें हुईं, तो पता चला कि इस व्यक्ति को ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी हुई थी. करीब 3 हफ्ते तक चले इलाज के बाद वो पूरी तरह ठीक हो गया. लेकिन हमारे लिए छोड़ गया एक सीख और एक सवाल.
सीख ये कि ChatGPT और दूसरे AI प्लेटफॉर्म्स, डॉक्टर की जगह नहीं ले सकते. खाने-पीने में कुछ बदलाव करने हों या किसी बीमारी के लक्षण हों, तो डॉक्टर के पास जाएं. ChatGPT के पास नहीं.
सवाल ये कि ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी है क्या, जो इस शख्स को हुई.

फोर्टिस हॉस्पिटल, नई दिल्ली में डॉक्टर आस्तिक जोशी बताते हैं कि जब शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा ब्रोमाइड जमा हो जाए तो इसे ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी या ब्रोमिज़म कहते हैं. ब्रोमाइड एक तरह का केमिकल कंपाउंड है. शरीर में इसका जमा होना रेयर, लेकिन बहुत गंभीर है.
ब्रोमाइड समुद्र के पानी, सी-फूड और कुछ दवाओं में पाया जाता है. कुछ इंडस्ट्रीज़ में भी इसका इस्तेमाल होता है. अगर व्यक्ति की दवा, या खाने की किसी चीज़ में ब्रोमाइड है और वो बहुत लंबे वक्त से इन्हें खा रहा है तो उसे ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी हो सकती है. ब्रोमाइड मिले हुए धुएं में सांस लेना. धूल के ज़रिए इसका शरीर में जाना. इन सबसे भी ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी हो सकती है. यही नहीं, किडनी की कई बीमारियों में भी शरीर ब्रोमाइड को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाता, जिससे ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी हो जाती है.
ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी के लक्षण धीरे-धीरे दिखने शुरू होते हैं. पहले तो थकान, सुस्ती, सिरदर्द होता है. भूख कम लगने लगती है. स्किन पर दाने निकलने लगते हैं. व्यक्ति को भ्रम होने लगता है. हैलुसिनेशंस होने लगते हैं. याद्दाश्त कमज़ोर हो जाती है. चिढ़चिढ़ापन होता है. बोलने में दिक्कत. लड़खड़ाना. ये सब होता है. गंभीर मामलों में, व्यक्ति को दौरे पड़ सकते हैं. उसे सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है.
आमतौर पर, जब व्यक्ति ऐसे लक्षणों के साथ डॉक्टर से पास जाता है. और डॉक्टर को ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी का शक होता है तो वो ब्लड टेस्ट करते हैं. ताकि खून में ब्रोमाइड का लेवल पता चल सके. कई बार किडनी फंक्शन टेस्ट भी किया जाता है ताकि ये पता चल सके कि किडनी ठीक से काम कर रही है या नहीं.
अगर व्यक्ति के शरीर में ब्रोमाइड टॉक्सिसिटी निकलती है तो उसका इलाज किया जाता है. वो दवाएं और खाने की चीज़ें बंद की जाती हैं. जिनमें ब्रोमाइड होता है. उसे ब्रोमाइड वाले केमिकल्स से दूर रखा जाता है. साफ पानी और दूसरे तरल पदार्थ दिए जाते हैं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे. उसके पोषण का भी ध्यान रखा जाता है. कुछ दवाएं भी दी जाती हैं. इससे व्यक्ति धीरे-धीरे ठीक हो जाता है.
कुल मिलाकर, अगर आप भी गूगल या ChatGPT से अपना डाइट चार्ट बनवा रहे हैं तो ऐसा करना बंद कर दें. ये ख़तरनाक हो सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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